जिंदगी की पिच पर गरीबी से हारा गोविंद
जागरण संवाददाता, मुरादाबाद : पापा मैं बड़ा खिलाड़ी बनूंगा। पूरे विश्व में खेल में नाम कमाऊंगा
जागरण संवाददाता, मुरादाबाद :
पापा मैं बड़ा खिलाड़ी बनूंगा। पूरे विश्व में खेल में नाम कमाऊंगा। इसके लिए मुझे चाहे जितनी मेहनत करनी पड़े, मैं करूंगा। यह सुन पापा ने बेटे के हौसले को सराहा और बेटे के सपने को उड़ान देने के लिए कदम कदम पर साथ दिया। दुर्भाग्यवश वह बड़ा खिलाड़ी नहीं बन पाया। फिर भी उसने पूरा जीवन खेल के लिए कुर्बान कर दिया। हार गया वह अपनी बीमारी से, अपनी जिंदगी से और दे दी अपनी जान। यह दास्तां है क्रिकेट में अंपाय¨रग करने वाले मझोला थाना क्षेत्र के कांशीराम नगर के सी ब्लाक में रहने वाले 52 वर्षीय गोविंद सिंह की है। उनकी मौत सिस्टम पर भी सवालिया निशान लगाती है।
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परिवार में थे सबसे छोटे
-अविवाहित गोविंद परिवार में सबसे छोटे थे। उनके बड़े भाई जय सिंह और दूसरे नंबर के भाई गोपाल सिंह हैं। बीते साल के मई महीने में गोविंद के बड़े भाई गोपाल का निधन हो गया था। पूरा परिवार अभी दुख से उबर भी नहीं पाया था कि गोविंद की मौत से परिजनों में एक बार फिर दुखों का सैलाब उमड़ पड़ा है।
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तन्हा रहता था गोविंद
-भाई जय सिंह ने बताया कि गोविंद अकेला रहता था। कई साल पहले उसे मुंह का कैंसर हो गया। वह किसी से मदद नहीं मांगता था। उसके तन्हा जीवन का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि गोविंद की मौत पर उसके घर में केवल उसकी जवानी की फोटो ही बमुश्किल मिल पायी। जिसमे वह परिजनों के साथ काफी खुश नजर आ रहा है। जीवन यापन के लिए गोविंद अंपाय¨रग करता था। हादसे के दौरान घर में कीर्तन चल रही थी।
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सिस्टम पर सवाल
-यदि सिस्टम ने गोविंद की मदद की होती तो शायद वह आज हम सबके बीच होता। खेल के नाम पर हर वर्ष करोड़ो खर्च होने के बाद भी उसे कोई मदद न मिली और गरीबी, तंगहाली से पीड़ित आकर उसके अपनी जान दे दी। न जाने हमारा समाज कब तक ऐसे गोविंद को सिस्टम की अनदेखी से खोता रहेगा।
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