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Moradabad Panchayat Election 2021 : मतदाताओं का ध्‍यान खींचने में जुटे प्रत्‍याशी, कभी फोन कर रहे तो कभी वोटरों के घर पहुंच रहे

पंचायत चुनाव के रण में हर उम्मीदवार जीतने के लिए बहुत मेहनत कर रहा है। हाल यह है कि प्रत्याशियों ने मतदाताओं का रातों का सुकून तक छीन लिया है। रमजान के पाक महीने में सहरी के वक्त भी प्रत्याशी मतदाताओं के घरों पर जा धमकते हैं।

By Narendra KumarEdited By: Published: Wed, 21 Apr 2021 05:10 PM (IST)Updated: Wed, 21 Apr 2021 05:10 PM (IST)
प्रत्याशी मतदाताओं के घरों पर जा धमकते हैं।

मुरादाबाद, जेएनएन। पंचायत चुनाव के रण में हर उम्मीदवार जीतने के लिए बहुत मेहनत कर रहा है। हाल यह है कि प्रत्याशियों ने मतदाताओं का रातों का सुकून तक छीन लिया है। रमजान के पाक महीने में सहरी के वक्त भी प्रत्याशी मतदाताओं के घरों पर जा धमकते हैं। ऐसे में मतदाता ठीक से सो भी नहीं पा रहे हैं।

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कुंदरकी विकास खंड के ग्राम गजूपुर के हाजी दूल्हा दिन में अपने गेहूं की कटाई करा रहे थे। कई बार प्रत्याशियों का उनके मोबाइल पर फोन पहुंचा। एक प्रत्याशी का कहना था कि दिन में आपके घर गया था, मुलाकात नहीं हो पाई। घर के अन्य लोग भी नहीं मिले। दूल्हा ने किसी तरह प्रत्याशी से फोन पर पीछा छुड़ाया तो दूसरे का आ गया। शाम को घर पहुंचे को रोजा इफ्तार के बाद एक प्रत्याशी ने आकर घेर लिया। कहने लगा हाजी जी मेरा ख्याल रखना। उन्होंने कहा देख लेंगे। उनके कुनबे का भी प्रत्‍याशी मैदान में हैं। हाजी जी के कुनबे का प्रत्याशी सहरी में ही उनके घर आ धमका। कहने लगा कि कोई आए और आता रहे। लेकिन, अपनों के साथ ही रहना है। यही हाल हर गांव का है। सबसे ज्यादा लड़ाई प्रधानी को लेकर है। प्रत्याशी सहरी के बाद भी नहीं सो रहे हैं। थाना पाकबड़ा के एक गांव में प्रधान पद आरक्षित होने पर अपने घरों के नौकरों को मैदान में उतार दिया है। इसी तरह कुछ गांव में सामान्य वर्ग के लोगों ने तांगा चालक और बैंडबाजे वाले को प्रत्याशी बना दिया है। कुछ गांवों में बड़े घर के लोगों ने अपने कार चालकों को प्रत्याशी बना दिया है। मकसद यही है कि जीतने के बाद प्रधानी उन्‍हें की करना रहे। सियासत का यह खेल वोटर भी देख रहा है। 26 अप्रैल को मतदाताओं को भी इस पर मुहर लगानी है।

मतदाताओं को खामोशी, अभी तो सब जीत रहे

अगवानपुर में प्रत्‍याशी मतदाताओं के जागरूक होने एवं घर पर आने वाले हर एक उम्मीदवार की जीत पक्की बताने से परेशान हैं। मतदाता पूरी तरह खामोशी साधे हुए हैं। आलम यह है कि गांव में जितने भी प्रत्याशी चुनाव लड़ रहे हैं। वह वोट मांगने मतदाताओं के घर जाते हैं। 


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