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रामपुर ने तय किया ऐतिहासिकता से आधुनिकता तक का सफर

नवाबों के शहर रामपुर ने पिछले कुछ सालों में ऐतिहासिकता से आधुनिकता का सफर तय किया।

By JagranEdited By: Published: Wed, 31 Oct 2018 11:05 AM (IST)Updated: Wed, 31 Oct 2018 11:05 AM (IST)
रामपुर ने तय किया ऐतिहासिकता से आधुनिकता तक का सफर
रामपुर ने तय किया ऐतिहासिकता से आधुनिकता तक का सफर

मुरादाबाद : नवाबों के शहर रामपुर ने पिछले कुछ सालों में ऐतिहासिकता से आधुनिकता का सफर तय किया है। यह वह ऐतिहासिक शहर है, जहां आजादी से पहले कभी नवाबों ने राज किया। इसके साथ ही शहर की धरोहर, सभ्यता और इतिहास का संरक्षण किया। ऐतिहासिक धरोहर की बात करें तो रामपुर रजा लाइब्रेरी का जिक्र सबसे पहले आता है। इसे देश की ही नहीं, बल्कि दक्षिण मध्य एशिया की प्रसिद्ध लाइब्रेरी का मुकाम हासिल है। यह लाइब्रेरी में इंडो-इस्लामिक विद्या के साथ प्राचीन दुर्लभ पांडुलिपियों के संग्रह के लिए जानी जाती है। यहां जैसा किताबों का संग्रह अन्य किसी पुस्तकालय में नहीं है। लाइब्रेरी से है पहचान इसे नवाब फैजुल्लाह खां द्वारा वर्ष 1774 में स्थापित किया गया था। वर्तमान में यह केंद्र सरकार के अधीन है। राज्यपाल लाइब्रेरी बोर्ड के अध्यक्ष होते हैं। लाइब्रेरी के बाद गांधी समाधि भी रामपुर की पहचान है। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की मृत्यु के बाद 11 फरवरी 1948 को उनकी अस्थियां नवाब दिल्ली से यहां कलश में भरकर लाए थे। उनकी अस्थियों का कुछ हिस्सा कोसी नदी में विसर्जित कर दिया गया। शेष अस्थियों को चांदी के कलश में रखकर यहां दफन कर दिया गया था। दिल्ली के बाद सिर्फ रामपुर ही ऐसा शहर है, जहां गांधी समाधि है। समय के साथ इसका सुंदरीकरण हुआ। सपा सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे आजम खां ने करीब 14 करोड़ से गांधी समाधि का सुंदरीकरण कराया। इसकी बदौलत वर्तमान में गांधी समाधि दर्शनीय स्थल बन गई है। इसके अतिरिक्त रामपुर का किला, इमामबाड़ा, जामा मस्जिद, कोठी खासबाग आदि यहां की ऐतिहासिक धरोहर हैं। इन प्राचीन इमारतों में मुगलकालीन वास्तुकला के दर्शन होते हैं। हालांकि इनकी लाइब्रेरी या गांधी समाधि की तरह देखभाल नहीं हो सकी। उपेक्षा के चलते ये इमारतें खंडहर होती जा रही हैं। बीते सालों में कितना बदला रामपुर पहले के रामपुर से अब के रामपुर की तुलना करें तो काफी कुछ बदल चुका है। नगर का काफी हद तक सुंदरीकरण हुआ है। सड़कें चौड़ी और खूबसूरत हो चुकी हैं। जौहर और शौकत मार्ग फोरलेन होने के साथ ही इस पर शानदार लाइटें लगाई गई हैं। नगर पालिका का पुराना भवन टूटकर नया बन चुका है, जो मिनी संसद भवन की तर्ज पर बना है। पहले आबादी के बीच छोटा सा बस अड्डा था। इसके स्थान पर मालगोदाम तिराहे के पास बड़ा बस अड्डा बन गया है। बस