कोरोना ने बिगाड़ा खेल, स्कूल खुलने के बाद छात्र-छात्राओं में दिख रहे कई बदलाव, जानें क्या हैं ये बदलाव
Moradabad School Reopen News कक्षा छह से आठवीं तक स्कूल खुल चुके हैं। स्कूल खुलने के बाद छात्र अब पहले जैसे एक्टिव नहीं रहे। कई बदलाव छात्रों में देखने को मिल रहे हैं। स्कूल में प्रार्थना सभा के दौरान जो प्रतिभा बच्चे बोलते थे वह भी भूल चुके हैं।
मुरादाबाद, जेएनएन। Moradabad School Reopen News : कक्षा छह से आठवीं तक स्कूल खुल चुके हैं। स्कूल खुलने के बाद छात्र-छात्राएं अब पहले जैसे एक्टिव नहीं रहे। कई बदलाव छात्र-छात्राओ में शिक्षकों को देखने को मिल रहे हैं। स्कूल में रोजाना प्रार्थना सभा के दौरान जो प्रतिभा बच्चे बोलते थे, वह भी भूल चुके हैं। दस से 12 साल पढ़ने के बाद बच्चों को प्रतिज्ञा पूरी तरह परिपक्व थी। आनलाइन पढ़ाई में लिखने की आदत छूट गई है।
जिन बच्चों का लेख देखकर शिक्षक प्रशंसा करते थे, अब वह उनका खराब लेख देखकर हैरान हैं। बच्चों में आई कमजोरियों को दूर करने में दो महीने तक का समय लगेगा। यही नहीं कक्षा में उबासी और सुस्ती भी बच्चों को खूब आ रही है। शिक्षकों की मानें तो अभी दो महीने बच्चों को पहले की तरह पटरी पर लाने की जरूरत है। शिक्षक मानते हैं कि बच्चों में स्कूल खुलने पर पढ़ाई को लेकर रुचि है। लेकिन, बिना स्कूल जाए घर में डेढ़ साल से पढ़ने की आदत बहुत कम हो गई है।
दूसरी शिफ्ट में 25 फीसद भी छात्र नहीं आ रहेः पहली शिफ्ट में छात्र-छात्राओं की संख्या 80 फीसद तक पहुंच गई है। लेकिन, दोपहर में दूसरी शिफ्ट में 25 फीसद भी नहीं है। दूसरी शिफ्ट में उबासी और झपकी आने की शिकायत ज्यादा है। पहली शिफ्ट दोपहर 12 बजे तक है जबकि दूसरी शिफ्ट 12.30 बजे से शुरू होती है। दूसरी शिफ्ट का विरोध भी चल रहा है। लेकिन, इस पर अभी कोई बदलाव नहीं हुआ है। पीएमएस के प्रधानाचार्य मैथ्यूज ने बताया कि जिन बच्चों को प्रार्थना सभा के दौरान प्रतिज्ञा परिपक्व थी। अब वह प्रतिज्ञा भूल चुके हैं। लिखने की आदत बच्चों की कम हो चुकी है। स्कूल के माहौल में बच्चों को ढालने की कोशिश की जा रही है।
टाइनी टाट्स की प्रधानाचार्य का कहना है कि आनलाइन में वीडियो देखने की आदत थी, जिससे लेख बहुत खराब हो गया है। कक्षा छह से आठवीं तक के बच्चों में यह समस्या बहुत अधिक है। इन कक्षाओं में संख्या भी कम आ रही है।रामचंद्र कन्या इंटर कालेज की प्रधानाचार्य मधुबाला त्यागी का कहना है कि छात्राओं की संख्या ठीक आ रही है। लेकिन, पढ़ाई के प्रति रुचि घटी है। जो छात्राएं पढ़ने में बेहतर हैं। उनको छोड़ दे तो अन्य छात्राएं पहले से भी अधिक पढ़ाई के प्रति लापरवाही बरत रही हैं।