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सर्दी में इस बीमारी के मरीजों पर दवा-इंजेक्शन नहीं करती काम, मुरादाबाद में बढ़ रहे मरीज, जानें बचाव के रास्ते

How to prevent winter diseases ठंड में अस्थमा और सीओपीडी (क्रोनिक आब्सेक्टिव पल्मोनरी डिजीज) के मरीजों की दुश्वारियां बढ़ रहीं हैं। जिला अस्पताल की ओपीडी में प्रतिदिन 05-10 सीओपीडी के मरीज पहुंच रहे हैं। इनमें से अधिकांश मर्ज बिगड़ने के बाद चिकित्सक से इलाज कराने के लिए पहुंचते हैं।

By Samanvay PandeyEdited By: Published: Sun, 28 Nov 2021 05:41 PM (IST)Updated: Sun, 28 Nov 2021 05:41 PM (IST)
अस्पताल ओपीडी में प्रतिदिन 05-10 सीओपीडी के आ रहे मरीज

मुरादाबाद, जेएनएन। How to prevent winter diseases : ठंड में अस्थमा और सीओपीडी (क्रोनिक आब्सेक्टिव पल्मोनरी डिजीज) के मरीजों की दुश्वारियां बढ़ रहीं हैं। जिला अस्पताल की ओपीडी में प्रतिदिन 05-10 सीओपीडी के मरीज पहुंच रहे हैं। इनमें से अधिकांश मर्ज बिगड़ने के बाद चिकित्सक से इलाज कराने के लिए पहुंचते हैं। कुछ मरीजों के मौसम बदलने के बावजूद चिकित्सक से दवा परिवर्तित नहीं कराने के कारण परेशानी उठानी पड़ रही है। जिला अस्पताल की ओपीडी में आने वाले अस्थमा और सीओपीडी (क्रोनिक आब्सेक्टिव पल्मोनरी डिजीज) के मरीज हालत बिगड़ने पर पहुंच रहे हैं।

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वह इस स्थिति में पहुंच रहे हैं कि कई मरीजों को भर्ती करने तक की नौबत आ जाती है। वह दवा और इंजेक्शन को इस मौसम में लाभकारी बताने लगते हैं। चिकित्सक पर भी दबाव बनाया जाता है कि हमें टेबलेट और इंजेक्शन ही लिख दीजिये। जबकि चिकित्सकों के मुताबिक सीओपीडी के मरीज को इनहेलर से आराम मिलता है। इनहेलर की दवा सीधे फेफड़ों में पहुंचने से मरीज को आराम मिल जाता है। उसमें अधिक समय भी नहीं लगता। जबकि, टेबलेट या इंजेक्शन इस्तेमाल करने से मरीज को काफी देर बाद आराम मिलता है।

नीम-हकीम के चक्कर में न पड़ें अस्थमा और सीओपीडी के मरीजः अस्पताल में तब पहुंचते हैं जब उनकी हालत बिगड़ जाती है। तब वह अस्पताल की दौड़ लगाते हैं। चिकित्सकों का कहना है कि किसी नीम-हकीम के पास जाने से अस्थमा और सीओपीडी का कोई इलाज नहीं है। इसलिए दिक्कत होने पर फौरन चिकित्सक से ही संपर्क करें। जिससे समय से उपचार मिलने पर मरीज को राहत मिलेगी। जिला अस्पताल के वरिष्ठ चेस्ट फिजिशियन डा. प्रवीण शाह का कहना हैै कि ओपीडी में प्रतिदिन पांच से 10 सीओपीडी के मरीज पहुंचते हैं। उन्हें फेफड़ों में सांस लेने के रास्तों में रुकावट होने की वजह से परेशानी होती है। इस वजह से उन्हें सांस लेने में ताकत लगानी पड़ती है। ऐसे में उन्हें इनहेलर की जरूरत पड़ती है। ठंड के मौसम में इन मरीजों को खास ध्यान रखने की जरूरत है। 


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