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Flood in Moradabad : ज‍िले के 35 गांव बाढ़ की चपेट में, फसलें बर्बाद होने से क‍िसान मायूस

Flood in Moradabad बाढ़ से जिले के करीब 35 गांव प्रभावित हैं। इन गांवों का जनजीवन प्रभावित हो गया है। किसानों की हजारों एकड़ धान की फसल नष्ट हो गई है। अब फसल के साथ-साथ ग्रामीणों को अपनी व मवेशियों की भी सुरक्षा की चिंता सता रही है।

By Narendra KumarEdited By: Published: Thu, 21 Oct 2021 05:49 AM (IST)Updated: Thu, 21 Oct 2021 05:49 AM (IST)
Flood in Moradabad : ज‍िले के 35 गांव बाढ़ की चपेट में, फसलें बर्बाद होने से क‍िसान मायूस
जनजीवन प्रभावित, किसानों के चेहरों पर मायूसी।

मुरादाबाद, जागरण संवाददाता। Flood in Moradabad : कोसी, रामगंगा और गांगन नदियों के पानी से जिले के करीब 35 गांव प्रभावित हैं। इन गांवों का जनजीवन प्रभावित हो गया है। पानी से बहाव ने फसलों को तबाह कर दिया। इससे किसानों के चेहरों पर मायूसी है। घरों में सांप-कीड़े घुस आए हैं। दवाओं का भी टोटा होने लगा है। मूंढापांडे, सिहोरा बाजे, मनकरा, बरवाला घाट, गणेश घाट गदीखेड़ा, वीरमपुर खेड़ा, दुपेड़ा, नवाबपुरा, पेपटपुरा विसाहट आदि क्षेत्र के करीब 23 गांवों में कोसी नदी का पानी घुस गया।

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कोसी नदी के पानी का सबसे अधिक कहर रामपुर की सीमा में बसे गांव गणेश घाट, सिहोरा बाजे, बरवाला खास आदि गांव में बरपा। यहां घरों में पानी घुस गया। इससे ग्रामीण घरों में कैद हो गए। ट्रैक्टर-ट्राली पर सवार होकर ग्रामीण इधर-से उधर गए। फसलें बुरी तरह से नष्ट हो गईं। बाढ़ के पानी से धान व उड़द की फसल पर सबसे अधिक असर पड़ा। गन्ने की फ़सल भी प्रभावित हो गई है। बुधवार को रामगंगा नदी व गांगन नदी के उफनाने से कुंदरकी क्षेत्र के शुमार जैतिया फिरोजपुर, जैतबाड़ा, बांकीपुर जटनी, बहापुर, अब्दुल्लापुर , सुल्तानपुर सहित 12 गांव प्रभावित हुए। इन गांव के किसानों की हजारों एकड़ धान की फसल नष्ट हो गई है। अब फसल के साथ-साथ ग्रामीणों को अपनी व मवेशियों की भी सुरक्षा की चिंता सता रही है। दवाएं लेने के लिए क्षेत्र के चिकित्सक शहर नहीं आ पा रहे हैं।

बाढ़ से प्रभावित क्षेत्र के क्रय केंद्रों में लटके ताले : दो दिन हुई लगातार बरसात में धान और उड़द आदि की फसल बर्बाद होने से किसान बर्बाद हो गए थे। अब बाढ़ ने और तबाही मचा दी है। इससे धान खरीद भी बुरी तरह से प्रभावित हो रही है। पिछले साल 64 धान क्रय केंद्र खोले गए थे। अभी तक सिर्फ 40 क्रय केंद्र खुले हैं। इन केंद्रों पर भी धान बेचने के लिए किसान नहीं पहुंच पा रहे हैं। अभी तक तीन क्विंटल की धान की खरीद भी नहीं हो सकी है। धान खरीद प्रभावित होने की सबसे बड़ी वजह बरसात ही बताई जा रही है। धान की कटी हुई फसल गलने लगी है। किसान किसी तरह अपनी फसल को समेटकर घरों तक ला रहे हैं। मुख्य विकास अधिकारी आनंद वर्धन का कहना है बरसात से फसलों को होने वाले नुकसान का आकलन करने के लिए लेखपालों को लगा दिया है। लेखपालों के माध्यम से फसलों का सर्वे कराने के बाद रिपोर्ट राजस्व परिषद को भेज दी जाएगी। बाढ़ से प्रभावित गांवों के किसानों की फसलों का भी सर्वे कराकर उन्हें मुआवजा दिलाया जाएगा। दवा की किसी गांव में कमी नहीं होगी। डेंगू से बचाव के लिए हमने व्यवस्था कर दी है। गांव-गांव इसके लिए शिविर लगाए जाने हैं।


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