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रोजी-रोटी के दर्द से जूझ रहे प्रवासी श्रमिक,गांव में बने रहना बना चुनौती Moradabad News

दूसरे राज्यों से आए श्रमिकों के लिए गांव में रहना बना चुनौती। जॉब कार्ड के लिए किए आवेदनघर चलाना मुश्किल। 100 दिनों का मनरेगा में काम मिलना मुश्किल।

By Ravi SinghEdited By: Published: Tue, 26 May 2020 10:59 AM (IST)Updated: Tue, 26 May 2020 10:59 AM (IST)
रोजी-रोटी के दर्द से जूझ रहे प्रवासी श्रमिक,गांव में बने रहना बना चुनौती Moradabad News

मुरादाबाद (रितेश द्विवेदी) । लॉकडाउन में दूसरे राज्यों से आए प्रवासी श्रमिकों का जीवनयापन करना कठिन होता जा रहा है। क्वारंटाइन का समय पूरा होने के बाद प्रवासी श्रमिक गांव में रोजगार के लिए भटक रहे हैं। राज्य सरकार घर में रोजगार देने के लिए चाहें कितने ही दावे करें,लेकिन हकीकत यही है कि गांव में अभी तक रोजगार का सृजन नहीं हो पाया है। गांव में पहले से ही रहने वाले मनरेगा श्रमिकों को सौ दिनों का रोजगार मिलना मुश्किल है। ऐसे में प्रवासी श्रमिक अपने परिवार का पालन-पोषण कैसे करें यह उनकी सबसे बड़ी समस्या है। दैनिक जागरण ने प्रवासी श्रमिकों से जाकर उनका हाल-चाल जाना। सरकार जो दावा प्रवासी श्रमिकों के लिए कर रही है,जमीनी तस्वीर बिल्कुल अलग है।

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मुरादाबाद जनपद के देहात विधानसभा क्षेत्र के गांव इस्लाम नगर और कुंदरकी विधानसभा क्षेत्र के गांव देवापुर में आए प्रवासी श्रमिकों को गांव में रोजगार नहीं मिल रहा है। इस्लाम नगर में प्रधान पति संतराम ने बताया कि उनके गांव में दिल्ली के साथ ही अन्य राज्यों से लगभग 15 प्रवासी मजदूर आए थे। क्वारंटाइन के बाद उनके लिए गांव में रोजगार देना मुश्किल है। ऐसे में यह प्रवासी मजदूर किसानों के खेतों में काम करके परिवार का भरण-पोषण करने में जुट गए हैं। गांव में करीब चार सौ लोगों के पास मनरेगा जॉब कार्ड है। ऐसे में पहले जॉब कार्ड धारकों को काम देना जरूरी है। बिना जॉब कार्ड के प्रवासी श्रमिकों को भी काम नहीं दिया जा सकता है। हालांकि जो दूसरे राज्यों से श्रमिक आए हैं,उनके जॉब कार्ड बनाने का प्रयास किया जा रहा है।

रोजगार तो दूर की बात राशन तक नहीं मिला

कुंदरकी विधानसभा के मूढ़ापांड़े ब्लाक में देवापुर गांव में दूसरे राज्यों से लगभग 40 प्रवासी श्रमिक आए है। यह श्रमिक हरियाणा,उत्तराखंड,हिमाचलके साथ ही अन्य दूसरे राज्यों से आए हैं। लॉकडाउन में अपने घर तक पहुंचने के बाद क्वारंटाइन का समय सभी श्रमिकों ने पूरा किया है। लेकिन गांव के प्रवासी श्रमिक रोजगार के साथ ही राशन न देने की शिकायत की है। हिमाचल प्रदेश आए प्रवासी श्रमिक चंद्रपाल सैनी ने बताया कि गांव में रोजगार की बात तो बहुत दूर की है,यहां राशन भी पर्याप्त मात्रा में नहीं उपलब्ध कराया जा रहा है। प्रवासी श्रमिकों को राशन देने के निर्देश सरकार ने दिए हैं, राशन कार्ड होने के बाद भी हमें कोटेदार पूरा राशन नहीं देता है। दूसरे प्रवासी श्रमिकों ने बताया कि अगर जल्द श्रमिकों को रोजगार और राशन की व्यवस्था नहीं कराई गई,तो परिवार को भरपेट भोजन कराने में भी परेशानी सामने आएगी।

लॉकडाउन में काम मिलना हुआ बंद

देवापुर गांव के प्रवासी श्रमिक विजय सैनी बताते हैं कि लॉकडाउन से पहले उत्तराखंड में मजदूरी करता था। लॉकडाउन में काम मिलना बंद हो गया था। जिसके चलते घर आ गया था। लेकिन अभी तक यहां हमें कोई रोजगार नहीं मिला।

गांव में भी हैं मुश्किलें कई

देवापुर गांव के प्रवासी श्रमिक सुरेश कुमार ने बताया कि वह हरियाणा बीते कई सालों से काम कर रहा था। लॉकडाउन में घर वापस आ गया था। लेकिन यहां रहकर परिवार का पालना मुश्किल है।

भविष्य को लेकर है चिंता

देवापुर गांव के प्रवासी श्रमिक गोपाल ने बताया कि गांव में रोजगार करना और काम मिलना मुश्किल है। सीमित संसाधन में काम मिलना मुश्किल है। भविष्य को लेकर बहुत चिंतित हूं।

मजदूरी कर काट रहा हूं समय

देवापुर गांव के ही प्रवासी श्रमिक चंद्रपाल का कहना है कि वह हिमाचल प्रदेश में मजदूरी करके परिवार को पालता था। लेकिन लॉकडाउन के चलते सभी काम-धंधा बंद हो गया है। खेतों में मजदूरी का काम करके समय काटा जा रहा है।

गांव में सभी को नहीं मिल सकता है रोजगार

इस्लाम नगर प्रधान पति संतराम ने कहा कि गांव में सभी को रोजगार देना मुश्किल है। बाहर से आए श्रमिकों के जॉब कार्ड बनाने का काम किया जा रहा है। बिना जॉब कार्ड के मनरेगा में भी काम नहीं दिया जा सकता।

खेतों में काम कर रहे प्रवासी श्रमिक

इस्लाम नगर के किसान करण सिंह का कहना है कि प्रवासी श्रमिक खेतों में काम कर रहे हैं। जो अभी तक बाहर काम की तलाश में गए थे,वह सभी अब खेती करके फसल उगाने का काम कर रहे हैं।

गांव में नहीं है ज्यादा काम

इस्लाम नगर के मनरेगा मजदूर भीमसेन ने कहा कि मनरेगा में हमें सौ दिन का सालभर में काम मिलना मुश्किल है। गांव में इतना काम ही नहीं होता है। ऐसे प्रवासियों को कैसे काम कराया जाएगा।


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