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नवाब खानदान की संपत्ति के बंटवारे में सामने आ रहे नए दावेदार, अब इस परिवार ने खुद को बताया वारिस

Partition of Nawab family property पर‍िवार ने कई गांवों की संपत्ति पर भी हक जताया है। तारिक रजा खां के पिता रजा हसन खां भी कैप्टन थे और एडीसी के पद पर भी रहे। हाईकोर्ट ने याचिका सुनवाई के लिए स्वीकृत करते हुए 18 दिसंबर निर्धारित की है।

By Narendra KumarEdited By: Published: Fri, 27 Nov 2020 01:44 PM (IST)Updated: Fri, 27 Nov 2020 01:44 PM (IST)
नवाब खानदान पर बताई 26 करोड़ की देनादारी, हाईकोर्ट में दायर किया मुकदमा

रामपुर (मुस्लेमीन)।  Partition of Nawab family property। नवाब खानदान के बंटवारे के दौरान नए-नए दावेदार सामने आ रहे हैं। अब एक परिवार ने खुद को नवाब खानदान का वारिसान बताते हुए 26 करोड़ की देनदारी बताई है। इसके लिए नवाब खानदान के सदस्यों के खिलाफ हाईकोर्ट में मुकदमा भी दायर कर दिया है।

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रामपुर में नवाब खानदान की 26 सौ करोड़ से ज्यादा की संपत्ति है। पिछले साल 31 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट ने इस संपत्ति का बंटवारा करने के आदेश दिए थे। बंटवारे की जिम्मेदारी जिला जज को सौंपी गई है। कोर्ट में बंटवारे की प्रक्रिया चल रही है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले में नवाब खानदान के जो सदस्य हैं, उनके अलावा भी कुछ लोग खुद को नवाब खानदान का वारिसान बताते हुए हिस्सेदारी मांग रहे हैं। 13 लोगों ने नवाब खानदान पर 26 करोड़ 73 लाख रुपये की देनदारी बताई है। इसके लिए उन्होंने जिला जज की अदालत में प्रार्थना पत्र भी दिया, जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया था। जिला जज के इस आदेश के खिलाफ ये लोग हाईकोर्ट पहुंच गए हैं। हाईकोर्ट में तोपखाना निवासी साहबजादा तारिक रजा खां, आरिफ रजा खां, आसिम रजा खां, मुहम्मद रजा खां, सादिक अली खां, मकबूल रजा खां, मोहसिन रजा खां, अली रजा खां, साहिबजादी सुल्तान जहां बेगम, नजमा निगहत, सायमा खान, रजिया खान और नासरा हुसैन ने वाद दायर किया है। साहबजादा तारिक रजा खां का कहना है कि उनके दादा साहबजादा हसन रजा खां उर्फ दूूला साहब नवाबजादी उमराव बेगम के पोते थे और रियासत की फौज में कर्नल थे। पारिवारिक शिजरे में रामपुर रियासत नवाब खानदान के सदस्य हैं।

रामपुर रियासत के भारत सरकार में विलय के दौरान नवाब रजा अली खां और सरकार के बीच जो मर्जर एग्रीमेंट हुआ था, उसमें भी रियासत रामपुर के परिवार के सदस्यों की सूची में क्रमांक 42 पर उनके दादा कर्नल हसन रजा खां और क्रमांक 43 पर उनकी दादी दुल्हन बेगम का नाम अंकित है। उनकी दादी दुल्हन बेगम ने 20 जनवरी 1912 को सरकार के खजाने में 9530 रुपये छह आने दो पाई जरिए कप्तान मसूद शाह खां बतौर धरोहर जमा कराए थे। इस रकम से केवल एक हजार रुपये 28 जनवरी 1916 को उनके दादा को अदा किए गए थे। उक्त रकम में 8503 रुपये छह आने दो पाई शेष रह गई। इस बकाया रकम पर 20 जनवरी 1912 से दिसंबर 2019 तक 10 प्रतिशत सालाना ब्याज से 26 करोड़ 77 हजार 934 रुपये बनते हैं और वे लोग इसे पाने के हकदार हैं। 

इनके खिलाफ दायर किया वाद

हाईकोर्ट में दायर वाद में उन्हे को पार्टी बनाया गया है, जिन्हेंं सुप्रीम कोर्ट ने नवाब खानदान की संपत्ति में हिस्सेदार माना है। इनमें पूर्व सांसद बेगम नूरबानो, पूर्व मंत्री नवाब काजिम अली खां उर्फ नवेद मियां, समन अली खां, सबा दुर्रेज अहमद, सैयद सिराजुल हसन, सैययद ब्रिजिश लका बेगम सैययदा अख्तर लका बेगम, सैययदा नाहीद लका बेगम, सैयदा कमर लका बेगम, मुहम्मद अली खां, निगहत बी, गिसेला मारिया अली खां, सईद रजा एंड्रेस अली खां, सैयद नदीम अली खां, सैय्यदा मेहरुन निशा बेगम शामिल हैं।


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