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मुरादाबाद के म्यूजियम में आजादी का बम

मुरादाबाद (श्रीशचंद्र मिश्र) : बात जब आजादी की हो और जुबा पर नाम शहीद शिरोमणि चंद्रशेखर आ

By JagranEdited By: Published: Thu, 16 Aug 2018 07:25 AM (IST)Updated: Thu, 16 Aug 2018 07:25 AM (IST)
मुरादाबाद के म्यूजियम में आजादी का बम

मुरादाबाद (श्रीशचंद्र मिश्र) : बात जब आजादी की हो और जुबा पर नाम शहीद शिरोमणि चंद्रशेखर आजाद का आए, तो खून का उबाल खाना तय है। देश के युवाओं को इस कदर उद्वेलित करने वाले भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के नायक आजाद आज भी युवा दिलों की धड़कन हैं। मा भारती का यह सच्चा सपूत उन भारतीयों के लिए प्रेरणास्त्रोत है, जो देश पर सर्वस्व न्योछावर को आतुर हैं। मिलता है आजाद को याद करने का अवसर

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मुरादाबाद की डॉ. भीमराव आबेडकर पुलिस अकादमी अनूठा संग्रह स्वतंत्रता दिवस के मौके पर चंद्रशेखर आजाद को याद करने का स्वर्णिम अवसर मुहैया कराती है। उनकी शौर्य गाथा को नए सिरे से समझने का अवसर देती है। यह छिपी बात नहीं कि पुलिस अकादमी का संग्रहालय ऐतिहासिक धरोहरों की खान है। उनमें से ही एक वह हैंड ग्रेनेड भी है, जिसका उपयोग देश की आजादी के लिए चंद्रशेखर आजाद करने वाले थे। इत्तफाक से आजाद का जिंदा हैंड ग्रेनेड अक्टूबर 1930 में अंग्रेजों के हाथ लग गया। आजाद भारत में यूपी के तत्कालीन मुख्यमंत्री हेमवंती नंदन बहुगुणा को यह हैंड ग्रेनेड उपहार स्वरूप सौंपा गया। हैंड ग्रेनेड के मुरादाबाद आने की कहानी

मुरादाबाद की नौंवी वाहिनी पीएसी का अतीत देश की आजादी से भी पुराना है। इसकी स्थापना विशेष पुलिस बल के रूप में अंग्रेजों ने की थी। एसपीएफ जवानों के कंधे पर भारत- चीन सीमा की रक्षा का भार था। वर्ष 1991 तक एसपीएफ के जवान देश की सरहद पर आईटीबीपी के साथ तैनात रहे। 1991 में यूपी की सरकार ने एसपीएफ का समायोजन पीएसी में करते हुए इसे नौवीं वाहिनी पीएसी का नाम दे दिया। नौवीं वाहिनी पीएसी के मुताबिक वर्ष 2006 से पूर्व उसके पास आयुध अस्त्र का बड़ा संग्रह था। इसमें आजाद का हैंड ग्रेनेड भी था। यूपी पुलिस का संग्रहालय स्थापित होने के बाद नौवीं वाहिनी पीएसी ने हैंड ग्रेनेड 18 नवंबर 2006 को पुलिस अकादमी के सुपुर्द कर दिया। तब से लेकर आज तक आजाद का हैंड ग्रेनेड जंगे आजादी की दास्तान बता रहा है। आजाद की तरह जुदा है ग्रेनेड

चंद्रशेखर आजाद की कार्यशैली यदि करीब से समझनी हो तो दीदार उनके हैंड ग्रेनेड का करें। जानकार बताते हैं आजाद का हैंड ग्रेनेड सामान्य से छोटा जरूर है, लेकिन उसकी गुणवत्ता व मारक क्षमता में कोई कमी नहीं रही होगी। विशेषज्ञों की मानें तो हैंड ग्रेनेड उतना ही घातक रहा होगा, जितना कि आज के ग्रेनेड हैं। छोटे आकार के ग्रेनेड का इस्तेमाल क्रांतिकारी स्वयं की सुरक्षा के लिए करते थे। क्या है 36 हैंड ग्रेनेड

पुलिस अकादमी के आरआई मंगल सिंह बताते हैं कि हाई एक्सप्लोसिव नंबर 36 हैंड ग्रेनेड है। इसकी बॉडी का कुछ भाग कटा रहता है। जिन्दा ग्रेनेड का इस्तेमाल एंटी पर्सनल वेपन के तौर पर होता है। यह ग्रेनेड फटने के बाद आठ मीटर परिधि में आदमी को जान से मार सकता है। 270 मीटर तक की परिधि में जख्मी कर सकता है। ग्रेनेड का औसत वजन एक पौंड 10.5 औंस होता है। चार सेकेंड वाले इग्निटर सेट में कैप चैम्बर के ऊपर रिंग बने होते हैं। सात सेकेंड वाले इग्निटर सेट पर रिंग नहीं होते। फटने के बाद ग्रेनेड में छोटे छोटे स्पि्लन्टर आसानी से बनें, इसलिए उसमें 36 झिरिया काटी जाती हैं। एक सामान्य जवान ग्रेनेड 25 से 35 गज दूर तक फेंक सकता है।


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