मरीज लाचार, बिना सुविधा शुल्क दिए नहीं मिलता उपचार
सरकारी अस्पतालों में भले ही मुफ्त इलाज की सुविधा के दावे किए जाते हों लेकिन हकीकत में ऐसा नहीं है।
मुरादाबाद : प्रदेश सरकार की ओर से सरकारी अस्पतालों में भले ही मुफ्त इलाज की सुविधा के आदेश हैं, लेकिन रामपुर जिले के सरकारी अस्पतालों में बिना सुविधा शुल्क के मरीजों को इलाज नहीं मिलता है। रविवार को दैनिक जागरण की टीमों ने अलग-अलग सरकारी अस्पतालों में सर्वे किया तो इसकी पोल खुली। मरीजों ने सुविधा शुल्क लेकर इलाज किए जाने की शिकायत की। मिली अव्यवस्थाएं
टांडा : साप्ताहिक अवकाश के चलते वैसे तो इन सरकारी अस्पतालों में अवकाश रहता है, लेकिन इमरजेंसी में कुछ स्टाफ की ड्यूटी लगाई जाती है, ताकि इमरजेंसी में लोगों को उपचार दिया जा सके। क्षेत्र के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में पहुंचे संवाददाता को इमरजेंसी ड्यूटी पर चिकित्सक और स्टाफ तो मौजूद मिला, लेकिन जब मरीजों से बात की तो भ्रष्टाचार की बात सामने आई। अस्पताल में गांव रतुआ नगला की राजवती को उसके परिजन लाए थे। वह दुर्घटना में घायल हो गई थीं। परिजनों ने बताया कि पहले तो दवा बाहर से मंगाकर उपचार कराया। इसके बाद भी देखभाल के नाम पर खानापूर्ति की गई। मुहल्ला मनिहारान निवासी मुशय्यैदा ने बताया कि उसे सांस लेने में दिक्कत हो रही थी। इस पर परिजन यहां ले आए। यहां पहले बाहर से दवा मंगवाई गई। बाद में ड्रिप लगाने के लिए 70 रुपये लिए गए। इमरजेंसी में चिकित्साधीक्षक डॉ. रामजीलाल स्टाफ के साथ मौजूद थे, लेकिन सारी देखभाल फार्मासिस्ट के सहारे चल रही है। मरीजों को फटे गद्दों पर बिना चादर बिछाए ही लेटा दिया गया था। ड्यूटी पर थे फिरासत अली
स्वार : सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र की इमरजेंसी में डॉ. अजीम अहमद, फार्मासिस्ट मनोहर लाल और वार्ड ब्वाय फिरासत अली ड्यूटी पर थे। इमरजेंसी वाला ऐसा तो कोई मरीज दिन भर नहीं पहुंचा, बल्कि वायरल, बुखार, पेटदर्द आदि बीमारियों से पीड़ित मरीज आए। चिकित्सक और स्टाफ ने उनका उपचार किया। गांव मानपुर निवासी शाहिद अहमद ने बताया कि उन्हें पेट दर्द की शिकायत थी। उन्हें भर्ती कर उपचार दिया गया।
बिलासपुर : सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के इमरजेंसी कक्ष में डॉ. राहुल त्यागी एवं फार्मासिस्ट चरन ¨सह की तैनाती थी। इमरजेंसी में सामान्य बीमारियों के ही ज्यादातर मरीज आए, जिनका उपचार हुआ। दोपहर के समय सड़क दुर्घटना में घायल रईस अहमद को लाया गया। उन्हें प्राथमिक उपचार देकर जिला अस्पताल रेफर कर दिया गया।
शाहबाद : सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र में रविवार के दिन इमरजेंसी सेवाएं ठीक मिलीं। ग्राम मीरापुर निवासी हरविन्दर के सिर में चोट लगी थी। उनका डॉ. केके चहल ने उपचार किया। स्वास्थ्य विभाग की मिलीभगत से चल रहे अवैध नर्सिंग होम
स्वार : नगर सहित ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य विभाग की मिलीभगत से नर्सिंग होम का संचालन धड़ल्ले से किया जा रहा है, जिसमें आपरेशन, थियेटर, प्राइवेट वार्ड, जनरल वार्ड, पैथलॉजी लेब, एक्सरे मशीन सहित सारी सुविधाएं उपलब्ध हैं। मजे की बात तो यह है कि अधिकतर नर्सिंग होम का पंजीकरण नहीं है, लेकिन स्वास्थ्य विभाग की मिलीभगत से नर्सिंग होम का संचालन धड़ल्ले से किया जा रहा है। वहीं कोर्ट का आदेश भी इन नर्सिंग होम के संचालक एवं स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों पर कोई फर्क नहीं है। कोर्ट के आदेश का खुलेआम उल्लंघन किया जा रहा है। नर्सिंग होम के स्वामियों ने व्यापक प्रचार एवं प्रसार के लिए बड़े-बड़े अपने नाम के हो¨डग्स लगा रखे हैं। नगर सहित ग्रामीण क्षेत्रों की भोली भाली जनता को गुमराह करते हुए लूटा जा रहा है। प्रत्येक नर्सिंग होम में प्राइवेट वार्ड एवं जनरल वार्ड की सुविधा उपलब्ध है। मरीजों को एक सप्ताह वार्डों में भर्ती कर प्रतिदिन एक हजार से लेकर दो हजार तक का शुल्क वसूला जाता है। इस तरह से आम जनता की खून पसीने की कमाई से संचालित नर्सिंग होम के स्वामी अपनी जेबें भर रहे हैं। किसी मामले की मरीज आवाज उठाता है तो उसे ले देकर रफा-दफा कर दिया जाता है। पूरे मामले में स्वास्थ्य विभाग की भूमिका संदिग्ध बनी है। देर सवेरे कार्रवाई का इन्तजार कर रही है। वहीं स्वास्थ्य विभाग के आला अफसरों ने झोलाछाप एवं नर्सिंग होम के संचालकों पर कार्रवाई करने के लिए टीम भी गठित कर रखी है जो कि नाकाम साबित हो रही है। नोडल अधिकारी डा. देवेश चौधरी ने बताया कि जल्द ही अवैध नर्सिंग होम को चिन्हित कर सख्त कार्रवाई की जाएगी।