परिवार और प्रकृति के गीत होते हैं लोकगीत : मालिनी अवस्थी Moradabad News
लोकगीतों और बॉलीवुड पर आइटम गानों पर बात करते हुए उन्होंने कहा कि आज लोगों ने ही लोकगीत को भुला दिया है जबकि वह हमारी संस्कृति है।
By Narendra KumarEdited By: Published: Tue, 18 Jun 2019 02:17 AM (IST)Updated: Tue, 18 Jun 2019 10:13 AM (IST)
मुरादाबाद। लोकगीत आज के बॉलीवुड के गाने नहीं हैं, जिनमें कोई अर्थ या भाव नहीं होता। लोकगीत परिवार में बनते हैं, प्रकृति के लिए बनते हैं, इसलिए इनमें भाव भी होता है और अर्थ भी। यह कहना था पद्मश्री पुरस्कार विजेता मालिनी अवस्थी का। वे मुरादाबाद महोत्सव के दौरान अपनी प्रस्तुति देने पंचायत भवन पहुंची थीं। लोकगीतों को लोकप्रिय बनाने में लंबे योगदान पर उन्होंने कहा कि भले ही एक समय श्रोता इन लोकगीतों से दूर भाग रहा था, लेकिन अब समय बदल गया है। लोकगीतों के भी सुनने वाले बढ़ रहे हैं। उन्होंने बताया कि लोकगीत परिवार के लिए लिखे जाते हैं यह परिवार पूरा मुहल्ला होता है, प्रकृति होती है। नायिका को अपनी व्यथा सुनाने के लिए जब कोई नहीं मिलता तो वह बादलों से ही बात कर लेती है और तब लोकगीत गढ़ा जाता है। लोकगीतों और बॉलीवुड पर आइटम गानों पर बात करते हुए उन्होंने कहा कि आज लोगों ने ही लोकगीत को भुला दिया है, जबकि वह हमारी संस्कृति है। गांवों से निकली हुई संस्कृति।
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