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रामपुर में नवाब खानदान की जमीन पर अवैध निर्माण, पूर्व मंत्री ने की ध्‍वस्‍त कराने की मांग

Rampur Nawab family नवाब खानदान में एक ओर जहां बंटवारे की प्रक्रिया चल रही है वहीं कुछ लोग उनकी जमीनों पर अवैध कब्‍जा भी करते जा रहे हैं।

By Narendra KumarEdited By: Published: Thu, 10 Sep 2020 05:07 PM (IST)Updated: Thu, 10 Sep 2020 05:07 PM (IST)
रामपुर में नवाब खानदान की जमीन पर अवैध निर्माण, पूर्व मंत्री ने की ध्‍वस्‍त कराने की मांग
रामपुर में नवाब खानदान की जमीन पर अवैध निर्माण, पूर्व मंत्री ने की ध्‍वस्‍त कराने की मांग

रामपुर, जेएनएन। नवाब रजा अली खां के बेटे नवाबजादा आबिद अली खां की जमीन पर अवैध प्लाटिंग रोके जाने और निर्माण को ध्वस्त कराने को लेकर पूर्व मंत्री नवाब काजिम अली खां उर्फ नवेद मियां सक्रिय हो गए हैं। उन्होंने गुरुवार को उपजिलाधिकारी सदर से मिलकर जमीन से संबंधित दस्तावेज सौंपे।

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जिलाधिकारी और अपर जिलाधिकारी को भी पत्र लिखकर कार्रवाई की मांग की है। नवेद मियां ग्राम ताशका में विवादित भूमि पर भी पहुंचे, जहां उन्हें विशाल मार्केट और होटल का निर्माण होता मिला। साथ ही प्लाटिंग भी की जा रही थी। नवेद मियां ने यहां कार्य में जुटे लोगों से आरडीए से मंजूरी और एनओसी दिखाने को कहा तो सब खिसक लिए और कोई कागज नहीं दिखा सके। इसके बाद वह उपजिलाधिकारी सदर प्रवीण वर्मा से मिले और जमीन पर अपने चाचा आबिद अली खां के वारिसान का दावा जताते हुए दस्तावेज पेश किए। नवेद मियां ने कहा कि नवाबजादा आबिद अली खां ने कोई इच्छा पत्र नहीं लिखा था। उनके अलावा किसी को इस जमीन की रजिस्ट्री का अधिकार भी नहीं था। पूरी जमीन पर अवैध कब्जा है और कूटरचित दस्तावेजों के आधार पर इन्द्राज हुए हैं, जो कि गंभीर अपराध है। उन्होंने कहा कि जमीन कब्जाने वालों के पास कोई साक्ष्य नहीं है। नवेद मियां ने अपर जिलाधिकारी जेपी गुप्ता से बात कर उन्हें भी इस जमीन पर अवैध निर्माण और प्लाटिंग के बाबत अवगत कराया है। उन्होंने जिलाधिकारी आन्जनेय कुमार सिंह को भेजे पत्र के साथ इस जमीन पर हुए अवैध निर्माण के फोटो भी भेजे हैं। उन्होंने जिलाधिकारी से भी कार्रवाई की मांग की है। उन्होंंने बताया कि ग्राम ताशका में 12.8860 हेक्टेयर जमीन उनके चाचा नवाबजादा आबिद अली खां की थी। उनके वारिसान जर्मनी में हैं। भूमाफिया ने इस जमीन पर अवैध कब्जा कर निर्माण और प्लाटिंग शुरू कर दी है। इन लोगों का न तो मालिकाना हक है। न आरडीए की स्वीकृति है और न ही एनओसी ली गई है।


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