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Naugawan Sadat By Election Result 2020 : मुख्‍यमंत्री से लेकर कई नेताओं ने झोंक दी थी पूरी ताकत, रंग लाई मेहनत

उपचुनाव में जीत के ल‍िए भाजपा ने झोंंकी थी ताकत। नौगावां में भाजपा की जीत ने दूसरे दलों के बड़े नेताओं को दिखाया आइना। बसपा व सपा ने पूर्व व मौजूदा विधायकों व सांसद के सहारे ही चुनावी नैया पार लगाने की कोशिश की थी।

By Narendra KumarEdited By: Published: Wed, 11 Nov 2020 12:42 PM (IST)Updated: Wed, 11 Nov 2020 12:42 PM (IST)
सभी दल जी तोड़ कोशिश कर रहे थे।

अमरोहा (आसिफ अली)। यूं तो चुनाव जीतने की रणनीति प्रत्‍येक दल अपने हिसाब से तैयार करता है, लेकिन उपचुनाव कैसे जीता जाता है इसका सबक कोई भाजपा के रणनीतिकारों से ले। नौगावां सादात विधानसभा क्षेत्र में हुआ उपचुनाव भाजपा की साख का सवाल बना था। इसे बचाने के लिए पार्टी हाईकमान ने पूरी ताकत झोंंक दी थी।

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मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री, तीन-तीन कैबिनेट मंत्री और अन्य कद्दावर नेताओं ने एक तरह से यहां डेरा डाल दिया था। ठोस रणनीति के साथ कार्यकर्ताओं व पदाधिकारियों की मेहनत व समर्पण मंगलवार को जीत की मिठास के रूप में सामने आई। यह जीत दूसरे दलों के बड़े नेताओं के लिए एक आइना भी है। दरअसल उपचुनाव में किसी भी दल के बड़े नेता ने यहां आकर प्रचार-प्रसार करने की जहमत नहीं की थी। नौगावां सादात विधानसभा क्षेत्र उपचुनाव में एक बार फिर साबित हो गया। विषम परिस्थितियों में भी चुनाव कैसे जीता जाता है यह भाजपा के बड़े नेताओं व संगठन की ठोस रणनीति ने साबित कर दिया है। इस उपचुनाव में प्रमुख रूप से भाजपा, सपा व बसपा प्रत्याशी के ईर्दगिर्द हार-जीत के कयास लगाए जा रहे थे। हालांकि सभी दल जी तोड़ कोशिश कर रहे थे। परंतु इसमें भाजपा ने बाजी मारी। प्रचार के दौरान ही खुद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ 24 अक्तूबर को अमरोहा आए थे। जबकि उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने 24 सितंबर व 30 अक्तबूर को अमरोहा आकर चुनावी सभाओं को संबोधित किया था। प्रदेशाध्यक्ष केशव प्रसाद मौर्य भी अमरोहा पहुंचे। वहीं 31 अक्तूबर को केंद्रीय मंत्री संजीव बालियान भी मतदाताओं को रिझाने पहुंचे थे। इतना ही नहीं कैबिनेट मंत्री चौधरी भूपेंद्र, चौधरी लक्ष्मी नारायण व विजय कश्यप समेत तमाम बड़े नेता जनसभाएं कर रहे थे। यानि वह ठोस रणनीति के तहत इस सीट पर कमल को मुरझाने नहीं देना चाहते थे। जिला संगठन ने भी जीतोड़ मेहनत की। हुआ भी यही, मंगलवार को भाजपाइयों की मेहनत रंग लाई। जबकि इसके उलट सपा, बसपा व कांग्रेस के बड़े नेताओं ने इसे गंभीरता से नहीं लिया। केवल कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष अजय कुमार लल्लू ही पहुंचे थे। जबकि बसपा व सपा ने पूर्व व मौजूदा विधायकों व सांसद के सहारे ही चुनावी नैया पार लगाने की कोशिश की थी। न गंठबंधन की तरफ से जयंत ही आए व न ही अखिलेश या मायावती ने इधर का रुख किया।


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