TV और OTT के दौर में मुरादाबाद की रामलीला सब पर भारी, देखें मंचन में क्या-क्या आए बदलाव
Moradabad ki Ramlila समय आधुनिकता की ओर तेजी से बढ़ रहा है। इंटरनेट मीडिया ने मनोरंजन के साधन सर्वसुलभ हर हाथ तक पहुंचा दिया है। इसके बावजूद मुरादाबाद में हर जगह होने वाली रामलीलाओं में जबरदस्त भीड़ उमड़ रही है।
जागरण संवाददाता, मुरादाबाद। Moradabad ki Ramlila : समय आधुनिकता की ओर तेजी से बढ़ रहा है। इंटरनेट मीडिया ने मनोरंजन के साधन सर्वसुलभ हर हाथ तक पहुंचा दिया है। इसके बावजूद मुरादाबाद में हर जगह होने वाली रामलीलाओं में जबरदस्त भीड़ उमड़ रही है।
जानें किस-किस क्षेत्र में हुआ बदलाव
रामलीला भी अब पहले से कहीं अधिक भव्य, आकर्षक और राेमांचित करने देने वाली हो रही है। उनके सेट, लाइटिंग और कलाकारों की प्रस्तुति लोगों को सहज ही आकर्षित करती है। अब पर्दा गिराने और उठाने वाला समय भी बीते जमाने की बात हो रहा है।
मुरादाबाद की रामलीला में रोज पहुंच रहे सात से आठ हजार लोग
लाइन पार रामलीला मैदान मुरादाबाद शहर के अंदर सबसे बड़ा मैदान है और इसकी क्षमता 50 हजार से अधिक लोगों की है। रामलीला मंचन और दर्शकों के बैठने के लिए इसका एक तिहाई हिस्सा उपयोग में लाया जाता है। इसके बावजूद हर दिन करीब सात से आठ हजार लोग रामलीला देखने पहुंचते हैं।
लाइनपार की रामलीला में भव्य प्रस्तुति
इस बार रामलीला कमेटी की ओर से अब तक की सबसे भव्य रामलीला प्रस्तुत की जा रही है। इसमें गिने चुने कलाकार नहीं हैं। हर चरित्र को निभाने के लिए अलग कलाकार हैं। वहीं, कलाकार मंच पर केवल अभिनय कर रहे हैं और पार्श्व से रामानंद सागर वाली रामायण के डायलाग सुनाई देते हैं।
रामलीला में हो रहे नए प्रयोग
रामलीला में रथ, घोड़े, नाव आदि सभी का उपयोग हो रहा है। इसी प्रकार से लाजपतनगर, रामगंगा विहार और पुराना दसवां घाट की रामलीला में नए प्रयोग किए जा रहे हैं। वहां भी पिछले सालों की तुलना में कहीं अधिक भव्यता और लाइटिंग और साउंड की नवीन तकनीकी का प्रयोग हो रहा है। हर दिन इन रामलीलाओं में दो से तीन हजार लोग पहुंच रहे हैं।
लोगों को आकर्षित कर रहा रामलीला मंचन
रामलीला मंचन का जिस प्रकार से पहले की तुलना में कहीं आधुनिक, भव्य और मनमोहक प्रस्तुतिकरण हो रहा है, वह लोगों को सहज ही आकर्षित कर रहा है। मनोरंजन के ढेरों साधन होने के बावजूद रामायण के प्रति आस्था का प्रमाण है कि लोग रामलीला देखने आ रहे हैं। दर्शक दीर्घा में बैठे लोगों के चेहरे के भाव से उनकी प्रभु श्रीराम के प्रति के प्रति भक्ति, प्रेम और समर्पण को आसानी से समझा जा सकता है।
रामलीला की बराबरी कोई नहीं कर सकता
श्री रामलीला कमेटी के अध्यक्ष सुरेंद्र अग्रवाल ने बताया कि रामलीला देखने वालों में केवल बुजुर्ग या महिलाएं नहीं है, बल्कि युवा भी शामिल हैं। बुजुर्ग छोटे बच्चों को साथ लेकर आ रहे हैं। वह रामलीला के दौरान सभी पात्रों के बारे में उन्हें बताते हैं। अभी मंच पर जैसी प्रभु श्रीराम पहुंचते हैं तो लोगों शीश श्रद्धा से झुक जाता है। इससे उनकी श्रद्धा का अनुमान लगाया जा सकता है। आज मनोरंजन के कितने भी साधन हो जाएं, पर रामलीला की बराबरी कोई नहीं कर सकता।