मुरादाबाद में छींक से टूट गई बुजुर्ग की पसली, हड्डी रोग विशेषज्ञ ने बताई वजह
मुरादाबाद के बुद्धि विहार के 64 वर्षीय विनोद कुमार अस्थमा के रोगी हैं। शनिवार की रात इन्हें खाना खाते वक्त छींक आ गई। छींक इतनी जोर से आई कि इनके सीने में चट की आवाज हुई। पसली को दबाकर देखा तो दर्द बढ़ गया।
मेहंदी अशरफी, मुरादाबाद : सहजता से विश्वास तो नहीं होगा, लेकिन यह बात सच है। छींक आने से बुजुर्ग की पसली टूट गई। मुरादाबाद के बुद्धि विहार के 64 वर्षीय विनोद कुमार अस्थमा के रोगी हैं। शनिवार की रात इन्हें खाना खाते वक्त छींक आ गई। छींक इतनी जोर से आई कि इनके सीने में चट की आवाज हुई। पसली को दबाकर देखा तो दर्द बढ़ गया। अंगुली रखने पर भी दर्द होने लगा। रविवार को दिनभर दर्द होने की वजह से करवट भी नहीं ली जा सकी। सोमवार सुबह उन्होंने जिला अस्पताल में चिकित्सक की सलाह पर एक्सरे कराने पर पसली में बाल जितनी दरार दिखी।
छींक से पसली टूटने के मामले कम ही देखने को मिलते हैं: डा. शेर सिंह कक्कड़
हड्डी रोग विशेषज्ञ ने सीने में पट्टा लगवाकर झुकने और वजन न उठाने की सलाह दी। 45 दिन तक आराम करने के लिए बोल दिया। जिला अस्पताल के हड्डी रोग विशेषज्ञ डा. शेर सिंह कक्कड़ का कहना है कि छींक से पसली टूटने के मामले कम ही देखने को मिलते हैं। 746 मिलीमीटर आफ मरकरी प्रेशर से अधिक प्रेशर होने पर ही ऐसी स्थिति बनती है। उन्होंने पौष्टिक आहार लेने की सलाह दी है। ताकि शरीर को भरपूर पोषण मिलता रहे। 35 साल के बाद शरीर का कैल्शियम साल में एक बार जरूर चेक कराएं। जिससे सही स्थिति का पता रहे। इसके साथ ही दूध, दही, पनीर आदि कैल्शियम वाले पदार्थ को अपनी खुराक में शामिल करें।छींक से पसली टूटने के कई कारण हो सकते हैं।
मल्टीपल परेशानी की वजह से इस तरह की समस्या हो सकती है: डा. शेर सिंह कक्कड़
वरिष्ठ हड्डी रोग विशेषज्ञ, डा. शेर सिंह कक्कड़ ने जानकारी दी कि पूरी बात तो सभी जांचों के बाद ही बताई जा सकती है। मुख्यत: कैल्शियम की कमी, पैथोलाजिकल या मल्टीपल परेशानी की वजह से इस तरह की समस्या हो सकती है। इसलिए मरीज को पूरा परीक्षण कराना होगा।
हड्डी रोग विशेषज्ञ, डा. अंकुर गोयल ने बताया कि छींक से पसली टूटने का मामला बहुत कम ही देखने को मिलता है। आस्टियोपोरोसिस, कैल्शियम की कमी, हड्डियों में इंफेक्शन की वजह से कमजोरी आदि की वजह से पसली टूट सकती है। इसलिए इसे हल्के में नहीं लेकर पूरी जांच होनी जरूरी है। तभी निष्कर्ष पर पहुंचा जा सकता है।