मकसूद गोली खाने के बाद भी माफिया से लड़ रहे हैं जंग
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मुस्लेमीन, रामपुर : दढ़ियाल के मकसूद ने खनन माफिया से लंबी लड़ाई लड़ी। उन पर तीन बार हमला हुआ, गोली भी लगी, फिर भी हिम्मत नहीं हारी। पुलिस प्रशासन ने साथ नहीं दिया तो हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। हाईकोर्ट ने उन्हें सुरक्षा मुहैया कराने के साथ ही अफसरों पर शिकंजा कसा। दो जिलाधिकारियों को निलंबित करने के आदेश दिए। साथ ही पूरे मामले की शासन को जांच सौंपी। इस जांच में जिलाधिकारी तो बच गए, लेकिन खनन अधिकारी फंस गए। उन्हें निलंबित भी किया गया। खनन कराने वाले अफसरों के खिलाफ अब भी उनकी जंग जारी है। जिलाधिकारियों को निलंबित कराने के लिए हाईकोर्ट में अवमानना याचिका दायर करने की तैयारी है।दढ़ियाल एहतमाली निवासी मकसूद खेतीबाड़ी कर जीवन यापन करते रहे। कोसी नदी के किनारे ही उनके खेत हैं। खेत के बराबर में ही स्टोन क्रेशर है। 2014 में उनकी स्टोन क्रेशर स्वामी और खनन माफिया से लड़ाई शुरू हो गई। आरोप था कि जुलाई 2014 में उनके खेत में रास्ता बनाकर कोसी में अवैध खनन शुरू कर किया गया। विरोध किया तो माफिया ने मारपीट कर भगा दिया।इसके बाद उन्होंने पुलिस में शिकायत की लेकिन, कोई कार्रवाई नहीं हुई। इस पर तहसील दिवस में शिकायत की लेकिन, अफसरों ने भी कुछ नहीं किया। पुलिस और प्रशासन से इंसाफ न मिलने पर उन्होंने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर दी। चार जुलाई 2015 में हाईकोर्ट ने नोटिस जारी कर अफसरों से जवाब मांगा तो प्रशासन हरकत में आया। स्टोन क्रेशर पर छापा मारा और अवैध खनन पकड़ कर 58 लाख रुपये का जुर्माना डाला। इससे नाराज होकर खनन माफिया ने उनके घर पर हमला बोल दिया। पुलिस ने रिपोर्ट लिखी लेकिन, गिरफ्तारी नहीं की। इसके बाद हाईकोर्ट ने 27 जुलाई-15 को अवैध खनन बंद कराने, स्टोन क्रेशर का लाइसेंस निलंबित करने और जुर्माने की रकम वसूलने के आदेश दिए।
इस आदेश के बाद भी कार्रवाई नहीं हुई, बल्कि सात अगस्त-15 को उन्हें रास्ते में घेरकर फायरिंग की गई, जिससे वह गंभीर रूप से घायल हो गए। पुलिस ने रिपोर्ट तो लिख ली लेकिन, गिरफ्तारी किसी की नहीं की। कार्रवाई न होते देख उन्होंने वर्ष 2016 में अफसरों के खिलाफ अवमानना याचिका दायर की। हाईकोर्ट ने तत्कालीन जिलाधिकारी राकेश कुमार सिंह को तलब कर लिया।
जिलाधिकारियों के निलंबन के आदेश
हाईकोर्ट ने मामले को गंभीरता से लेते हुए सात दिसंबर-17 को रामपुर में जिलाधिकारी रहे राजीव रौतेला और राकेश कुमार सिंह को निलंबित करने के आदेश दिए। साथ ही पूरे मामले की जांच के लिए शासन को निर्देश दिए। इसके बाद मकसूद को सुरक्षा मुहैया कराई गई। सरकार ने मामले की जांच मुरादाबाद के कमिश्नर को सौंपी। कमिश्नर की जांच में दोनों जिलाधिकारी बच गए लेकिन, खनन अधिकारी फंस गए। खनन अधिकारी और लिपिक निलंबित कर दिए गए लेकिन, मकसूद इससे संतुष्ट नहीं है। उनका कहना है कि जिलाधिकारियों को बचा दिया गया है। अभी मामला हाईकोर्ट में विचाराधीन है। वह इस मामले अब प्रदेश के मुख्य सचिव के खिलाफ अवमानना याचिका दायर करेंगे।