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ARTICLE 370 : कश्मीरी पंडित बोले-72 घंटे में अपने घर से हो गए थे बेघर, लूट लिया था सारा सामान Moradabad News

घर छोड़ते ही हमारे घरों का सामान लूटकर उन्हें आग के हवाले कर दिया गया। उस दौरान हमारी चीख-पुकार को किसी सरकार ने नहीं सुना।

By Narendra KumarEdited By: Published: Tue, 06 Aug 2019 12:58 AM (IST)Updated: Tue, 06 Aug 2019 09:12 AM (IST)
ARTICLE 370 : कश्मीरी पंडित बोले-72 घंटे में अपने घर से हो गए थे बेघर, लूट लिया था सारा सामान Moradabad News

मुरादाबाद(रितेश द्विवेदी)। धारा 370 हटाने की घोषणा से सबसे ज्यादा खुशी कश्मीर घाटी से विस्थापित हुए कश्मीरी पंडितों में देखने को मिली। 23 साल पहले मुरादाबाद आकर बसे कश्मीरी पंडित सुशील धर गम और गुस्से का इजहार करते हुए बताते हैं कि केंद्र सरकार ने जो फैसला लिया है, वह सबसे बेहतर है। इस फैसले को बहुत पहले कांग्रेस सरकार को ही ले लेना चाहिए था। कश्मीर में हमें महज 72 घंटे में अपने घरों से बेघर कर दिया गया था। 1985 में श्रीनगर स्थित हमारे गांव रैना वारी में सभी कश्मीरी पंडितों के घर के बाहर घर छोडऩे का फरमान चस्पा कर दिया गया था। हमें सही सलामत कश्मीर छोडऩे के आदेश जारी किए जा रहे थे। पिता मोहन लाल धर का कश्मीरी शॉल का व्यापार करते थे।

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घर देखने के लिए पर्यटक बनना पड़ता है

घर वापस लौटने के सवाल पर सुशील कहते हैं कि अपने गांव की याद किसे नहीं आती है। आज भी हम अपने घर को देखने जाते हैं। इसके लिए पर्यटक बनना पड़ता है। कश्मीर की मिट्टी में हमारी बुजुर्गों की खुशबू है। हम उसे कैसे भुला सकते हैं।        

कांग्रेस ने कभी नहीं दिया साथ

राजनीतिक हालात पर बात करते हुए सुशील कहते हैं कि कांग्रेस के नेताओं ने कभी कश्मीरी पंडितों की आवाज नहीं सुनी। कांग्रेस पार्टी की नीयत सही होती तो हमें विस्थापित ही नहीं होना पड़ता। 

सरकार के फैसल से फिर जगी उम्मीद

गृह मंत्री अमित शाह की घोषणा के साथ ही कश्मीरी पंडितों के मन में फिर से घर वापसी की उम्मीद जाग गई है। सुशील कहते हैं कि सबसे ज्यादा फायदा कश्मीरियों को होगा। भ्रष्टाचार मुक्त नए जम्मू-कश्मीर का निर्माण होगा।

काम की तलाश में आ गए मुरादाबाद

कश्मीरी पंडित सुशील धर ने बताया कि वह दिल्ली में पढ़ाई पूरी करने के बाद काम की तलाश में साल 1996 में मुरादाबाद आए। यहां कई होटल में बतौर मैनेजर काम किया, आज खुद का बैंक्वेट हाल संचालित कर रहे है। शहर में 23 वर्ष बिताने के दौरान उन्हें कभी बाहरी होने का अहसास नहीं हुआ।

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