मासूमों को जिंदगी जीने की कला सिखा रहीं है जिया Moradabad News
आटिज्म पीडि़त बच्चे अकेले रहना करते हैं पसंद। पूरी तरह नहीं कर पाते अपनी आंतरिक शक्तियों का इस्तेमाल। हर ओर हो रही है जिया के प्रयासों की तारीफ।
मुरादाबाद,जेएनएन। मां, जो बच्चे के चेहरे के भाव समझकर उसकी जरूरतों को पूरा कर देती है। उसका बच्चा जब तकलीफ में हो तो उसे दर्द दोगुना होता है। शहर के तारा बिल्डिंग के पास की रहने वाली जिया शादमा भी ऐसी ही मां हैं। उन्होंने अपने बच्चे के दर्द को समझा और उसे दूर करने के साथ ही दूसरे बच्चों का भी दर्द दूर करने में जुट गईं। ऑटिज्म पीडि़त बच्चों की गॉड मदर के रूप में पहचानी जाती हैं। इसके लिए उन्होंने विशेष क्लास शुरू की हैं। साथ ही जागरूकता की मुहिम चला रखी है।
जिया शादमा बताती हैं कि ऑटिज्म मानसिक बीमारी है। इसमें बच्चे को दो तरह की परेशानी होती है। एक तो बच्चा बोल नहीं पाता। उसे इशारे की भाषा सिखाई जाती है, जिससे वह अपने परिवार के लोगों को इशारे से पूरी जानकारी दे सके। दूसरी परेशानी शारीरिक होती है और पीडि़त किसी तरह की प्रतिक्रिया नहीं देते हैं। उनके दो बेटे और एक बेटी है। उनकी साढ़े तीन साल की बेटी जब किसी बात पर प्रतिक्रिया नहीं देती और बोलना भी शुरू नहीं किया तो चिकित्सकों से संपर्क किया। लाभ नहीं होने पर दिल्ली में ऑटिज्म का इलाज शुरू किया। इसके साथ ही उन्होंने अपने बच्चों की देखभाल के लिए विशेष प्रशिक्षण भी लिया। उनका कहना है कि मेरे बच्चों के साथ दूसरे बच्चों का भी भविष्य संवर रहा है।
वीडियो कॉल पर दे रहीं प्रशिक्षण
हैंड टू हैंड सोसायटी के माध्यम से ऑटिज्म पर चलने वाली क्लास में 50 से 60 बच्चे हैं। लॉकडाउन के चलते विशेष क्लास में बच्चों को नहीं बुलाया जा रहा है। बच्चों को अगर कोई परेशानी होती है तो उनके माता पिता द्वारा कराई जाने वाली वीडियो कॉल पर पूरी बात समझाई जाती है।
ऑटिज्म पीडि़त को पढ़ाना नामुमकिन नहीं
मनोरोग चिकित्सक डॉ. नीरज गुप्ता ने बताया कि ऑटिज्म से पीडि़त बच्चा अपनी आंतरिक शक्तियों का इस्तेमाल पूरी तरह से नहीं कर पाता है। ऐसे में शिक्षक और अभिभावक की भूमिका अहम होती है। ऐसे बच्चों को पढ़ाना कठिन जरूर है लेकिन, नामुमिकन नहीं। इनके लिए विजुअल इंपैक्ट का पूरा असर पड़ता है।