भूल जाएं सीमेंट-बदरफुट लाना, एएसी ब्लॉक से बनाएं आशियाना
बदलते परिवेश के साथ अब सपनों का घर बनाने के लिए ज्यादा परेशान होने की जरूरत नहीं पड़ेगी।
मुरादाबाद (प्रांजुल श्रीवास्तव) : बदलते परिवेश के साथ अब सपनों का घर बनाने के लिए मिट्टी की ईटों की जगह एएसी ब्लॉक (ऑटोक्लेव्ड एयरेटेड कंकरीट) ने ले ली है। फ्लाई ऐश से बने ये कंक्रीट ब्लॉक मजबूत और सस्ते होते हैं। आम ईट से तैयार घर बनाने में आई लागत की तुलना में एएसी ब्लॉक से बना घर किफायती ही पड़ता है। मजबूत और सस्ता भी
आठ ईटों के बराबर इस एक ब्रिक से बना घर सामान्य घरों की तुलना में मजबूत और सस्ता भी पड़ रहा है। आने वाले समय में इंजीनियर भी इसी ब्रिक के इस्तेमाल को बढ़ावा दे रहे हैं। यही नहीं मिट्टी की ईटों के बजाए इन ब्रिक से बना घर पर्यावरण के लिए भी काफी किफायती साबित हो रहा है। यही वजह है कि नए सरकारी प्रॉजेक्ट में एएसी ब्लॉक का चलन तेजी से बढ़ा है। प्रति मीटर क्यूब करीब एक हजार रुपये की बचत
इंजीनियरों की मानें तो इसके इस्तेमाल से 15 से बीस फीसद बजट की बचत की जा सकती है। जानकारों का कहना है कि प्रति मीटर क्यूब करीब एक हजार रुपये की बचत की जा सकती है। राख से तैयार होते हैं ये ब्रिक
थर्मल पावर प्लांट में निकलने वाली राख और कोयले की राख से इन ब्रिक का इस्तेमाल होता है। आम तौर पर यह एक ब्रिक मिट्टी की आठ ईटों के बराबर जगह लेती है, लेकिन यह सामान्य ईटों की तुलना में हल्की भी होती है। साथ ही इसमें सीमेंट, बदरफुट से बने मसाले का भी प्रयोग नहीं करना पड़ता। बस केमिकल की मदद से एक के ऊपर एक ब्रिक चिपकानी पड़ती है। टिकाऊ भी होते हैं मकान : इंजीनियर
आने वाला समय एएसी ब्लॉक का ही है। क्योंकि खनन के कारण ईट मिलनी कम हो जाएंगी। साथ ही इससे बने मकान सस्ते और टिकाऊ होते हैं।
-आलम उस्मानी, इंजीनियर। कई मायनों में है किफायती : आर्किटेक्ट
फ्लाई ऐश से बनी इन ब्रिक का इस्तेमाल कई मायनों में किफायती है। जिस जगह एक हजार मिट्टी की ईटों का प्रयोग होता है वहां 800 एएसी ब्रिक में ही काम चल जाएगा। ये सस्ती और मजबूत भी हैं।
-विनायक गुप्ता, आर्किटेक्ट।