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कुर्सी छीनने के लिए करेंगे जिला पंचायत अध्यक्ष के खिलाफ मतदान

मुरादाबाद (रईस शेख) : मुरादाबाद जिला पंचायत अध्यक्ष के खिलाफ लाया गया अविश्वास प्रस्ताव।

By JagranEdited By: Published: Sun, 12 Aug 2018 08:13 AM (IST)Updated: Sun, 12 Aug 2018 08:13 AM (IST)
कुर्सी छीनने के लिए करेंगे जिला पंचायत अध्यक्ष के खिलाफ मतदान
कुर्सी छीनने के लिए करेंगे जिला पंचायत अध्यक्ष के खिलाफ मतदान

मुरादाबाद (रईस शेख) : सियासत व क्रिकेट में कब क्या हो जाए कोई नहीं जानता। मुरादाबाद जिला पंचायत अध्यक्ष शलिता के खिलाफ दोबारा आए प्रस्ताव में भी ऐसा ही हुआ। उनके खासमखास ही विरोधी बनकर सामने खड़े हुए। जिला पंचायत सदस्य जरीफ मलिक व बब्बू लम्बरदार ने कहा है कि सालभर पहले शलिता की कुर्सी बचाने के लिए बैठक से गायब रहे व मतदान नहीं किया था। लेकिन, अब कुर्सी छीनने के लिए मतदान करेंगे और हटाकर मानेंगे।

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सदस्यों की बुलाई गई थी बैठक

पखवाड़ा पूर्व शलिता ने हमदर्द सदस्यों की बैठक बुलाई थी। जिसमें अविश्वास प्रस्ताव की सुगबुगाहट पर चर्चा हुई थी। बैठक में नौ सदस्य शामिल थे और तीन ने टेलीफोन पर भरोसा जताया था। गिले-शिकवे दूर होने के बाद सभी ने दुखभरी परिस्थितियों में साथ देने का आश्वासन दिया था। खास बात यह है कि मौजूदा वक्त में शलिता को भरोसा देने वाले सदस्य ही पाला बदल गए और विरोधी खेमे में जा बैठे। जिला पंचायत सदस्य जरीफ मलिक व बब्बू लम्बरदार ने बताया कि मतदान की जो भी तिथि तय की जाएगी वह उसमें शामिल होंगे। उन्होंने शलिता को असफल जिला पंचायत अध्यक्ष बताया। कहा कि नौबत आने पर उनके खिलाफ मतदान भी करेंगे। उन्होंने मुकेश यादव, विद्यादेवी, अंजुम, शमीम अहमद, सायरा बेगम, शबाना, सायरा बी व मुहम्मद उस्मान के अपने संग होने का दावा किया है।

सपा, बसपा और भाजपाई एक घाट पर पी रहे पानी

वही हुआ जिसका दैनिक जागरण ने दावा किया था। जिला पंचायत अध्यक्ष शलिता सिंह के खिलाफ साल के दो दिन बीतने के बाद ही फिर अविश्वास प्रस्ताव दाखिल हो गया। फर्क इतना है कि बीते साल नेतृत्व सपा के हाथ में था। इस बार भाजपा इसकी सूत्रधार है। हैरतअंगेज बात ये है कि सपा, बसपा व भाजपा के सदस्य सियासी कटुता के बावजूद एक घाट पर पानी पी रहे हैं। फिलहाल इस वक्त इनका मकसद शलिता को कुर्सी से नीचे गिराने का है।

जुलाई, 2017 में शलिता सिंह के खिलाफ सपाइयों ने राजनीतिक साजिश के तहत अविश्वास प्रस्ताव दाखिल किया था। जिस पर जिलाधिकारी ने बैठक व मतदान के लिए आठ अगस्त की तारीख मुकर्रर की थी। तब प्रस्ताव दाखिल करने वाले सदस्य बैठक से गैरहाजिर रहे थे। जिसके बलबूते शलिता की कुर्सी बच गई थी। लेकिन इस बार दस अगस्त को भाजपा के नेतृत्व में दूसरी बार प्रस्ताव दाखिल किया गया है, जिसमें शलिता की कुर्सी को खतरा है।

सत्ता के सहारे बची थी कुर्सी

बीते साल सपाइयों ने भले अविश्वास प्रस्ताव दाखिल किया हो, लेकिन कुर्सी सुरक्षित रखवाने में सत्ताधारी दल के सासद कुंवर सर्वेश कुमार सिंह की अहम भूमिका रही थी। इस बार शलिता की कुर्सी खिसकाने में भी सत्ता का ही सहारा लिया गया है। पंचायती राज राज्यमंत्री के निजी सचिव महावीर सिंह ने अपनी पत्‍‌नी मिथलेश को कुर्सी पर बिठाने की मुहिम शुरू की है। हालाकि ऊंट किस करवट बैठेगा ये वक्त ही बताएगा।

अविश्वास प्रस्ताव दाखिल करने वाले सदस्य हुए भूमिगत

अविश्वास प्रस्ताव दाखिल करने वाले जिला पंचायत सदस्य भूमिगत हो गए हैं। इन्हें अलग-अलग स्थानों पर रखा गया है। अहम बात यह है कि इनमें सपा, बसपा एवं काग्रेस के खासमखास सदस्य भी हैं। अविश्वास प्रस्ताव दाखिल करने वालों में नौ जिला पंचायत सदस्य वो भी शामिल हैं जो 2017 में शलिता के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाए थे।


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