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शनिवार को मुरादाबाद रहा देश का दूसरा सबसे प्रदूषित शहर

मुरादाबाद : लगातार प्रदूषित हो रही आबोहवा चुनौती बनी हुई है।

By JagranEdited By: Published: Sun, 18 Nov 2018 09:56 AM (IST)Updated: Sun, 18 Nov 2018 09:56 AM (IST)
शनिवार को मुरादाबाद रहा देश का दूसरा सबसे प्रदूषित शहर
शनिवार को मुरादाबाद रहा देश का दूसरा सबसे प्रदूषित शहर

मुरादाबाद : लगातार प्रदूषित हो रही आबोहवा चुनौती बनी हुई है। सुप्रीमकोर्ट और एनजीटी के निर्देश के बाद भी जमकर खुले में कूड़ा जल रहा है। बीते वर्ष की तरह नवंबर इस वर्ष भी लोगों पर कहर ढा रहा है। शनिवार को मुरादाबाद देश का दूसरा सबसे प्रदूषित शहर दर्ज किया गया। शहर का हवा का गुणवत्ता सूचकाक (एक्यूआइ) 312 दर्ज किया गया। 15 नवंबर को भी शहर का नाम तीसरे सबसे प्रदूषित शहर में दर्ज किया गया था। एक्यूआइ दो सौ के अंदर दर्ज किया गया चौंकाने वाली बात यह है कि लगातार सबसे प्रदूषित शहरों में दर्ज होने वाले शहरों दिल्ली, नोएडा, फरीदाबाद, गाजियाबाद का एक्यूआइ दो सौ के अंदर दर्ज किया गया। अब प्रदूषण नियंत्रण विभाग ने आबोहवा में सुधार के लिए कमर कस दी है, प्रदूषण फैलाने वालों पर अब विभाग सीधे मुकदमा दर्ज करवाएगा। दीपावली पर जमकर हुई आतिशबाजी के बाद अब लोगों को आबोहवा में सुधार की उम्मीद थी लेकिन पूरी तरह से बेपटरी शहर की यातायात व्यवस्था अब सास में जहर घोल रही है। आबोहवा शहर की यातायात माह की पोल खोल रही है। शाम होते-होते प्रदूषित होती गई हवा दिन में चली तेज हवाओं के चलते शहर की आबोहवा में सुधार रहा। जैसे-जैसे दिन ढलता गया और हवा का बहाव कम हुआ, एक्यूआइ में बढ़ोत्तरी होती गई। केन्द्रीय प्रदूषण नियत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के आकड़ों के अनुसार शाम पाच बजे से लेकर सात बजे तक एक्यूआइ में निरंतर वृद्धि दर्ज की गई। इंडस्ट्रियल क्षेत्रों में धड़ल्ले से जल रहा ई-कचरा इंडस्ट्रियल क्षेत्रों में धड़ल्ले से ई-कचरा जल रहा है। केन्द्रीय प्रदूषण नियत्रण बोर्ड के आकड़े इसके प्रमाण है। हरथला, लाकड़ी फाजलपुर में प्रदूषण नियंत्रण विभाग के जिम्मेदारों ने निगरानी तेज की है। विभाग के आला-अधिकारियों का कहना है कि इन क्षेत्रों में ई-कचरा जलने की लगातार शिकायतें मिल रही है। लगातार मिल रहीं शिकायतें इंडस्ट्रियल क्षेत्रों में ई-कचरा जलने की लगातार शिकायतें मिल रही है। लगातार निरीक्षण किया जा रहा है। लगातार लग रहा जाम आबोहवा के लिए मुसीबत बना हुआ है।

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-आरके सिंह, क्षेत्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड अधिकारी पराली जलाकर फैलाया जा रहा प्रदूषण पराली जलाने से जनपद में भी प्रदूषण बढ़ता जा रहा है। क्षेत्रीय वाशिदे धुएं की घुटन महसूस कर रहे हैं। उन्होंने क्षेत्र का माहौल प्रदूषित होने का आरोप लगाया है। जनपद में अभी तक धान की पराली जलाने की बात बेमानी थी। किसान इसका इस्तेमाल पशुओं के चारे के तौर पर करते थे। फिलवक्त विकास खंड भगतपुरा टाडा के एक गाव में बड़े किसान ने करीब 10 एकड़ खेत में धान की पराली जलाकर क्षेत्र की आब-ओ-हवा को प्रदूषित कर दिया। ग्रामीणों का आरोप है कि पराली जलाकर न सिर्फ इनसान, पशु, पक्षी की सेहत को नुकसान पहुंचाने का काम किया है बल्कि पर्यावरण को भी दूषित किया है। सुप्रीमकोर्ट के आदेश को भी हवा में उड़ाया जा रहा है। समाजसेवी डॉ. नजाकत अली कहते हैं कि पराली जलाना बंद होना चाहिए। ये सुप्रीमकोर्ट के आदेश का भी उल्लंघन है। अगर इस पर रोक नहीं लगी तो परंपरा बन जाएगी जो सेहत के लिए नुकसानदेह साबित होगी।


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