मुजस्सम और रफी पर देशद्रोह के बाद लगा आइटी एक्ट
एमआइटी प्रकरण ने पूरे पुलिस सिस्टम को हिलाकर रख दिया है। घटना की मॉनीटङ्क्षरग सीधे गृह मंत्रालय से हो रही है।
मुरादाबाद, जेएनएन । एमआइटी प्रकरण ने पूरे पुलिस सिस्टम को हिलाकर रख दिया है। घटना की मॉनीटङ्क्षरग सीधे गृह मंत्रालय से हो रही है। पुलिस ने देशद्रोह के बाद मुजस्सम और रफी फारुख पर आइटी एक्ट की धाराएं भी बढ़ा दी हैं। मामले की विवेचना स्थानांतरण करने के बाद इंस्पेक्टर अपराध को सौंप दी गई है। मुजस्सम के वाट्सएप का डाटा रिकवर कर लिया है। उसकी चेट भी पुलिस ने हासिल की है। माना जा रहा है कि रफी घटना के बाद दिल्ली या कश्मीर चला गया है। उसकी लास्ट लोकेशन पुलिस को दिल्ली की मिली है।
वाट्सअप डेटा भी किया गया रिकवर
सीओ राजेश कुमार ने बताया कि सोमवार को पुलिस ने देशद्रोह के बाद मुकदमे में आइटी एक्ट की धाराएं भी बढ़ा दी हैं। मुजस्सम का वाट्सएप डेटा भी रिकवर कर लिया गया है। पुलिस को सबूत मिल गए कि मुजस्सम और रफी ने आइटी एक्ट का उल्लंघन किया है। साथ ही विवेचना को दारोगा से हटाकर इंस्पेक्टर अपराध अवधेश को दे दी गई है। इंस्पेक्टर ने दोनों छात्रों की कॉल डिटेल मांग ली हैं। पड़ताल की जा रही है कि मुजस्सम को वाट्सएप पर सल्लू ने पाक जिंदाबाद की फोटो भेजी थी, जिसे उसने अपने वाट्सएप स्टटेस पर लगा लिया था। दो छात्रों ने मुजस्सम को यह लगाने से रोका भी था, वह छात्र स्कूल के ही हैं। रफी फारुख की अंतिम लोकेशन दिल्ली में दिखाई देने के बाद से मोबाइल नंबर बंद आ रहा है। रफी के दूसरे साथियों से भी पुलिस ने पूछताछ की है। बताया गया कि रफी कश्मीर की राजनीति में भी अक्सर भाग लेता है। प्रत्येक मामले में कमेंट कर सोशल साइट्स पर डालता था। पुलिस रफी के फेसबुक, ट्विटर अकाउंट की तलाश कर रही है। पुलिस के मुताबिक, रफी ने अपना एक फेसबुक अकाउंट डिलीट कर दिया है। मुरादाबाद में तैयार किया अकाउंट ही काम कर रहा है।
मुजस्सम के परिवार के बयान दर्ज
पाकबड़ा पुलिस ने मुजस्सम के परिवार और ग्रामीणों से भी पूछताछ की है। अभी तक पुलिस को कोई ऐसा प्रमाण नहीं मिला है कि मुजस्सम किसी गतिविधि में शामिल था। हालांकि, खुफिया एजेंसी इसकी तह तक जाने के लिए काम कर रही हैं। परिवार के लोगों ने बताया कि मुजस्सम से नादानीवस ऐसा हुआ है। उसका देश के लोगों को आहत करने का कोई इरादा नहीं था। उन्होंने कहा कि ङ्क्षहदुस्तान ही हमारा मुल्क है।
एक गलती जम्मू-कश्मीर के छात्रों पर भारी
एमआइटी में शनिवार को वाट्सएप स्टेटस पर पाकिस्तान जिंदाबाद लिखने को लेकर बवाल हुआ था। पाकिस्तान जिंदाबाद मुरादाबाद के एक छात्र ने लिखा और जम्मू कश्मीर के छात्र द्वारा ब्लैक डे मनाने का मामला भी सामने आया। इसके बाद एमआइटी कॉलेज ने कार्रवाई करते हुए कश्मीर के छात्रों के कॉलेज में प्रवेश पर रोक लगा दी। छात्र की एक गलती जम्मू-कश्मीर के अन्य छात्रों पर भारी पड़ गई।
कॉलेज प्रशासन के फैसले पर खड़े हो रहे सवाल
कॉलेज प्रशासन के फैसले पर अब सवाल भी खड़े हो रहे हैं। सवाल यह हैं कि गलती दोनों जगहों के छात्रों ने की तो कार्रवाई की गाज जम्मू-कश्मीर के छात्रों पर ही क्यों गिरी। एक छात्र की गलती का खामियाजा अन्य छात्र क्यों भुगतें। जिनका इस घटना से कोई लेना देना नहीं है। इस मामले में एमआइटी के निदेशक डॉ. भानु प्रताप सिंह ने कहा कि राष्ट्रहित और कॉलेज की सुरक्षा सर्वोपरि है। इसके तहत यह फैसला लिया गया है। जिससे कि आने वाले समय में ऐसी किसी भी प्रकार की घटना से बचा जा सके। उन्होंने कहा कि आल इंडिया काउंसिल ऑफ टेक्निकल एजुकेशन (एआइसीटीई) के नियम के मुताबिक जम्मू-कश्मीर के छात्रों का प्रवेश लेना कॉलेजों पर निर्भर है। इसके लिए कोई बाध्यता नहीं है। जिसके बाद यह फैसला लिया गया है।
सजा व्यक्तिगत होनी चाहिए सामूहिक नहीं
यह फैसला संवैधानिक और कानूनी रूप से गलत है। भारतीय संविधान में ऐसी व्यवस्था नहीं है,कि किसी एक व्यक्ति की सजा सामूहिक रूप से दी जाए। जम्मू-कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है। भारत सरकार ने विशेष राज्य का दर्जा भी दिया है। सजा व्यक्तिगत होनी चाहिए सामूहिक नहीं।
-पीके गोस्वामी, अधिवक्ता।
यह फैसला विधिक रूप से गलत
एमआइटी प्रशासन का यह फैसला विधिक रूप से गलत है। गलती एक छात्र ने की है, इसका मतलब यह नहीं कि सभी दोषी हैं। मामले में पुलिस जांच कर रही है। एमआइटी प्रशासन को फैसले पर विचार करना चाहिए। जम्मू-कश्मीर के छात्र भी भारत का ही हिस्सा हैं, बाहर के नहीं।
-डॉ. अजय सिंह, एसोसिएट प्रोफेसर, विधि विज्ञान, केजीके कॉलेज।