देश ही नहीं विदेश में भी सम्भल के मैंथा बोल्ड की मांग Moradabad news
सम्भल की विदेश में मैंथा मंडी के रूप में भी पहचान है। जो एशिया में सबसे बड़ी मंडियों में गिनी जाती है।
सम्भल (शोभित कुमार)। हैंडीक्राफ्ट के साथ ही सम्भल की विदेश में मैंथा मंडी के रूप में भी पहचान है। जो एशिया में सबसे बड़ी मंडियों में गिनी जाती है। इतना ही नहीं यहां पर बने मैंथा बोल्ड की मांग विदेशों में सबसे ज्यादा है। सम्भल एक ऐतिहासिक नगरी होने के साथ ही कल्कि नगरी के रूप में देश में प्रसिद्ध है। मगर विदेश में भी सम्भल की पहचान अलग ही रूप में है। सम्भल में बने हैंडीक्राफ्ट के विभिन्न आइटम जहां विदेशियों के घरों की रौनक को बढ़ा रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ यहां पर उत्पादित होने वाले मैंथा बोल्ड की मांग व खपत विदेशों में अधिक है, जिसका उपयोग वहां पर बनाई जाने वाली दवाइयों, कॉस्मेटिक उत्पादों में किया जाता है। अपने देश में भी इस बोल्ड की अच्छी मांग है। अपना यहां इसका उपयोग पान मसाला, कॉस्मेटिक, इत्र व साबुन बनाने में किया जाता है। जनपद में एक दो नहीं बल्कि सैकड़ों छोटी-बड़ी इकाइयां हैं, जहां पर मैंथा बोल्ड का कारोबार किया जाता है।
यूरोपियन देशों के साथ चाइना में भी है मांग
अमेरिका, इग्लैंड, ब्राजील समेत कई यूरोपियन देशों के साथ चीन में सम्भल के मैंथा बोल्ड की खासी मांग है। ऐसे में सम्भल में उत्पादित माल का लगभग 80 फीसद माल विदेश में निर्यात किया जा रहा है। जबकि 20 फीसद माल को स्थानीय मंडी में बेचा जा रहा है।
पिछले वर्षों की अपेक्षा कारोबार को मिली गति
जिला कृषि अधिकारी डॉ. नरेंद्र प्रताप सिंह का कहना है कि मैंथा कारोबार को पिछले वर्षों की अपेक्षा गति मिली है। वर्ष 2018 में लगभग 45 सौ हेक्टेयर में फसल का उत्पादन किया गया था, जबकि वर्ष 2019 में पांच हजार तथा इस वर्ष 2020 में छह हजार हेक्टेयर उत्पादन की उम्मीद है। यह फसल किसानों के लिए फायदेमंद साबित हो रही है। मैंथा व्यापारी चौधरी मितेश सिंह का कहना है कि मैंथा बोल्ड का उपयोग कफ सीरप, बाम, पान मसाला, साबुन के अतिरिक्त अन्य कई प्रकार की दवा व कॉस्मेटिक प्रोडक्ट बनाने में किया जाता है। विदेशों में चीन व यूरोपियन देशों में इसकी मांग है, लेकिन स्थानीय स्तर पर कानपुर व कन्नौज में इसकी मांग अधिक है।