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Moradabad Coronavirus News : शरीर में ऑक्सीजन की कमी होने पर इन बातों का रखें ध्‍यान, रेडमेसिविर इंजेक्शन पर च‍िक‍ित्‍सकों की ये सलाह है कारगर

बुखार पांच दिन से लगातार 101 होने के साथ ही सी रिएक्टिव प्रोटीन एक से 10 से ज्यादा होने पर ही रेडमिसिवर दिया जा सकता है। शरीर की ऑक्सीजन को नॉर्मल करने के लिए मरीज को रेडमिसिविर इंजेक्शन लगाया जा रहा है।

By Narendra KumarEdited By: Published: Mon, 19 Apr 2021 01:12 PM (IST)Updated: Mon, 19 Apr 2021 01:12 PM (IST)
Moradabad Coronavirus News : शरीर में ऑक्सीजन की कमी होने पर इन बातों का रखें ध्‍यान, रेडमेसिविर इंजेक्शन पर च‍िक‍ित्‍सकों की ये सलाह है कारगर
शरीर की ऑक्सीजन 90 से कम होने पर ही दी जा सकती है डोज।

मुरादाबाद, जेएनएन। कोरोना संक्रमितों की संख्या लगातार बढ़ने की वजह से लोगों की हालत गंभीर हो रही है। इसको लेकर लोग रेडमेसिविर इंजेक्शन लेने के लिए मेडिकल स्टोर और अस्पतालों में दौड़ लगा रहे हैं। ऐसे हालात में मरीज को घर में रखने के बजाय उसे मेडिकल फैसिलिटी उपलब्ध कराना आवश्यक है।

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एल-टू अस्पताल इंचार्ज डॉ. संजीव बेलवाल ने बताया कि कोरोना संक्रमित मरीज को लेकर पूरी सावधानी बरतने की जरूरत है। जिनके शरीर का ऑक्सीजन 90 से 94 के बीच हो या 90 से कम हो, उन्हें ऑक्सीजन देने के बाद भी सांस लेने की दर 30 से ज्यादा, सीटी स्कैन की दर 12/25 से ज्यादा, सांस लेने में दिक्कत, बुखार पांच दिन से लगातार 101 होने के साथ ही सी रिएक्टिव प्रोटीन एक से 10 से ज्यादा होने पर ही रेडमिसिवर दिया जा सकता है। शरीर की ऑक्सीजन को नॉर्मल करने के लिए मरीज को रेडमिसिविर इंजेक्शन लगाया जा रहा है। ऑक्सीजन देने के बाद भी जिनका ऑक्सीजन 90 के ऊपर नहीं हो पा रहा है तो उनके बारे में दूसरी दवाइयां भी दी जा रहीं हैं।

गंभीर मरीजों पर कम देखने को मिल रहा असर

एल-थ्री कोविड इंचार्ज डॉ. वीके सिंह ने बताया कि संक्रमण के शुरुआत में ही मरीज को अगर रेडमेसिविर इंजेक्शन लगा दिया जाए तो उन मरीजों की स्थिति में जल्दी सुधार आ रहा है। एक्यूट रेस्पीरेट्री डिस्ट्रेस सिंड्रोम वाले मरीजों पर इसका असर नहीं के बराबर है। इसलिए मरीज की गंभीरता को समझते हुए फौरन चिकित्सक से संपर्क करें।

इन मरीजों को नहीं रेडमेसिविर की जरूरत

जिन कोरोना संक्रमितों को हलकी खांसी, हलका बुखार, गले में खराश, नजला, जुकाम, हेडेक, शरीर का ऑक्सीजन नार्मल है तो उन्हें रेडमेसिविर की जरूरत नहीं है। ऐसे मरीजों को अस्पताल में भर्ती कराने की जरूरत भी नहीं हैं। एडमिशन की भी जरूरत नहीं है। पैनिक क्रिएट न करें।

गभीरता से चेक करें

कोरोना संक्रमित जो होम आइसोलेशन में हैं। उन्हें हर दो घंटे में शरीर का टेम्प्रेचर चेक करना है। शरीर का ऑक्सीजन स्तर हर दो घंटे में चेक करना है। दो रीडिंग शरीर के ऑक्सीजन की 94 से नीचे आती हैं तो फौरन ही संबंधित चिकित्सक यूनिट से संपर्क करें। उन्हें पूरी स्थिति बताएं और फौरन अस्पताल में भर्ती कराना पड़ सकता है।

छह दिन में दिए जाते हैं रेडमेसिविर

महिला अस्पताल की नई बिल्डिंग में बने एल-टू अस्पताल कोविड इंचार्ज डॉ. प्रवीण शाह ने बताया कि कोरोना संक्रमित गंभीर मरीज को पहले ही दिन 100-100 मिलीग्राम के रेडमेसिवर इंजेक्शन एक-एक दिन करके लगाए जाते हैं। गभीर अवस्था में जितनी जल्दी इंजेक्शन लग जाए उतना बेहतर है।

वेंटीलेटर के मरीजों पर कम असर

गंभीर हालत में पहुंचने वाले वो मरीज जो वेंटीलेटर पर पहुंच जाते हैं। ऐसे मरीजों पर रेडमेसिविर का असर कम ही देखने को मिला है। चिकित्सक की सलाह के बाद ही रेडमेसिविर लगाया जाना जरूरी है। 


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