जेल यात्रा पर रामपुर के खां साहब, 10 दिन में खा चुके तीन जेल का खाना Rampur News
इसे वक्त का पलटना ही कहेंगे कि कभी सत्ता में हनक रखने वाले खां साहब आजकल परिवार समेत जेल की सैर पर हैं। खां साहब कभी बयानबाजी तो कभी अन्य वजहों से सुर्खियों में रहे।
रामपुर (मुस्लेमीन)। रामपुरी खां साहब आजकल परिवार समेत जेल यात्रा पर हैं। उनकी बेगम और साहबजादे तो राम नाम की नगरी से सीधे सीता की नगरी पहुंच गए लेकिन, खां साहब को एके बार बीच में ही रोक दिया गया। उन्हें बरेली के कारावास में भी रात बितानी पड़ी। खां साहब को दस दिन में तीन जेलों का दाना पानी मिल चुका है। लोग कह रहे हैं दाने-दाने पर खाने वाले का नाम लिखा है, इसीलिए तो खां साहब को इतनी जेलों में जाना पड़ रहा है। खां साहब को बार-बार कोर्ट भी लाया गया। सीता की नगरी से आने में ही उन्हें छह घंटे लग जाते हैं। अब खां साहब शिकायत कर रहे हैं कि वर्दी वाले उन्हें रास्ते में न तो कुछ खिलाते हैं और न ही पेट हलका होने दे रहे हैं। खां साहब की कोर्ट ने ही पीड़ा सुनी। इसके बाद अब कुछ राहत मिलती दिख रही है।
चेले भी मुसीबत में
रामपुरी खां साहब से मुलाकात के चक्कर में उनके चेले भी मुसीबत में आ गए हैं। खां साहब जेल से कचहरी आए तो चेले भी उनसे मुलाकात के लिए पहुंच गए। वर्दी वालों ने उन्हें रोकना चाहा तो वे उनसे ही उलझ गए। एक चेले कानून के जानकार भी हैं, इसलिए वे वर्दी वालों को ही कानून का पाठ पढ़ाने लगे। काफी देर तक नोंकझोक होती रही। इसके बाद भी नहीं माने तो वर्दी वाले उन्हें थाने ले गए। उनके खिलाफ पहले से ही कई मुकदमे दर्ज थे, इसलिए वर्दी वालों ने उन्हें भी जेल भेज दिया। अभी जमानत भी नहीं हो सकी है। एक और चेले खां साहब से मिलने के लिए कचहरी चले आए। पुलिस वालों ने उन्हें भी दबोच लिया लेकिन, उनके शुभचिंतकों ने उन्हें थाने नहीं जाने दिया, बल्कि पुराने मुकदमे में समर्पण करा दिया और फिर जेल चले गए। वह पहले भी जेल गए थे।
इलेक्शन की तैयारी में नेताजी
खां साहब के जेल यात्रा पर जाने के बाद उनके विरोधी बड़े खुश हैं। कह रहे हैं कि अब इनकी सियासत खत्म हो गई। उनके साहबजादे के इलेक्शन को हाईकोर्ट ने रद्द कर दिया है। हालांकि मामला अभी देश की सबसे बड़ी अदालत में विचाराधीन है लेकिन, विरोधी अभी से इलेक्शन जीतने के लिए सियासी बिसात बिछाने लगे हैं। एक नेताजी पहले खां साहब के बहुत तकरीबी हुआ करते थे लेकिन, बाद में खां साहब से अनबन हुई तो किनारा कर लिया। अब वे खां साहब के बेटे की खाली हुई सीट पर ही एसेंबली का इलेक्शन लडऩे की तैयारी कर रहे हैं। अभी किसी सियासी जमात में नहीं हैं, लेकिन हाथी की सवारी करने जा रहे हैं। उनकी पूरी रणनीति लगभग तय हो चुकी है। शाही खानदान के लोग भी इलेक्शन की तैयारी में जुटे हैं। इस सीट पर पहले शाही खानदान भी लगातार चार बार चुनाव जीता है।
कसता जा रहा शिकंजा
खां साहब पर कानूनी शिकंजा कम होने के बजाय और कसता जा रहा है। पुराने मुकदमों की तादात ही अस्सी के पार है। इनसे ही निजात नहीं मिल पा रही है। इसके बाद भी उनके खिलाफ नए-नए मुकदमे लिखे जा रहे हैं। खां साहब की यूनिवर्सिटी में कस्टोडियन की जमीन है। इसपर कब्जे को लेकर पहले ही दो मुकदमे दर्ज हो चुके थे। अब और मुकदमे दर्ज हो रहे हैं। दरअसल पहले जिस जमीन को लेकर मुकदमे लिखे गए थे, उस जमीन के अलावा भी कुछ जमीन है, जो खां साहब की यूनिवर्सिटी में शामिल है। अब इसे लेकर भी मुकदमे कराए जा रहे हैं। खां साहब कानून की पढ़ाई भी पढ़े हैं। काला कोट पहनकर कचहरी में भी घूमे हैं। अपनी इस काबलियत के बारे में जज साहब को भी बता चुके हैं लेकिन, कानून के शिकंजे में ऐसे फंसे हैं कि पढ़ाई भी काम नहीं आ पा रही है।