रामपुर नवाब खानदान की 300 करोड़ की संपत्ति पर भारत सरकार ने जताया दावा, कोर्ट से कब्जा दिलाने की मांग
पाकिस्तान के पूर्व एयर चीफ मार्शल स्वर्गीय अब्दुल रहीम खान की पत्नी मेहरुन्निशा बेगम की रामपुर में करीब 300 करोड़ की संपत्ति है। भारत सरकार के सह अभिरक्षक शत्रु संपत्ति ने रामपुर जिला जज की अदालत में इस पर दावा जताया है। साथ ही कब्जा दिलाने की मांग की है।
रामपुर, मुस्लेमीन। पाकिस्तान के पूर्व एयर चीफ मार्शल स्वर्गीय अब्दुल रहीम खान की पत्नी मेहरुन्निशा बेगम की रामपुर में करीब 300 करोड़ की संपत्ति है। भारत सरकार के सह अभिरक्षक शत्रु संपत्ति ने रामपुर जिला जज की अदालत में इस पर दावा जताया है। साथ ही कब्जा दिलाने की मांग की है।
रामपुर में नवाब खानदान की 2,600 करोड़ से ज्यादा की संपत्ति के बंटवारे की प्रक्रिया चल रही है। सुप्रीम कोर्ट ने 31 जुलाई 2019 को शरीयत के हिसाब से बंटवारा करने के आदेश देते हुए जिम्मेदारी जिला जज को सौंपी। संपत्ति का सर्वे और मूल्यांकन का काम पूरा हो चुका है। किसे कौन सी संपत्ति दी जानी है, यह तय होना बाकी है। संपत्ति में कुल 18 पक्षकार थे। इनमें दो की मौत हो चुकी है।
इसमें सबसे बड़ा हिस्सा मेहरुन्निशा का बन रहा है। इस संपत्ति में उनका हिस्सा 7.292 फीसद है, जबकि उनकी मां तलत जमानी बेगम का 4.167 फीसद तय हो चुका है। उनकी मां का इंतकाल हो चुका है, इसलिए उनका हिस्सा भी इन्हें ही मिलेगा। दोनों का मिलाकर 11.459 फीसद हिस्सा बन रहा है और इतने हिस्से में करीब 300 करोड़ की संपत्ति आ रही है। मेहरुन्निशा रामपुर के आखिरी नवाब रजा अली खां की बेटी हैं।
जिला शासकीय अधिवक्ता राजीव अग्रवाल ने बताया कि भारत सरकार के सह अभिरक्षक की ओर से उन्होंने शुक्रवार को जिला जज की अदालत में प्रार्थना पत्र देकर उक्त संपत्ति पर दावा जताया है। अदालत से इस संपत्ति पर कब्जा दिलाने की मांग भी की गई है। मेहरुन्निशा के अधिवक्ता रमेश पाठक का कहना है कि वह इस पर आपत्ति दाखिल करेंगे। संपत्ति बंटवारे में 11 पक्षकारों के वकील एवं पूर्व जिला शासकीय अधिवक्ता हर्ष गुप्ता का कहना कि कोर्ट अब इस मामले का निस्तारण करेगी। इसके लिए अदालत में 14 जुलाई को सुनवाई होगी।
बता दें कि रामपुर में नवाब खानदान की 26 सौ करोड़ से ज्यादा की संपत्ति है, जिसके बंटवारे की प्रक्रिया चल रही है। मुहम्मद अली खान का 8.101 और निगहत बी का 4.051 फीसद हिस्सा है। इस तरह दोनों भाई-बहन का 12.14 फीसद हिस्सा बनता है। अन्य पक्षकारों का कुल हिस्सा 87.86 फीसद है। इनमें तलत फात्मा हसन का 2.025 फीसद, मेहताब जमानी बेगम उर्फ नूरबानो का 2.250, समन खान का 3.937, सबा दुर्रेज अहमद का 3.937, काजिम अली खां उर्फ नवेद मियां का 7.874 फीसद हिस्सा है।
इनके अलावा गिलेशिया मारिया अली खान का 1.822, मास्टर नदीम अली खान का 5.165, मास्टर रजा एंड्रेस अली खान का 5.165, सैयद सिराजुल हसन का 4.051, सैयदा ब्रिजिश लका बेगम का 8.999, सैयदा अख्तर लका बेगम का 8.999, सैयदा नाहिद लका बेगम 8.999, सैयदा कमर लका बेगम 8.999, सैयदा महरून्निशा बेगम का 7.292, कैसर जमानी बेगम का 4.167 व तलत जमानी बेगम का 4.167 फीसद हिस्सा है। अभी तक सारी संपत्ति पर मुहम्मद अली खां उर्फ मुराद मियां और इनकी बहन निगहत बी ही काबिज हैं। पहले इनके पिता मुर्तजा अली खां काबिज थे।
दरअसल, आखिरी नवाब रजा अली खां के बड़े बेटे मुर्तजा अली खां थे। राजशाही परंपरा के मुताबिक नवाब का बड़ा बेटा ही सारी संपत्ति का हकदार होता था। लेकिन, उनके भाई बहनों ने अदालत में मुकदमा दायर कर बंटवारा करने की मांग की। कहा कि जब राजशाही नहीं रही तो फिर राजपरंपरा के हिसाब से सारी संपत्ति पर किसी एक कब्जा भी नहीं हो सकता। सुप्रीम कोर्ट में उनकी बात को सही मानते हुए पिछले साल 31 जुलाई को शरीयत के हिसाब से बंटवारे के आदेश दिए।