Sprinkler irrigation method : किसानों ने स्प्रिंकलर सिंचाई से बनाई दूरी, जानिए क्या है वजह
कृषि विभाग भी लगातार इस योजना का प्रचार प्रचार कर रहा है। इसके बाद भी किसान इस विधि का अपनाने के लिए तैयार नहीं है।
सम्भल, जेएनएन। जनपद में अभी भी सिंचाई अधिकतर निजी नलकूप से की जा रही है। जबकि सिंचाई की स्प्रिंकलर विधि भी काफी कारगर है। इसे बौछारी सिंचाई पद्धति भी कहा जाता है। सरकार के भारी अनुदान दिए जाने पर भी जनपद के किसान इसमें दिलचस्पी नहीं रहे हैं। किसान आज भी परंपरागत तरीके से ही सिंचाई करता आ रहा है। वह नलकूप के माध्यम से बाड़ अथवा नाली बनाकर सिंचाई करता है। इसमें 30 से 40 फीसदी पानी का नुकसान होता है। साथ ही समय भी काफी लगता है। जबकि सिंचाई की स्प्रिंकलर सिंचाई कर किसान अगर प्रयोग करे तो उसे काफी लाभ हो सकता है।
जिन क्षेत्रों में बारिश के पानी से ¨सचाई होती है वहां यह विधि काफी कारगर है। इस विधि में खेत में पाइप विछाकर नोजल के द्वारा ¨सचाई की जाती है। नोजल को पाइप में निश्चित दूरी पर लगाया जाता है। इसके ऊपर लगा फव्वारा चारों ओर घूमता रहता है। जिससे फसल को बारिश की तरह पानी मिलता है। इसमें विधि में सबसे खास बात यह है कि फसल को शत प्रतिशत पानी मिलता है। इसमें पानी की बर्बादी बहुत कम होती है। नलकूप से ऊंचे नीचे खेतों में सिंचाई करना दुश्वारी का काम है और पानी भी अधिक खर्च होता है। ऐसे खेतों के लिए यह विधि काफी कारगर मानी गई है। नर्सरी की सिंचाई के लिए भी यह उपयुक्त माना गया है। इसमें मुख्य रुप से मोटर, नोजल, फव्वारा व पाइप की खेत की लंबाई चौड़ाई के अनुसार जरूरत पड़ती है। पाइप खेत के अंदर दबे रहते है। शेष सामान किसान सिंचाई के बाद अपने घर ले जा सकता है। इसके लिए सरकार लघु सीमान्त किसानों को 90 फीसद तथा शेष किसानों को 80 फीसदी अनुदान दे रही है। इसके बाद भी जनपद के किसान इसमें दिलचस्पी नहीं दिखा रहे हैं।
गन्ने और धान की फसल में नहीं कारगर
स्प्रिंकलर से सिंचाई करने पर पानी बचाया जा सकता है। जिस क्षेत्रों में दलहन की खेती हो रही है वहां पर किसान इसका इस्तेमाल कर रहे हैं, लेकिन सम्भल जिले में न के बराबर ही किसानों ने अभी तक इसका ¨सचाई के लिए इस्तेमाल करना शुरू किया है। इसका मुख्य कारण यह है कि सम्भल जिले में धान, मक्का और गन्ने की खेती प्रमुख है।
बिजली आपूर्ति सुधरी, तो होने लगा पानी का दोहन
भाजपा सरकार में ग्रामीण क्षेत्रों में भी बिजली आपूर्ति में सुधार हुआ है। किसानों की सिंचाई भी आसानी से हो जा रही है। ऐसे तमाम किसान है जिनके पास जमीन कम है, लेकिन इसके बाद भी उन्होंने नलकूप लगा रखे और बिजली अधिक होने के चलते हर समय वह नलकूप को चलाते रहते है। अगर फसल को पानी की जरूरत भी नहीं है तब भी सिंचाई की जा रही है। इससे भारी मात्रा में पानी का दोहन हो रहा है।
सम्भल जिले में धान, गन्ना, मक्का की फसल अधिक होती है। इन फसलों को पानी की अधिक जरूरत है। इसलिए किसान स्प्रिंकलर से सिंचाई नहीं कर रहे हैं। किसानों को जागरूक किया जा रहा है। कुछ किसानों ने इसका इस्तेमाल करना शुरू कर दिया। 80 से 90 फीसद का अनुदान स्प्रिंकलर लगाने पर सरकार दे रही है।
डॉ. नरेंद्र प्रताप, जिला कृषि अधिकारी सम्भल।