घर पहुंचने की जल्दी में पांव के छाले भी भूले श्रमिक, सड़कों पर बिलबिलाती रही भूख Moradabad News
हर किसी की जुबां पर था किसी तरह घर पहुंचे और देखें अपनों का चेहरा । रुखी-सूखी रोटी घर की ही अच्छी अब बाहर जाने की नहीं करेंगे गलती ।
मुरादाबाद,जेएनएन। परिवार की खुशियों के लिए परदेश में मेहनत करने वाले मेहनतकश लोग शायद ही ङ्क्षजदगी के ये दिन भूल पाएंगे। रात-दिन की गाढ़ी कमाई इकट्ठा करके घर वालों को भेजनी थी लेकिन, लॉकडाउन के बाद जितने दाम पर जो सामान मिला खरीदकर खा लिया। घर आने की जुगत भी लगाते रहे। आलम ये हो गया कि जिसे जैसे जितनी दूर की सवारी मिली वो वहीं तक के लिए बैठ गया। उसके बाद खुद ही बच्चों को गोद में लेकर पैदल सफर तय किया।
धूप की तपिश से निकलने वाले पसीने की बूंदों से पांव के छालों का दर्द बढ़ भी गया तो भी उन्होंने हार नहीं मानी। जैसे तैसे घर आने के लिए सफर तय किया। पाकबड़ा के रहने वाले मुहम्मद नाजिम पत्नी नाजरीन और 11 माह के बेटे असद को लेकर मुरादाबाद तक आ गए। पांव में दर्द इतना था कि अब चलना भी दूभर हो गया था। पुलिस ने उन्हें एसएस चिल्ड्रेन एकेडमी में ठहराया। थर्मल स्क्रीङ्क्षनग के बाद उन्हें इंतजार था तो घर जाने का। बेटे ने भी रो-रोकर रुकना मुहाल कर दिया था। रात में मच्छरों की वजह से आंखों की नींद भी उड़ चुकी थी। जयपुर से मुरादाबाद तक का सफर पैदल तय किया तो रातभर बच्चे को बहलाते हुए गुजरी। नाजिम का कहना है आधी ही रोटी खा लेंगे लेकिन, अब परदेश मेहनत करने नहीं जांएगे। बीवी बच्चों की ङ्क्षजदगी खतरे में पड़ गई। लॉकडाउन के ये दिन पूरी ङ्क्षजदगी नहीं भूल पाएंगे। घर से मां का फोन लगातार आ रहा है। मां लगातार रो रही है।
मुरादाबाद तक दो लाख में आई बस
लॉकउाउन में हर एक को किसी भी कीमत पर घर पहुंचना है। हैदराबाद में काम करने वाले मुरादाबाद, रामपुर, अमरोहा और कांठ के लोगों ने एक बस बुक की थी। बस संचालक ने मुरादाबाद तक पहुंचाने के लिए एक लाख 80 हजार रुपये में बस तय की। एक सवारी को 5300 रुपये अदा करने पडे। चक्कर की मिलक निवासी 17 साल के आशु और हरथला के युवक ने 10 हजार 600 रुपये मुरादाबाद तक के अदा किए। वो भी रामपुर दोराहे पर छोड़कर चला गया।
एसएस चिल्ड्रन एकेडमी में आने वाले सभी श्रमिकों की थर्मल स्क्रीङ्क्षनग की जा रही है। इनमें से किसी को बुखार नहीं है। इनके साथ बच्चे भी है। सभी को ठहराया गया था। पूरी जानकारी करने के बाद उनके क्षेत्र की तहसील भेज दिया गया है। -- डॉ.जीएस मर्तोलिया, अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी