कुर्बानी की अकीदत पर महंगाई का ग्रहण
मुरादाबाद : बकरीद की तैयारिया शुरू हो गई हैं। कुर्बानी के लिए बाजार में ऊंट, भैंस व बकर
मुरादाबाद : बकरीद की तैयारिया शुरू हो गई हैं। कुर्बानी के लिए बाजार में ऊंट, भैंस व बकरों की भरमार है। पहाड़ी क्षेत्र के बकरे भी बाजार में दिखाई दे रहे हैं। साप्ताहिक बाजार, गली-मुहल्ले या सड़क, चारों ओर कुर्बानी के पशु ही दिखाई दे रहे हैं, लेकिन महंगाई ने पशुओं की खरीदारी पर ग्रहण लगा दिया है। बाजार में ग्राहक होने के बावजूद बिक्त्री कम है।
ज्यादा कीमत बन रही रोड़ा
कुर्बानी, मुसलमान साहिबे निसाब पर वाजिब है। इसका दार-ओ-मदार अकीदत पर है। मुस्लिम अपनी हैसियत के मुताबिक जानवर खरीद कर कुर्बानी करते हैं, लेकिन इस बार महंगाई अकीदत में रोड़ा बन रही है। बाजार में ग्राहकों की भीड़ तो नजर आ रही है लेकिन खरीदार कम हैं। ग्राहक तो जानवर का दाम सुनते ही चौंक जाते हैं। बकरा बेचने आए मुश्ताक, नबी हसन, जरीफ और नजर मुहम्मद कहते हैं कि ग्राहक दाम पूछकर वापस हो जाते हैं। ईदगाह, रामपुर दोराहा, गोधी, दलपतपुर व शनिवार की पैंठ में जानवरों की भरमार रही, लेकिन खरीदारी औसतन दस फीसद हुई।
22 अगस्त को है बकरीद
बकरीद 22 अगस्त को है। इसी दिन से कुर्बानी का सिलसिला शुरू हो जाता है। जो मुस्लिम पूरा जानवर खरीद कर कुर्बानी किया करते थे वो जानवर में हिस्सा लेकर कुर्बानी को अंजाम दे रहे हैं।
महंगाई से हर शख्स परेशान
हाजी तबारक हुसैन का कहना है कि महंगाई से हर शख्स परेशान है। इससे धार्मिक आस्थाएं भी प्रभावित हो रही हैं। कुर्बानी पर भी असर पड़ रहा है। सुलेमान ठेकेदार का कहना है कि बामुश्किल परिवार का खर्च चला रहे हैं। बच्चों की तालीम प्रभावित हो रही है। हाजी मुख्तार असलम ने बताया कि महंगाई का असर आर्थिक स्थिति पर पड़ रहा है। कुर्बानी भी प्रभावित हो रही है। सभी परेशान हैं।
ये है बकरे की कीमत
बीते साल औसतन बकरे की कीमत लगभग छह हजार रुपये थी जो इस बार सात-आठ हजार रुपये तक पहुंच गई है। औसतन भैंस की कीमत 18-20 हजार रुपये थी, इस वक्त उसकी कीमत 22-25 हजार रुपये तक है। ऊंट की कीमत में भी दस हजार रुपये की बढ़ोतरी मानी जा रही है। पशु विक्त्रेता सादिक व रफीक कहते हैं कि महंगा खरीदा है तो महंगा बेचेंगे।
चना खिलाकर करते हैं मोटा
बकरा व्यापारी बकरे को मोटा-ताजा दिखाने के लिएचने का इस्तेमाल करते हैं। उसके मुंह में नली के जरिये चना डाला जाता है। जिसे खाकर वह कुछ देर के लिए सुस्त हो जाता है। चंद मिनट के बाद वह सामान्य स्थिति में आ जाता है। इसके पानी पिलाकर उसे फुला दिया जाता है।
बढ़ गई लोगों की परेशानी
नाजिम सैफी का कहना है कि कुर्बानी अहम फरीजा है, साहिबे निसाब पर वाजिब है। महंगाई अकीदत में रोड़ा बन रही है। लोगों की परेशानी बढ़ी है।