सम्भल के हिस्ट्रीशीटर ने बनवा लिया पासपोर्ट, ईद पर की थी फायरिंग, मुरादाबाद और अमरोहा में दर्ज हैं मुकदमे
History Sheeter of Sambhal सम्भल जनपद के सदीरनपुर के पूर्व प्रधान व हिस्ट्रीशीटर बदमाश कासिम ने फर्जी आइडी दूसरे स्थान की बनवाकर पासपोर्ट बनवा लिया। पासपाेर्ट वर्ष 2018 में बनवाया गया था और इसमें बदमाश ने अपने आप को सम्भल के मुहल्ला चमन सराय निवासी बताया था।
सम्भल, जेएनएन। History Sheeter of Sambhal got Passport on Fake ID : उत्तर प्रदेश के सम्भल जनपद के सदीरनपुर के पूर्व प्रधान व हिस्ट्रीशीटर बदमाश कासिम ने फर्जी आइडी दूसरे स्थान की बनवाकर पासपोर्ट बनवा लिया। यह पासपाेर्ट वर्ष 2018 में बनवाया गया था और इसमें बदमाश ने अपने आप को सम्भल के मुहल्ला चमन सराय निवासी बताया था। जबकि वह असमोली थाना क्षेत्र के गांव सदीरनपुर का रहने वाला है। ईद के दिन भी गोली चलाई थी जिसमें पुलिस ने इसके खिलाफ मुकदमा दर्ज किया था। पासपोर्ट बनवाने के लिए उसने आधार कार्ड का इस्तेमाल किया था।
गांव सदीरनपुर निवासी कासिम पूर्व प्रधान होने के साथ असमोली थाने का हिस्ट्रीशीटर है। इसके खिलाफ जनपद मुरादाबाद और अमरोहा में भी मुकदमे दर्ज है। हाल ही में ईद दिन भी इसने मामूली बात को लेकर गांव में फायरिंग की थी। उसके बाद इसने कोर्ट में आत्मसमर्पण कर दिया था। तभी से वह जेल में है, लेकिन अब इसके नए मामले का खुलासा हुआ है। वर्ष 2018 में फर्जी आइडी बनवाई। उस आइडी में कासिम ने अपने आप को सम्भल के मुहल्ला चमन सराय का निवासी बताया। उसी फर्जी आइडी के माध्यम से उसने अपना पासपोर्ट बनवा लिया।
पासपोर्ट बनवाने के लिए उसने आधार कार्ड का इस्तेमाल किया था। जांच के दौरान भी पुलिस को यह नहीं पता चला कि यह फर्जी आइडी के माध्यम से पासपोर्ट बना है। अब पुलिस को जानकारी हुई तो थाना पुलिस ने पासपोर्ट को निरस्त करवाने के लिए उच्च अधिकारियों को रिपोर्ट भेजी है। प्रभारी निरीक्षक विद्युत गोयल ने बताया कि फर्जी आइडी बनवाकर इसने पासपोर्ट बनवाया था। उसे निरस्त करने के लिए उच्च अधिकारियों को रिपोर्ट भेज दी गई है। इसके सात मुकदमे भी दर्ज है।
पासपोर्ट बनवाने में इतने चेक प्वाइंट्स के बाद भी पकड़ में नहीं आया : जो भी पासपोर्ट बनवाना चाहता है उसे पहले आनलाइन आवेदन करना होता है। इसके बाद पासपोर्ट कार्यालय से पुलिस के पास जांच आती है। जांच में संबंधित सभासद व ग्राम प्रधान को यह लिखकर देना होता है कि आवेदन करने वाला हमारे यहां का निवासी है। साथ ही पुलिस अपने केस रजिस्टर में देखती है कि आवेदनकर्ता के खिलाफ कोई मुकदमा दर्ज तो नहीं है। इसके बाद ही पासपोर्ट बनता है। जबकि कासिम की आइडी भी फर्जी बनी हुई थी उसके बाद भी पुलिस की जांच रिपोर्ट में वह पकड़ में नहीं आया।