अड्डा जहां बना है, वहां से एक गेट दिल्ली-लखनऊ हाईवे और दूसरा नैनीताल हाईवे पर खुलता है। बात स्वास्थ्य सेवाओं की करें तो यहां का जिला अस्पताल भवन इतना आलीशान है कि आसपास के किसी जिले में ऐसा भवन नहीं होगा। जिला अस्पताल में ईसीजी, सीटी स्कैन, रंगीन एक्सरे, रंगीन अल्ट्रासाउंड आदि की सुविधा उपलब्ध है। पहले यहां सीएचसी और पीएचसी की संख्या आठ थी, लेकिन छह नई अर्बन पीएचसी खुल चुकी है। वर्तमान में यहां 16 एम्बुलेंस हैं, जो सड़क हादसों में घायलों के अलावा गंभीर रोगियों के लिए वरदान सिद्ध हो रही हैं। गर्भवतियों को स्वास्थ्य केंद्र तक लाने के लिए कई 102 एम्बुलेंस भी यहां मौजूद हैं। बाजारीकरण की दिशा में कई नामचीन कंपनियों के शोरूम खुल चुके हैं। बड़े आलीशान शॉ¨पग काम्पलेक्स खुल चुके हैं। यहां फैशन से लेकर घरेलू आवश्यकताओं का सामान खरीदा जा सकता है। पेयजल व्यवस्था और साक्षरता दर में भी आगे पहुंचा रामपुर पेयजल व्यवस्था में भी बीते सालों में काफी सुधार हुआ है। सपा सरकार में नगर विकास मंत्री रहे आजम खां ने इतने ओवरहैड टैंक और नलकूप लगाए हैं कि 50 साल तक पेयजल की समस्या नहीं रहेगी। उनके कार्यकाल में 50 एचपी के लगभग 15 पम्प लगाये गए हैं। पांच ओवरहेड टैंक भी बन चुके हैं, जिनसे नगर में पेयजल व्यवस्था में सुधार आया है। इसके अलावा लगभग 50 किलोमीटर लम्बी लाइन भी डाली जा चुकी है। इसके अतिरिक्त नगर की 325313 जनसंख्या की साक्षरता दर में भी काफी वृद्धि हुई है। पहले जहां यह दर 50 प्रतिशत से नीचे थी वहीं वर्ष 2011 के आंकड़ों के अनुसार अब यह दर 59.47 प्रतिशत पर पहुंच चुकी है। भरपूर हुआ विकास, नहीं मिला रोजगार रामपुर में सपा सरकार में विकास के कई ऐसे काम हुए, जो सत्ता परिवर्तन के बाद रुक गए हैं। लोगों की मूलभूत सुविधाओं से लेकर पर्यटन तक के लिए इंतजाम किए। पुलिस लाइन के पास करीब डेढ़ किलोमीटर लंबी झील और पक्षी विहार भी बनवाया। शहर में गांधी माल और कई मार्केट बनवाईं। करीब दो सौ करोड़ से स्पोर्टस स्टेडियम का निर्माण भी बनाया जा रहा है। करीब सौ करोड़ की लागत से शहर में गरीबों के लिए आसरा आवास भी बनाए गए हैं। यहां पानी की इतनी टंकिया बनवा दी गई हैं कि अगले चालीस साल तक पेयजल की दिक्कत नहीं होने पाएगी। इसी तरह बिजली व्यवस्था में भी सुधार किया जा रहा है। शंकरपुर में नया बिजलीघर बनाया गया है। शहर में बिजली लाइनों को भी अंडरग्राउंड किया जा रहा है। नक्षत्रशाला से पुलिस लाइन तक ओवरब्रिज का निर्माण कराया गया है। इस सबके बावजूद शहर में रोजगार के संसाधनों की कमी बनी रही। कोई बड़ा कारखाना नहीं लग सका। इसके अलावा सपा सरकार में शुरू हुए कई विकास कार्य भी सत्ता परिवर्तन के बाद रुके हुए हैं। इनमें लालपुर पुल का निर्माण, पनवड़िया रेलवे क्रॉ¨सग पर ओवरब्रिज आदि शामिल हैं।

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