रहिए सावधान ! भट्ठों से निकल रहा दम घोंटू 'काला जहर'
मुरादाबाद : जिले में 328 भट्ठों का संचालन हो रहा है। इनमें से सिर्फ 141 को ही प्रदूषण नियंत्रण बोड
मुरादाबाद : जिले में 328 भट्ठों का संचालन हो रहा है। इनमें से सिर्फ 141 को ही प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने एनओसी दी है, बाकी 187 अवैध रूप से चल रहे हैं। इनसे निकलने वाला धुआ लोगों का दम घोंट रहा है। प्रदूषित होते पर्यावरण को लेकर राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण कोर्ट ने शासन के साथ अफसरों को कई बार फटकार लगाई है। इसके बावजूद अफसर अपनी कार्यप्रणाली में सुधार लाने को तैयार नहीं हैं। बंद कराने का जारी किया गया था आदेश
बीते वर्ष एनजीटी कोर्ट के निर्देश पर राष्ट्रीय राजधानी परिक्षेत्र में संचालित होने वाले भट्ठों को बंद करने का आदेश जारी किया गया था। मुरादाबाद में भी प्रशासनिक अफसरों ने अवैध भट्ठों को बंद कराने की कार्रवाई की थी लेकिन कुछ दिनों की खानापूर्ति के बाद कार्रवाई बंद कर दी गई। 328 भट्ठों में धधक रही आग
जनपद की चार तहसीलों में 328 भट्ठों का संचालन किया जा रहा है। बीते एक साल में 39 भट्ठों को बंद कराने की कार्रवाई की है। देश का सबसे प्रदूषित शहर बना था मुरादाबाद
बीते वर्ष केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से जारी आकड़ों के अनुसार जनवरी में लगभग दस दिनों तक शहर में प्रदूषण सबसे उच्चतम स्तर तक पहुंचा था। देश के 40 शहरों में प्रदूषण के मामले में मुरादाबाद प्रथम स्थान पर था। एयर क्वालिटी इंडेक्स की रिपोर्ट में शहर में प्रदूषण की मात्रा पाच सौ घनमीटर मापी गई थी। इसके बाद स्थानीय स्तर पर फैक्ट्रियों को बंद कराने के साथ ही भट्ठों पर भी कार्रवाई की गई थी। भट्ठा संचालन का बदला समय
प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से अनापत्ति प्रमाण पत्र लेने के बाद संचालित होने वाले भट्ठों के समय में भी परिवर्तन किए गए हैं। अभी तक ये भट्ठे सितंबर से जून माह तक संचालित होते थे। अब इनका माह परिवर्तन करके फरवरी तक कर दिया गया है। दिल्ली एनसीआर में स्मॉग के बढ़ते खतरे को लेकर प्रशासन ने यह निर्णय लिया है। पूर्व में की गई है कड़ी कार्रवाई:डीएम
अवैध रूप से संचालित होने वाले भट्ठों पर कार्रवाई की जाएगी। इस संबंध में प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से रिपोर्ट मागने के साथ ही उपजिलाधिकारियों को कार्रवाई के निर्देश दिए जाएंगे। पूर्व में भी कड़ी कार्रवाई की गई है।
राकेश कुमार सिंह, जिलाधिकारी प्रदूषण से जमीन भी हो जाती है खराब: एसोसिएट प्रोफेसर
भट्ठों के धुएं से वातावरण के साथ ही जमीन भी खराब हो जाती है। जिस स्थान पर भट्ठा होता है, वहा पर किसान फसल का उत्पादन नहीं कर सकता है। निरंतर कोयला जलने से मिट्टी की उत्पादन क्षमता पूर्णरूप से समाप्त हो जाती है। अवैध भट्ठा संचालकों के खिलाफ प्रशासन को कड़े कदम उठाने चाहिए।
अनामिका त्रिपाठी, एसोसिएट प्रोफेसर, हिंदू कॉलेज