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मजार के सुंदरीकरण में ढाई करोड़ का घपला

मुरादाबाद। अकबर के राज्य में बतौर खजांची तैनात रहे गांव आजमपुर निवासी शाह अब्दुल गफूर शा

By JagranEdited By: Published: Mon, 09 Jul 2018 04:05 PM (IST)Updated: Mon, 09 Jul 2018 04:05 PM (IST)
मजार के सुंदरीकरण में ढाई करोड़ का घपला
मजार के सुंदरीकरण में ढाई करोड़ का घपला

मुरादाबाद। अकबर के राज्य में बतौर खजांची तैनात रहे गांव आजमपुर निवासी शाह अब्दुल गफूर शाह की ऐतिहासिक मजार के सुंदरीकरण के नाम पर ढाई करोड़ के घपले का मामला सामने आया है। इसकी शिकायत पर जांच के लिए लोक लेखा समिति के अध्यक्ष व पूर्व कैबिनेट मंत्री महबूब अली खुद आजमपुर पहुंच गए। खजांची के वंशजों ने आरोप लगाया कि पुरातत्व विभाग को मजार के सुंदरीकरण को करीब ढाई करोड़ का बजट मिला है, मगर उसका बंटरबाट किया जा रहा है। इसके बाद महबूब अली ने पुरातत्व निदेशक को पत्र भेजकर मामले की जांच कराने को कहा है।

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यहां स्थित है मजार

ऐतिहासिक दृष्टकोण से मंडी धनौरा थाना क्षेत्र स्थित गांव आजमपुर काफी समृद्ध है। सम्राट अकबर के नौ रत्नों में शामिल अबुल फजल व फैजी भी इसी गांव में पढ़े थे। वहीं इसी गांव के शाह अब्दुल गफूर शाह अकबर के राज्य में बतौर खजांची तैनात रहे। उन्हें आजमपुर गांव की रियासत में 36 हजार बीघे जमीन देकर पुरस्कृत भी किया था। श्री गफूर व उनकी पत्नी उम्मे हबीबा के इंतकाल के बाद गांव में ही उनकी मजार बना दी गई। खजांची के वंशज रफीक अली शाह का आरोप है कि श्री गफूर व उनके अन्य वंशजों के मकबरों के चारों ओर पहले ही चहारदीवारी बनवाई जा चुकी है। इसके बावजूद पुरातत्व विभाग के अधिकारी उसके अंदर दूसरी चहारदीवारी बनवाकर बजट का बंदरबांट कर रहे है जबकि मजार तक जाने का दो सौ मीटर का रास्ता तक सही नहीं कराया जा रहा। रफीक की शिकायत पर रविवार को विधानसभा की लोक लेखा समित के अध्यक्ष महबूब अली अपने एमएलसी पुत्र परवेज अली के साथ मौका मुआयना करने पहुंचे। एसडीएम धनौरा संजय बंसल ने बताया कि पुरातत्व संबंधी इमारतों का रखरखाव व उन पर खर्च होने वाले बजट से स्थानीय प्रशासन को कोई लेनादेना नहीं है। अगर उन्हें किसी तरह की गड़बड़ी की शिकायत मिली तो उसे पुरातत्व निदेशालय भेज दिया जाएगा।

ये बोले समिति के अध्यक्ष

लोकलेखा समिति, विधानसभा के अध्यक्ष महबूब अली ने कहा कि ऐतिहासिक मकबरे के सुंदरीकरण व मकबरे तक जाने के कच्चे रास्ते को दुरुस्त कराने के बजाय चहारदीवारी के अंदर दूसरी चहारदीवारी तैयार करने का मकसद समझ से परे है। पुरातत्व विभाग के निदेशक को पत्र भेजकर जांच कराने के लिए कहा है।


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