पानी आपको ही निकालना पड़ेगा
आपने तो गड्ढों में कालोनी बसाकर मरा हुआ सांप नगर निगम के गले में डाल दिया।
आपने तो गड्ढों में कालोनी बसाकर मरा हुआ सांप नगर निगम के गले में डाल दिया। भवन बेचकर पैसे भुनाए एमडीए ने और गड्ढों का पानी नगर निगम निकालता रहे। यह बात महापौर विनोद अग्रवाल ने 15वें वित्त की बैठक में कही तो इस पर व्यंग कसने में एडीएम प्रशासन लक्ष्मी शंकर भी नहीं चूके। चुटकी लेते हुए तपाक से बोले, गड्ढों से पानी तो आपको ही निकालना पड़ेगा। भाई वोट भी तो आप ही लेते हो, वोट आप लेंगे और पानी कोई और निकालने जाएगा। जनता ने वोट आपको दिया था तो महापौर साहब बाल्टी लेकर पानी निकालने खुद जाओ, चाहे जैसे निकलवाओ, अब जनता तो सवाल आपसे ही करेगी। जनता को सुविधा देनी ही पड़ेगी। बाल्टी वाले व्यंग पर नगर आयुक्त भी हंसी भरे लहजे में बोल उठे, कहा भाई हमारे पास तो पंप सेट है और उसके माध्यम से ही गड्ढों से पानी निकलवा सकते हैं। हर कोई डांटता है
हर बार बैठक में मुझे ही डांटते हैं, एलएंडटी अफसरों से कोई कुछ नहीं कहता। यह कहने वाले साहब जल निगम के परियोजना प्रबंधक हैं। दरअसल, जल निगम द्वारा सीवर लाइन की खोदाई के चलते सड़कों में हो रहे गड्ढों को लेकर परियोजना प्रबंधक को बैठक में बुलाया गया था। अफसरों के सामने परियोजना प्रबंधक को नाराजगी झेलनी पड़ी। बैठक खत्म होने और सभी अधिकारियों के चले जाने के बाद परियोजना प्रबंधक ने महापौर से अकेले में शिकायत की। अब महापौर ने पैतरा बदल दिया। बैठक में इन साहब के प्रति गुस्सा दिखाया तो बाद में दुलारने लगे। कहा कि ये लो अभी एलएंडटी वालों को डांटता हूं। फटकारने के लिए एलएंडटी के प्रबंधक को मिला दिया। फोन उठा या नहीं यह तो महापौर ही जानें। बहरहाल, उस दिन जल निगम के परियोजना प्रबंधक के हाल पर बड़े बेआबरू होकर तेरे कूचे से हम निकले शायरी सटीक बैठती है। सताने लगी सुरक्षा की चिता
सांप ने एक बार रास्ता देख लिया है, अब बचना मुश्किल है। बात हो रही है अटल पथ व विक्टोरिया लाइट के शो कवर व बोलार्ड लाइट चोरी होने की। कई दिन लगातार चोरी होने के बाद दो नशेड़ी पकड़े गए, तब जाकर चोरी रुकी। तब से पथ प्रकाश विभाग में चर्चा है कि एक बार सांप जिस रास्ते से गुजर जाए वह उसे कभी नहीं भूलता। ऊपर से दो करोड़ रुपये की लाइट लगाने का प्रस्ताव पास हो गया है। कर्मचारी कह रहे हैं, हमारा क्या, हम तो लाइट लगा देंगे, मगर सुरक्षा की जिम्मेदारी कौन लेगा? चोरों को तो हम नहीं पकड़ सकते। लगाने के बाद यह सार्वजनिक सम्पत्ति है। चोरों को तो पुलिस ही पकड़ेगी। लेकिन, एसपी सिटी आफिस के पास से ही सबसे ज्यादा लाइट चोरी हुई है। पुलिस बिना रिपोर्ट दर्ज कराए कार्रवाई नहीं करती। चोर तो पकड़े लिए जाएंगे, पर चोरी कैसे रुकेगी? फोटो खिचाने में भूले दूरी
व्यवस्था बहुत अच्छी थी। कोविड-19 के नियमों का पालन करते हुए तैयारी फुल प्रूफ थी लेकिन, चूक हो ही गई। मौका था प्रधानमंत्री स्वनिधि योजना के तहत वेंडरों को दस हजार रुपये ऋण वितरण का। पंचायत भवन के मंच के सोफे पर दो गज की दूरी बनाकर बैठने की व्यवस्था थी। जिलाधिकारी, महापौर, नगर आयुक्त व सामने वेंडर और पार्षद समेत सभी दो गज की दूरी बनाकर बैठे थे। दूरी का नियम चंद मिनट में ही तब टूट गया जब वेंडरों के साथ फोटो खिचाने का वक्त आया। अफसर से लेकर जनप्रतिनिधि भी दो गज की दूरी नहीं बना पाए। किसी ने टोका तो कुछ अधिकारी तो खिसकर दूर हो गए लेकिन, कुछ सटकर ही खड़े रहे। आशंका थी कि कहीं अधिक दूरी बनाने के चलते वह फ्रेम से बाहर न हो जाएं। उन्हें ध्यान रखना चाहिए था कि कोरोना काल में ऐसा लालच उनको महंगा भी पड़ सकता है।