झोलाछाप से न कराएं इलाज, बच्चे भी हो रहे एचआइवी पॉजिटिव Moradabad News
एक ही सीरिंज कई लोगों को लगाने की वजह से स्वस्थ भी आ रहे एचआइवी की चपेट में। ग्रामीण इलाकों के लोगों को रहता है ज्यादा खतरा।
मुरादाबाद, जेएनएन। इसे हम जागरूकता का अभाव ही कहेंगे कि झोलाछाप द्वारा एक ही सीङ्क्षरज से कई लोगों को इंजेक्शन लगाने के कारण स्वस्थ भी एचआइवी की चपेट में आ रहे हैं। जिले के 584 गांवों में झोलाछाप मनमानी कर रहे हैं। बिलारी के आसपास के गांवों में ही 15 साल की उम्र के 13 किशोर एचआइवी के संक्रमण की चपेट में हैं, जबकि इन सभी के माता-पिता को एचआइवी नहीं है। इनके बीमार होने पर इन्हें इंजेक्शन लगाए गए थे। हालत खराब होने पर जब परिजनों ने खून की जांच कराई तो परिजनों के पैरों तले जमीन खिसक गई। एआरटी सेंटर में 2014 से अब तक 164 किशोर एचआइवी से पीडि़त रजिस्टर्ड किए गए हैं। इलाज 107 का हो रहा है। पहचान छिपाने के लिए बाकी बच्चों का इलाज दूसरे जनपद से कराया जा रहा है।
एचआइवी पीडि़त बना मिसाल
जरा सी भूल की वजह से युवक एचआइवी की चपेट में आ गया। एचआइवी होने की बात जानने के बाद भी उसने हिम्मत नहीं हारी है। सुबह से दोपहर तक वो जिला अस्पताल में रहकर मरीजों की सेवा में जुटा रहता है। सुबह आठ बजते ही वो ओपीडी में पर्चा बनवाने वाली कतार के पास खड़ा हो जाता है। कोई बुुजुर्ग महिला-पुरुष को उनका पर्चा बनवाने से लेकर चिकित्सक को दिखाने और दवा भी दिलवाता है। चिकित्सक ने इमरजेंसी वार्ड में भेज दिया तो वहां भी मरीज को भर्ती कराने के बाद उनका हालचाल पूछता रहता है। उसका कहना है कि मरीजों की सेवा करने में मन को शांति मिलती है। मेरा ये काम नियमित है। रविवार छोड़कर बाकी सब दिन अस्पताल आता हूं। मेरा प्रयास रहता है कि कोई भी मरीज परेशान न रहे।
ये बरतें सावधानी
झोलाछाप से इंजेक्शन न लगवाएं। हर बार नई सीरिंज ही इस्तेमाल कराएं साप्ताहिक बाजार में दाड़-दांत न उखड़वाएं। एचआइवी छूआछूत से नहीं फैलता ।जिला अस्पताल के एआरटी सेंटर पर परामर्श करें। बच्चों को भी एचआइवी के प्रति जागरूक करें
स्वास्थ्य विभाग की ओर से एड्स-एचआइवी जागरूकता के लिए अभियान चलाए जा रहे हैं। जिला अस्पताल के एआरटी सेंटर में भी लाइलाज बीमारी के लिए काउंसिलिंग की जा रही है।
डॉ. दिनेश कुमार प्रेमी, नोडल एड्स कार्यक्रम
मरीज वर्ष
615 2019
602 2018
320 2017
342 2016
371 2015
633 2014