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बैरक में सोने के लिए भी नसीब नहीं दो गज जमीन

मुरादाबाद : कारागार में क्षमता से चार गुना बंदी अधिक होने के कारण बैरकों में बंदियों को

By JagranEdited By: Published: Mon, 20 Aug 2018 11:03 AM (IST)Updated: Mon, 20 Aug 2018 11:03 AM (IST)
बैरक में सोने के लिए भी नसीब नहीं दो गज जमीन

मुरादाबाद : कारागार में क्षमता से चार गुना बंदी अधिक होने के कारण बैरकों में बंदियों को सोने को जगह नहीं मिल पाती है। साढ़े छह सौ की क्षमता वाली जेल में मौजूदा समय में साढ़े तीन हजार बंदी सजा काट रहे है। बंदियों की संख्या अधिक होने केकारण इनका नियोजन भी अफसरों के लिए सिर दर्द बना रहता है। कुछ बैरकों में बंदियों को शिफ्ट करने के हिसाब से सोने की अनुमति दी जाती है। अक्सर नींद पूरी न होने के कारण बंदियों में विवाद होता है। कभी-कभी यही विवाद विद्रोह का रूप भी धारण कर लेता है। जेल में आए दिन वाद-विवाद के मामले सामने आते हैं, जिनमें अधिकतर विवाद सोने के लिए बैरक में जगह न मिल पाने के कारण होता है। कुछ बंदी ऐसे भी होते हैं,जो सारी रात बैरक में बैठकर अपनी नींद पूरी करने की कोशिश करते हैं। बंदियों की संख्या अधिक होने के कारण जेल अफसरों को भी परेशानी का सामना करना पड़ता है।

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सर्वोच्च न्यायालय ने मागी जानकारी

सूबे के कारागारों में बंदियों की बढ़ती हुई संख्या के मामले में देश की सर्वोच्च अदालत भी चिंता जता चुकी है। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में प्रदेश की समस्त जेलों की बंदी क्षमता के साथ ही मौजूदा समय में वहा सजा काट रहे बंदियों के बारे में जानकारी मागी गई है। उत्तर प्रदेश के 75 शहरों में कुछ ही ऐसे शहर होंगे जहा पर नई जेल का निर्माण किया गया हो। ज्यादातर जेलों में अंग्रेजों के जमाने में निर्मित की गई जेल ही मौजूद हैं। इसके चलते लगभग सभी जेलों में क्षमता से अधिक बंदी मौजूद हैं।

छह सालों में नहीं बनी नई जेल

जनपद में नई जेल निर्माण को लेकर बीते छह सालों से प्रक्त्रिया चल रही है। नई जेल निर्माण को लेकर मूंढ़ापाडे के सिरसखेड़ा में एक हेक्टेयर भूमि को प्रशासन ने खरीदा था। इस भूमि खरीद में भी तत्कालीन अफसरों ने पूंजीपति लोगों को फायदा पहुंचाने के लिए नियमों के विरुद्ध जमीन की खरीद की थी। इस मामले की जाच शासन स्तर से की जा रही है। वहीं मामले में एक उपजिलाधिकारी के खिलाफ हाईकोर्ट के निर्देश पर शासन ने कार्रवाई की है। हालाकि जेल प्रशासन के अफसरों का कहना है कि जमीन खरीद से संबंधित सभी विवादों को सुलझा लिया गया है।

जनपद बने पर नहीं बनी जेल

मुरादाबाद जनपद से अलग होकर अमरोहा और सम्भल दो नए जनपद बनाए गए थे। इतने वर्ष बीत जाने के बाद भी इन दोनों जनपदों में नई जेल का निर्माण नहीं किया गया है। दोनों जनपदों में पहले से कोई जेल न होने कारण दोनों जनपदों के बंदी मुरादाबाद जेल में सजा काटते हैं। अगर दोनों जनपदों में जेल का निर्माण हो जाए तो मुरादाबाद जेल में बंदियों की संख्या में कमी आ सकती है।

किया जाता है बेहतर नियोजन : वरिष्ठ जेल अधीक्षक

नई जेल निर्माण में भूमि विवादों को लगभग सुलझा लिया गया है। एक मामले में हाईकोर्ट के दिशानिर्देश के अनुसार कार्रवाई प्रशासनिक अधिकारियों के द्वारा की जा रही है। हमें उम्मीद है कि इस साल के अंत तक जेल निर्माण की प्रक्त्रिया शुरू हो जाएगी। 98 फीसद जमीन का अधिग्रहण कर लिया गया है। बैरक में बंदियों का नियोजन बेहतर तरीके से किया जाता है। कुछ समस्याएं सामने आती हैं,लेकिन उनका भी समय रहते निस्तारण किया जाता है।

-एसएचएम रिजवी,वरिष्ठ जेल अधीक्षक।


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