भगवान भरोसे चल रहा सदर तहसील का बाढ़ नियंत्रण कक्ष, Moradabad news
रामगंगा में बढ़ते जलस्तर से कई गांव में खतरे की घंटी बज गई है। प्रशासनिक अफसर बाढ़ से निपटने के लिए लगातार दावे कर रहे हैं।
मुरादाबाद : रामगंगा में बढ़ते जलस्तर से कई गांव में खतरे की घंटी बज गई है। प्रशासनिक अफसर बाढ़ से निपटने के लिए लगातार दावे कर रहे हैं लेकिन, व्यवस्थाओं के नाम पर केवल खानापूर्ति की कोशिश की जा रही है। रामगंगा के जलस्तर से सदर तहसील क्षेत्र के सबसे ज्यादा गांव प्रभावित होते हैं। इसी तहसील क्षेत्र में शहर का बड़ा इलाका भी आता है। आपदा प्रबंधन प्रकोष्ठ के द्वारा जनपद में 34 बाढ़ चौकियों को स्थापित किया गया है,इसके साथ ही प्रत्येक तहसील में बाढ़ की सूचना और व्यवस्थाओं को नियंत्रित करने के लिए कंट्रोल रूम भी खोल दिए गए हैं। सदर तहसील में भी बाढ़ नियंत्रण कंट्रोल रूम बना है लेकिन, वहां बैठे कर्मचारियों को बाढ़ या व्यवस्थाओं से संबंधित कोई जानकारी नहीं है। दैनिक जागरण ने सोमवार को सदर तहसील पहुंचकर व्यवस्थाओं की पड़ताल की। इस दौरान नियंत्रण कक्ष में बैठे कर्मचारियों से उनके क्षेत्र में बाढ़ प्रभावित गांव की जानकारी मांगी,तो उन्होंने कहा कि उनके पास कोई जानकारी नहीं है। इसके साथ ही कंट्रोल रूम में कोई फोन भी नहीं लगा मिला,इन व्यवस्थाओं को देखकर इस बात का आसानी से अंदाजा लगाया जा सकता है,कि बाढ़ को लेकर प्रशासनिक अधिकारी कितनी मुश्तैदी से काम कर रहे हैं।
तीन दिनों में एक मीटर बढ़ा रामगंगा का जलस्तर
रामगंगा के जलस्तर में लगातार परिवर्तन हो रहा है। हालांकि अभी बारिश रुक-रुककर हो रही है,जिससे कोई बड़ा खतरा नहीं है। अगर बारिश लगातार होती है तो रामगंगा का जलस्तर कुछ दिनों में खतरे के निशान को पार कर सकता है। सोमवार को रामगंगा का जलस्तर 188.39 मीटर था,जबकि खतरे का निशान 190.60 मीटर पर स्थित है। रामगंगा अभी खतरे के निशान से लगभग दो मीटर नीचे बह रही है। वहीं गागन नदी का जलस्तर 189.30 रहा,जो खतरे के निशान 192 मीटर से लगभग तीन मीटर नीचे बह रही है।
ये बोले अधिकारी
उपजिलाधिकारी सदर तहसील श्रद्धा शांडिल्य ने कहा कि में बाढ़ नियंत्रण के लिए कंट्रोल रूम बना है। कंट्रोल रूम में 24 घंटे के लिए अलग-अलग शिफ्ट में कर्मचारियों की ड्यूटी लगाई गई है। बाढ़ नियंत्रण कक्ष के संचालन में कोई लापरवाही नहीं हो रही है। कर्मचारियों ने क्यों जानकारी नहीं दी,इस बारे में पता लगाकर उचित दिशानिर्देश जारी किए जाएंगे।
बाढ़ के खतरे से दहशत में ग्रामीण, नाव के भरोसे हो रही खेती
रामगंगा नदी का जलस्तर अभी खतरे के निशान से नीचे है। नदी किनारे बसे गांव और कालोनियों के लोग बाढ़ के खतरे को भांपकर अभी से आशंकित हैं। जिगर कालोनी और घोसीपुर में बना लकड़ी का पुल बह जाने से नाव के सहारे लोग अपनी खेती देखने के लिए जा रहे हैं। नदी उस पार बसे गांव के लोगों को भी शहर में आने के लिए नाव का सहारा लेना पड़ रहा है। जिगर कालोनी से दो एवं घोसीपुर के पास दो नाव लगाई गई हैं। जिगर कालोनी के पास दो और नाव चलाई जाएंगी। घोसीपुर एवं जिगर कालोनी के पास लकड़ी का पुल लगाया गया था जो पानी की तेज धार में बह गया। पुल बहने से गांव के लोगों को शहर में आने के लिए दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। साथ ही इसपार रहने वालों को भी अपनी खेती देखने के लिए नाव के सहारे ही नदी पार करनी पड़ रही है।