सियासी दाव-पेंच में फंसा जिला पंचायत अध्यक्ष का चुनाव
मुरादाबाद जिला पंचायत अध्यक्ष का चुनाव अब सियासी दाव पेंच में फंसने लगा है।
मुरादाबाद: जिला पंचायत अध्यक्ष का चुनाव अब सियासी दाव पेंच में फंसने लगा है। विरोधी पक्ष ने भी तानाबाना बुनना शुरू कर दिया है। ऐसे उम्मीदवार की तलाश शुरू कर दी गई है जो सत्ता पक्ष के प्रत्याशी को कड़ी टक्कर दे सके। भूमिगत हुए सदस्यों में कइयों के वापस आने से समीकरण गड़बड़ाने के आसार हैं। कई भूमिगत सदस्यों के वापस आने से गड़बड़ाए समीकरण
- सियासी गलियारों में अब तक सत्ता पक्ष उम्मीदवार के निर्विरोध चुनाव जीतने के कयास लगाए जा रहे थे। चर्चा थी कि भूमिगत जिला पंचायत सदस्यों की संख्या बल के आधार पर विपक्ष का उम्मीदवार नामांकन कराने की हिम्मत नहीं जुटा पाएगा। गांव के गलियारों, चौपाल व खेत की मेंड़ पर यह चर्चाएं जोरों से चलीं। इस बात को विरोधी भी स्वीकार करने लगे थे। फिलवक्त विरोधियों द्वारा उम्मीदवार ढूंढ निकालने की चर्चाएं जोर पकड़ती जा रही हैं। सियासी रसूख रखने वालों का दावा है कि वरिष्ठ बसपा नेता वीर सिंह के पुत्र अरुण कुमार एकबार फिर जिला पंचायत अध्यक्ष का चुनाव लड़ सकते हैं। उन्हें सपा-बसपा गठबंधन का लाभ मिलने के कयास लगाए जा रहे हैं।
मुरादाबाद में बढ़ गई है सियासी हलचल
- शलिता सिंह सपा के टिकट पर जिला पंचायत अध्यक्ष चुनी गई थीं। उनके खिलाफ पहली बार अविश्वास प्रस्ताव सपाइयों द्वारा सियासी चाल के तहत दाखिल किया गया था। कुर्सी बचने के बाद शलिता की नजदीकियां भाजपा से बढ़ गई थीं। उनके खिलाफ दूसरी बार अविश्वास प्रस्ताव भाजपाइयों द्वारा दाखिल किया गया। कई सपा एवं बसपा सदस्यों ने भी उन्हें समर्थन दिया। हालात नाजुक होने पर उन्हें पद से इस्तीफा देना पड़ा। सत्ता पक्ष के बिगड़े समीकरण
- सपा-बसपा आलाकमान ने भूमिगत हुए पार्टी के जिपं. सदस्यों को वापस बुलाने का फरमान जारी किया है। जिससे विधायक, पूर्व विधायक व पूर्व मंत्रियों में हड़कंप मच गया है। दबाव की बिना पर ही कई सदस्य वापस आ गए हैं। ये सदस्य सत्ता पक्ष के समीकरण गड़बड़ा सकते हैं। विपक्षियों ने नहीं खोले पत्ते
-ऊंट किस करवट बैठेगा ये तो समय ही बताएगा लेकिन विरोधी अपने पत्ते नहीं खोल रहे हैं। उनके हौसले का अंदाजा मुरादाबाद ब्लाक प्रमुख चुनाव में राजपाल सिंह द्वारा पर्चा दाखिल करने से भी लगाया जा सकता है।