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मुरादाबाद में फुस्स पटाखा दोबारा से जलाने पर विस्फोट, दो बच्चे झुलसे

नवीन नगर में घर के बाहर आंगन में पटाखा छुड़ा रहे दो बच्चे झुलस गए।

By JagranEdited By: Published: Thu, 01 Nov 2018 01:05 PM (IST)Updated: Thu, 01 Nov 2018 01:05 PM (IST)
मुरादाबाद में फुस्स पटाखा दोबारा से जलाने पर विस्फोट, दो बच्चे झुलसे
मुरादाबाद में फुस्स पटाखा दोबारा से जलाने पर विस्फोट, दो बच्चे झुलसे

मुरादाबाद : नवीन नगर में घर के बाहर आंगन में पटाखा छुड़ा रहे दो बच्चे झुलस गए। दोनों भाइयों का पटाखा फुस्स हो गया था, इस पर वे उसे दोबारा जलाने लगे। तभी अचानक विस्फोट हो गया। इससे दोनों भाइयों के हाथ से लेकर चेहरे तक जल गए। चीख सुनकर पहुंचे परिवार के लोगों ने दोनों को अस्पताल में भर्ती कराया।

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सिविल लाइन के नवीन नगर में सुमित शर्मा का परिवार रहता हैं। दीपावली के त्योहार से पहले सुमित के दोनों बेटे लव और कुश पटाखे की जिद कर रहे थे। बुधवार को सुमित ने बाजार से दोनों बच्चों को पटाखे लाकर दे दिए। शाम को चार बजे परिवार के लोग अपने काम में लगे थे। इस दौरान छह साल के लव और चार साल के कुश ने घर के बाहर आंगन में पटाखे छुड़ाने शुरू कर दिए। एक पटाखा फुस्स हो गया। कुछ देर बात भी पटाखा नहीं चला तो दोनों भाई पटाखे को उठाकर दोबारा से छुड़ाने के लिए उसमें आग लगाने की कोशिश करने लगे, इसी बीच लव के में हाथ में रखे पटाखे में जोरदार विस्फोट हुआ। इससे दोनों झुलस गए। परिवार के लोगों ने दोनों को जिला अस्पताल में भर्ती कराया।

सुबह से ही पटाखे छुड़ाने की जिद कर रहे थे लव-कुश

लव-कुश सुबह से ही पटाखे की मांग कर रहे थे। लगातार समझाने के बाद भी वे नहीं माने। तब दोपहर को सुमित शर्मा ने दोनों बच्चों को पटाखे खरीद कर दे दिए। यदि परिवार के लोग अपनी मौजूदगी में पटाखे छुड़वाते तो यह हादसा नहीं होता।

पटाखे जलाते समय बच्चों को न छोड़ें अकेला

पटाखे छुड़ाते समय छोटे बच्चों को अकेला मत छोड़े। नवीन नगर में हुए हादसे के दौरान यदि अभिभावक बच्चों के पास होते तो शायद यह हादसा नहीं होता। उसके बाद बच्चों को पानी में डालने के बजाए तत्काल ही अस्पताल ले गए। बच्चों के10 फीसदी और बड़ों के 15 फीसदी तक जलने पर सबसे पहले जले हुए हिस्से को बहते पानी में तब तक रखें, जब तक जलन पूरी तरह से शांत न हो जाए। अक्सर होता यह है कि लोग फौरन डॉक्टर के पास भागने या बरनॉल, नीली दवा, स्याही वगैरह लगाने लगते हैं।

आग से बचाव को बरतें सावधानी

हमेशा लाइसेंसधारी और विश्वसनीय दुकानों से ही पटाखे खरीदें,पटाखे जलाने से पहले खुली जगह में जाएं, जितनी दूर तक पटाखों की चिंगारी जा सकती है, उतनी दूरी तक छोटे बच्चों को न आने दें, पटाखा जलाने के लिए स्पार्कलर, अगरबत्ती अथवा लकड़ी का इस्तेमाल करें, रॉकेट जैसे पटाखे जलाते वक्त यह तय कर लें कि उसकी नोक खिड़की, दरवाजे और किसी खुली बिल्डिंग की तरफ न हो,कम से कम एक बाल्टी पानी भरकर नजदीक रख लें।

इन बातों को भी रखें ध्यान

नायलॉन के कपड़े न पहनें, पटाखे जलाते समय कॉटन के कपड़े पहनना बेहतर होता है,पटाखे जलाने के लिए माचिस या लाइटर का इस्तेमाल बिल्कुल न करें, एक पटाखा जलाते वक्त बाकी पटाखे आसपास न रखें, कभी भी अपने हाथ में पटाखे न जलाएं।

कान-आंख का बचाव ऐसे करें

120 से 155 डेसिबल से ज्यादा तेज शोर हमारे सुनने की शक्ति को खराब कर सकता है और इसके साथ ही कानों में बहुत तेज दर्द भी हो सकता है, ऐसे पटाखे, जिनसे 125 डेसिबल से ज्यादा शोर हो, उनकी आवाज से 4 मीटर की दूरी बनाकर रखें,आसपास ज्यादा शोर हो रहा हो, तो कानों में कॉटन या इयर प्लग का इस्तेमाल करें,आख में हल्की चिंगारी लगने पर भी उसे हाथ से मसलें नहीं,सादे पानी से आखों को धोएं और जल्दी से डॉक्टर को दिखाएं।


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