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मुख्य अभियंता को पाठ पढ़ा रहे थे जेई, लगाई फटकार तो बोले-जी सर Moradabad News

बिजली विभाग में कई बार समस्याओं के समाधान में जेई आनाकानी करते हैं। अधिकारियों के आदेश को भी दरकिनार कर देते हैं। मुरादाबाद में यह मामला सुर्खियों में है।

By Narendra KumarEdited By: Published: Sat, 18 Jan 2020 07:00 AM (IST)Updated: Sat, 18 Jan 2020 07:02 AM (IST)
मुख्य अभियंता को पाठ पढ़ा रहे थे जेई, लगाई फटकार तो बोले-जी सर Moradabad News

मुरादाबाद (अनुज मिश्र)। विनम्र स्वभाव, मिलनसार व्यक्तित्व एवं मृदुभाषी। यह पहचान है बिजली विभाग के मुख्य अभियंता की। इसी व्यवहार को मातहत कमजोरी मानने लगे थे। एक बार उनके पास एक फरियादी आया। देखते ही साहब बोले-क्या तुम्हारा काम नहीं हुआ? फरियादी बोला-आप ने तो बोल दिया लेकिन, जेई कहते हैं कि कोई भी कहे काम तो नियम से ही होगा। सुनते ही साहब का पारा चढ़ गया। तुरंत ही जेई को फोन मिलाया लेकिन, फोन नहीं उठा। ग्रामीण सर्किल एसई को फोन कर जेई को तत्काल फोन करने के निर्देश दिए। इसके बाद जेई का फोन आया। फोन पर जेई उपभोक्ता के माफिक ही मुख्य अभियंता को नियम का पाठ पढ़ाने लगे। जब फटकार लगाई तब बोले-जी, सर। इससे सीख लेते हुए मुख्य अभियंता की समझ में आ गया है कि ऐसे काम नहीं चलेगा, चाबुक चलाना ही पड़ेगा। यह तभी सुधरेंगे। घटना ने साहब को बड़ी सीख दी है।

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ससुराल में क्या मुंह दिखाएंगे 

सरकारी अफसर के रसूख से आप सभी इत्तेफाक रखते होंगे लेकिन, परिस्थितियों का हर कोई मारा है। यह सच है। अब खुद ही देख लीजिए। जिस साहब के निर्देश का मातहत पालन करते थे आज उन्हीं से वह फरियाद कर रहे हैं। मामला बिजली विभाग के ग्रामीण सर्किल में तैनात रहे बड़े साहब के ससुराल से जुड़ा है। लिहाजा, साहब की इज्जत दांव पर लग गई। अपने ही काम के लिए साहब ने एड़ी चोटी का जोर लगाया, रिश्तों की दुहाई दी फिर भी बात नहीं बनी। मुखिया ने मामले की जानकारी की तो पता चला कि मातहत यहां भी खेल कर गए। मुखिया भी हैरान हैं। इधर, साहब कहते हैं कि बड़ी बेइज्जती होगी। घर में तो सुनेंगे ही, ससुराल में क्या मुंह दिखाएंगे। कौन हमें साहब मानेगा, जब अपने ही विभाग से जुड़ा एक छोटा सा काम हम न करा पाएं।

प्रदूषित हवा से नुकसान सबका

हवा में बढ़े जहर पर खूब हो-हल्ला हुआ। सर्वोच्च अदालत तक ने तल्ख टिप्पणी की। मर्ज ढूंढने में माहिर अफसरों ने पराली को इसके पीछे जिम्मेदार ठहराया। फिर क्या, पराली जलाने वाले किसानों पर कार्रवाई के लखनऊ से आदेश जारी हो गए। किसानों पर कार्रवाई हुई। किसान चिल्लाते रहे कि जिन पर कार्रवाई होनी चाहिए, उन पर नहीं हो रही। कमजोर को निशाना बनाया जा रहा। आरोपों को अनसुना कर अफसरों ने पराली की आग में खूब हाथ सेंके। इधर, अब पराली भी नहीं जल रही लेकिन, देश के प्रदूषित शहरों की सूची में कोई दिन ऐसा नहीं जाता जब उसमें शहर का नाम न हो। लिहाजा, जिस पराली से अफसरों ने अपनी जान बचाई, वही पराली उन्हें कठघरे में खड़ा कर रही है। किसान कह रहे हैं कि हवा शुद्ध तो हो। अफसरों को कौन समझाए कि प्रदूषित हवा से नुकसान सबको है।

इनको यह कौन समझाए?

पीडब्ल्यूडी के सहायक अभियंताओं में गजब की एकता है। यह प्रांत खंड के बड़े साहब को लेकर है। मजाल है कि बड़े साहब कुछ बोल दें। सहायक अभियंता के एक साथी की हां में सभी साथियों की हां होती है। एक-दूसरे की मंशा पर कोई सवाल नहीं उठाता। इस एकता के पीछे की कहानी पर पता चला कि बड़े साहब किसी पर भरोसा ही नहीं करते। छोटी हो या बड़ी, हर फाइल को पढ़कर ही हस्ताक्षर करते हैं। पन्ने पलटते रहें, हस्ताक्षर कराते रहें, परंपरा साहब के दफ्तर में खत्म हो गई है। यही बात सहायक अभियंताओं को अखर रही है। आपस में चर्चा पर साथी एक-दूसरे से कहते हैं कि ऐसा तो पहली बार देखा है। अरे, अपने मातहत पर आंख मूंदकर नहीं पर थोड़ा बहुत भरोसा तो करना चाहिए न लेकिन, दूध का जला छाछ भी फूंक-फूंककर पीता है। सहायक अभियंताओं को यह कौन समझाए?


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