मुरादाबाद में तीन तलाक कानून के खौफ से जुड़ रहे टूटे रिश्ते, आंकड़े बयां कर रहे कहानी
Three divorce laws तीन तलाक कानून का डर अब असर दिखाने लगा। अब तीन तलाक से टूटने वाले रिश्तों को दोबारा से नया जीवन मिलने लगा है।
मुरादाबाद, जेएनएन। महिलाओं को जिंदगी भर के लिए दर्द देने वाले तीन तलाक पर बने कानून के खौफ से टूटे रिश्ते जुडऩे लगे हैं। मुकदमा लिखने के बाद पुलिस जब तीन तलाक बोलकर महिलाओं पर जुल्म करने वालों के पीछे दौड़ती है तो उन्हें बचने का रास्ता ही नजर नहीं आता। कई रिश्ते से कानून के खौफ से फिर से जुड़ गए हैं।
थाना मैनाठेर के गांव की एक लड़की को शौहर ने बुरी तरह सताया। उसकी शादी थाना कुंदरकी के जलालपुर गांव में हुई है। उसने तीन तलाक पति के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया। इसके बाद गांव के कुछ युवा उसके साथ इंसाफ दिलाने के लिए खड़े हो गए। पति के गांव के लोग भी पीडि़ता का साथ देने लगे। यह बात इसी महीने की है। पति यह कहकर पत्नी को घर ले गया कि उसने तलाक दिया ही नहीं। इतना ही नहीं विश्वास कायम रखने के लिए पति ने महिला के नाम घर भी करा दिया। पत्नी ने भी उसको माफ कर दिया। अब दोनों खुशी से रह रहे हैं।
कुंदरकी के काजीपुरा गांव के टेलर ने तीन बार तलाक कहकर साली से चक्कर में पत्नी से रिश्ता तोड़ लिया था। लेकिन, इसी बीच तीन तलाक पर मोदी सरकार ने कानून बना दिया। कानून के खौफ से फिर से टेलर को पत्नी से समझौता करना पड़ा। वरना मुकदमा लिखने की नौबत थी। टेलर ने शरीयत के हिसाब से फिर से पत्नी के साथ निकाह कर लिया। अब दोनों साथ हैं।
महिलाओं का हथियार बना कानून
महिला थाना प्रभारी ज्योति ङ्क्षसह ने बताया कि कानून बनने के बाद तीन तलाक के कुछ फर्जी मामले भी सामने आए। लेकिन, उन मामलों में काउंसिङ्क्षलग के जरिए समझौता करा दिया गया। जिन मामलों में मुकदमा लिखा गया। उनमें से भी 25 फीसद से ज्यादा मुकदमों में कानून के खौफ से समझौता हो रहा है।
केस-1
मुरादाबाद में कटघर के करूला निवासी एक महिला को उसके पति चांद ने जिला अस्पताल के बाहर सड़क पर ही तीन बार तलाक दे दिया। इसे लेकर महिला के भाई और पति में मारपीट हो गई। बाद में पुलिस ने आरोपित के खिलाफ मुकदमा लिखकर जेल भिजवा दिया। इस मामले में भी समझौता का प्रयास हुआ। लेकिन, बात नहीं बन पाई थी।
केस-दो
थाना गलशहीद के मुहल्ला असालतपुरा की एक महिला की शादी मुहल्ले के ही युवक से हुई थी। शादी के बाद पति उसकी आए दिन पिटाई करता था। पीडि़ता ने परिवार वालों को बताया तो उसे मायके ले आए। रिश्तेदारों के जरिए पति को समझाने की कोशिश की गई। लेकिन उसने किसी की एक नहीं सुनी। मुकदमा लिखते ही उसने समझौता कर लिया। अब पत्नी के साथ खुश है।
एक साल पहले बना था कानून
राष्ट्रपति ने तीन तलाक बिल को मंजूरी देने के बाद तीन तलाक कानून अस्तित्व में आया। तीन तलाक बिल 25 जुलाई 2019 को लोकसभा में और 30 जुलाई 2019 को राज्यसभा में पास हुआ। बिल के कानून बनने के बाद 19 सितंबर 2018 के बाद जितने भी मामले में तीन तलाक से संबंधित आए हैं, उन सभी का निपटारा इसी कानून के तहत किया गया। इस कानून के तहत तीन साल तक की सजा का प्रावधान है।