किसानों के नौ सौ करोड़ रुपये दबाए बैठी हैं मंडल की चीनी मिलें
गन्ना किसानों की हालत पतली है। पिछले सीजन के गन्ने का अभी भुगतान नहीं मिला है। इसी क्रम में मिलों ने इस सीजन में खरीदे गन्ना का भुगतान भी नहीं किया है।
मुरादाबाद, जेएनएन। अन्नदाता की हालत में सुधार नहीं हो रहा है। सालभर जद्दोजहद व प्रदर्शन करने के बावजूद गन्ना किसानों की समस्याएं बरकरार हैं। चीनी मिलें पेराई सत्र 2017-18 का लगभग तीन सौ करोड़ व 2018-19 का छह सौ करोड़ रुपये से अधिक दबाए बैठी हैं। गन्ना मूल्य पर ब्याज देना तो दरकिनार 14 दिन में भुगतान करने के कानून को भी उन्होंने ताक पर रख दिया है। किसान पेड़ी गन्ना काटकर गेहूं की बुवाई करते हैं। यही फसल उनके परिवार की खाद्यान की जरूरत को पूरा करती है। फिलवक्त, अधिकांश किसानों के पेड़ी गन्ने की पर्ची न आने से गेहंू की बुआई प्रभावित हो रही है। लगभग एक हजार हेक्टेयर गेहंू की बुवाई प्रभावित हुई है।
यह हैं मंडल की बकाएदार चीनी मिलें
मंडल में 22 चीनी मिलें संचालित हैं जिसमें बिजनौर की बिलाई, बिजनौर व चांदपुर, मुरादाबाद की बेलवाड़ा, बिलारी व अगवानपुर, सम्भल की मझावली एवं रामपुर की करीमगंज ने बीते पेराई सत्र का भुगतान अभी तक नहीं किया है। इन मिलों पर कमोबेश तीन सौ करोड़ रुपये बकाया है। अन्य मिलों ने गन्ना मूल्य का सौ फीसद भुगतान कर दिया है।इसके अलावा चालू पेराई सत्र में चीनी मिलें अबत लगभग चार सौ लाख क्विंटल गन्ने की पेराई कर चुकी हैं। धामपुर, स्योहारा, चंदनपुर, बरकातपुर, बुंदकी, धनौरा व रजपुरा ने ही गन्ना मूल्य का भुगतान शुरू किया है। मिलों पर किसानों का लगभग छह सौ करोड़ रुपये बकाया है।
मिल प्रबंधन के खिलाफ कार्रवाई की चेतावनी
बीते पेराई सत्र का भुगतान न करने वाली चीनी मिलों के खिलाफ कार्रवाई करने के निर्देश शासन ने दिए हैं। आरसी जारी करने की चेतावनी भी दी गई है। उप गन्ना आयुक्त राजेश कुमार मिश्र ने कहा कि बीते पेराई सत्र के गन्ना मूल्य का भुगतान नहीं करने वाली चीनी मिलों के खिलाफ कड़ा रुख अपनाया जाएगा। इस बाबत शासन को पत्र लिखा गया है।