महिला अस्पताल में महिला चिकित्सक ही नहीं, कैसे मिलेगा बेहतर इलाज
जिला महिला अस्पताल का भवन भले ही शानदार बना है लेकिन इसका फायदा महिला मरीजों को नहीं मिल पा रहा है।
रामपुर, जेएनएन। जिला महिला अस्पताल का भवन भले ही शानदार बना है, लेकिन इसका फायदा महिला मरीजों को नहीं मिल पा रहा है। उनके इलाज के लिए यहां महिला चिकित्सक ही नहीं हैं। महिला चिकित्सक के नौ पद खाली पड़े हैं। संविदा पर तैनात दो महिला चिकित्सक के सहारे अस्पताल चल रहा है।
संयुक्त भवन में चल रहा है अस्पताल
जिले में पुरुष और महिला अस्पताल संयुक्त भवन में चल रहा है। जिला अस्पताल आसपास के जिलों में भी अपनी शानदार बिङ्क्षल्डग के लिए जाना जाता है। तीन मंजिला इस अस्पताल में मरीजों के लिए लिफ्ट तक लगी है। शानदार भवन होने के बावजूद यहां संसाधनों का अभाव है। सबसे ज्यादा कमी मैन पावर की है। यहां न तो चिकित्सक पूरे हैं और स्टाफ की भी कमी है। जिला महिला अस्पताल की बात करें तो यहां चिकित्सकों के 11 पद हैं। बावजूद इसके यहां सिर्फ दो महिला चिकित्सक हैं। इनमें भी एक मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉ. अमिता शर्मा हैं, जबकि दूसरी गाइनोलॉजिस्ट डॉ. मैविश जहां हैं। गाइनोलॉजिस्ट द्वारा आपरेशन किए जाते हैं, लेकिन अकेले उनसे 24 घंटे ड्यूटी नहीं ली जा सकती है। अस्पताल में तीन स्त्री रोग विशेषज्ञ के पद भी स्वीकृत हैं और तीनों ही खाली चल रहे हैं। तीन अन्य परामर्शदाता के पद भी रिक्त पड़े हैं।
दो वृद्ध संविदा चिकित्सक संभाल रहीं अस्पताल
जिला महिला अस्पताल में डॉक्टरों की कमी को दो संविदा चिकित्सक पूरा कर रही हैं। इन दोनों के सहारे अस्पताल किसी तरह चल रहा है। खास बात यह है कि दोनों 70 साल आयु की हैं। इनमें एक डॉ. हलीमा खान हैं और दूसरी डॉ. सावित्री नरूला हैं। सरकार ने जिन अस्पतालों में महिला चिकित्सक की कमी है, वहां सेवानिवृत्त महिला चिकित्सकों की तैनाती के आदेश दिए थे। इसी आदेश के तहत दोनों महिला चिकित्सकों की यहां तैनाती की गई है।
सीएमएस का ये है कहना
महिला अस्पताल की मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉ. अमिता शर्मा बताती हैं कि अस्पताल में महिला चिकित्सकों की कमी के संबंध में हर 15 दिन में शासन को लिखा जा रहा है। अभी तक कोई तैनाती नहीं हुई है। चिकित्सकों की कमी के चलते यहां दो महिला चिकित्सक संविदा पर रखी हैं। दोनों ही इमरजेंसी ड्यूटी कर रही हैं और उनके द्वारा ही डिलीवरी की जाती है। इसके अलावा एक गाइनोलॉजिस्ट हैं, जो आपरेशन करती हैं।
काफी समय से चल रही है मांग
ऐसा नहीं है कि स्वास्थ्य महकमा यहां के चिकित्सकों की कमी से वाकिब नहीं है। कई बार पत्राचार भी किया जा चुका है। कई समाजसेवी संगठन भी आवाज उठा चुके हैं लेकिन अभी तक इस अहम समस्या पर संज्ञान नहीं लिया जा रहा है।
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