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दीपावलीः अमावस्या की रात बंगाली समाज करता है मां काली की पूजा

कार्तिक माह की अमावस्या में धन की देवी लक्ष्मी की पूजा होती है। शहर में बंगाली समाज मां काली की उपासना करता है। शहर में यह आयोजन चार स्थानों पर किया जाता है।

By RashidEdited By: Published: Tue, 06 Nov 2018 01:10 AM (IST)Updated: Tue, 06 Nov 2018 05:30 AM (IST)
दीपावलीः अमावस्या की रात बंगाली समाज करता है मां काली की पूजा
दीपावलीः अमावस्या की रात बंगाली समाज करता है मां काली की पूजा

मुरादाबाद [ डॉ. मनोज रस्तोगी]। कार्तिक माह की अमावस्या की रात में जब धन की देवी लक्ष्मी की पूजा हो रही होती है उस समय शहर में बंगाली समाज मां काली की उपासना कर रहा होता है। वर्तमान में यहां चार स्थानों रेलवे मनोरंजन सदन, गुलाब दास का मंदिर साहू स्ट्रीट, अताई स्ट्रीट और कांशी राम नगर में विधिविधान से सार्वजनिक काली पूजा का आयोजन होता है।

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पूजा हो रही है 82 वर्षों से 

महानगर में मां काली की पूजा आजादी से पूर्व से ही चली आ रही है। बंगाली एसोसिशन द्वारा लगभग 82 साल पहले इसकी शुरुआत की गई थी। पूजा सचिव सौरभ चक्रवर्ती बताते हैं कि उत्तर रेलवे के मनोरंजन सदन पिछले छह दशक से यह आयोजन निरंतर हो रहा है। इस साल छह नवंबर को 83 वां आयोजन होगा। लगभग चौबीस साल पहले बंगाली कल्याण समिति ने लाइनपार स्थित विश्नोई धर्मशाला में दुर्गा पूजा के साथ काली पूजा की भी शुरुआत की। उसके बाद सुकुमार घोष, असीम देव, सुशांत सांतरा, उत्तमदास, सुशील भौमिक, गुलाब घोष आदि के प्रयासों से मंडी चौक स्थित पुजेरी गली में यह आयोजन होने लगा। कुछ साल बाद यही आयोजन जीलाल स्ट्रीट में होने लगा।

प्रज्जवलित किए जाते हैं 108 दीप 

समिति के मंडी चौक शाखाध्यक्ष काशीनाथ दास बताते हैं कि पांच साल बाद श्री काली पूजा मंडी चौक के ही साहू मोहल्ला स्थित गुलाब दास मंदिर में भव्यता के साथ आयोजित होने लगी। तीन दिवसीय इस आयोजन में अमावस्या तिथि को मां काली की मूर्ति विधिविधान से प्रतिष्ठित की जाती है। गुड़हल, अपराजिता व कमल के 108-108 पुष्पों की मालाएं अर्पित कर और 108 दीप प्रज्ज्वलित कर मंत्रोच्चार के साथ मां का आह्वान किया जाता है। भोर होने तक हवन का आयोजन होता है। कोलकाता से आये पंडित ही विधिविधान से पूजा संपन्न कराते हैं। अगले दिन रात्रि में सांस्कृतिक कार्यक्रम और जागरण का आयोजन होता है।

रामगंगा नदीं में विसर्जित होती है मूर्ति 

समिति के संरक्षक सुशील भौमिक बताते हैं कि इस पूजा में पूरी श्रद्धा भक्ति के साथ क्षेत्रवासी न केवल सम्मिलित होते हैं बल्कि आयोजन में सहयोग भी करते हैं। आयोजन के अंतिम दिन विसर्जन यात्रा राजकीय इंटर कालेज से निकलती है जो मंडीचौक, अमरोहा गेट, बुध बाजार , विवेकानंद अस्पताल होती हुई रामगंगा तट पर पहुंचती है जहां जयकारों के बीच मां की प्रतिमा विसर्जित कर दी जाती है। सन् 2000 से मंडी चौक बंगाली स्वर्णकार समिति की ओर से भी मुहल्ला अताई स्थित श्री लक्ष्मी नारायण मंदिर में श्री श्री श्यामा काली पूजा का आयोजन शुरू हो गया।

एक माह पहले से होती है तैयारी 

पूजा अध्यक्ष बप्पा पान बताते हैं कि दीपावली से एक माह पूर्व ही आयोजन की तैयारियां शुरू हो जाती हैं। मां काली की मूर्ति बनाने के लिए कोलकाता से ही कलाकार आते हैं।पूजा सचिव सुकुमार घोष बताते हैं कि मंडी चौक में पुजेरी गली से ही आयोजन की शुरुआत हुई थी। मंडी चौक में बड़ी संख्या में बंगाली समाज के लोग रहते हैं। पहले यहां सभी लोग मिलकर एक ही स्थान पर आयोजन करते थे। वर्तमान में दो स्थानों पर आयोजन होता है। इस बार यह आयोजन छह नवंबर की मध्यरात्रि से प्रारंभ होगा। इसके अलावा मुरादाबाद बंगाली कल्चरल एजुकेशनल सोसाइटी की ओर से कांशी राम नगर में भी आयोजन होता है। 


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