कोरोना महामारी में किसानों के लिए ज्यादा खतरा, रोजाना जोखिम में डाल रहे जान
सम्मान निधि की जानकारी के लिए ब्लॉक परिसर में रोज लग रही किसानों की लंबी लाइन। इस दौरान शारीरिक दूरी का भी नहीं रखा जा रहा पूरा ख्याल।
अमरोहा। कोरोना काल में जनपद का किसान परेशान है और अपनी जान को जोखिम में डाल रहा है। पीएम सम्मान निधि की जानकारी के लिए जहां वह धूप की तपिश झेल रहा है वहीं, जिंदगी से भी खिलवाड़ कर रहा है। बारी का इंतजार करते-करते लाइन में बैठने को मजबूर है। न मुंह पर मास्क है और न ही शारीरिक दूरी का ध्यान, बस मन में यही बात कि जैसे भी हो नंबर आ जाए।
जी हां, यह सब नजारा अमरोहा ब्लाॅक परिसर में स्थित जिला कृषि अधिकारी कार्यालय पर मंगलवार की सुबह 11 बजे देखने को मिला। जहां किसान बेचैन और मायूस दिखे। यहां बता दें कि केंद्र सरकार ने प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना चला रखी है। जिसके तहत किसानों को सालभर में छह हजार रुपए दिए जाते हैं। यह धनराशि दो-दो हजार रुपए के हिसाब से किसानों के खातों में भेजी जा रही है। करीब सवा लाख किसानों के खातों में दो-दो हजार रुपए कि किश्त आ गई है। एक लाख पांच हजार किसान अभी वंचित रह गए हैं। धनराशि क्यों नहीं आई, इसकी जानकारी के लिए रोजाना जिला कृषि अधिकारी कार्यालय पर किसानों की भीड़ जुट रही है। यहां एक खिड़की पर किसानों की समस्याओं का समाधान किया जा रहा है। जिस पर मंगलवार की सुबह दस बजे से ही किसानों की लाइन लगनी शुरू हो गई। दोपहर में दूर तक लाइन लग गई। इसमें बुजुर्ग से लेकर युवा किसान तक शामिल नजर आए। कोरोना वायरस के फैलने का भय किसी के चेहरे पर नहीं दिखा। कतार में एक-दूसरे से भिड़कर खड़े रहे। कोरोना से बचाव के उपाय भी कार्यालय पर नहीं दिखे। किसान अमरपाल सिंह ने बताया कि एक बार किश्त आई और उसके बाद अभी तक नहीं आई है। पहले आधार कार्ड की गड़बड़ी बताई गई। उसे ठीक करा दिया गया। इसके बाद भी किस्त नहीं आई है। ऐसा ही कहना था कि कैलाश चंद्र का। वह 15 किलो मीटर का सफर तय कर ब्लॉक में पहुंचे। उनके आधार में गड़बड़ी बताई गई। जैसे-तैसे उन्होंने आधार कार्ड जमा किया।
पीएम किसान सम्मान निधि योजना की धनराशि सीधे सरकार द्वारा किसानों के बैंक खातों में भेजी जा रही है। जिन किसानों के खातों में नहीं आई है, वही कारण जानने कार्यालय आ रहे हैं। सभी को स्थिति से अवगत कराया जा रहा है। शारीरिक दूरी बनाने के लिए कहा जाता है लेकिन, कुछ किसान मानने को तैयार नहीं होते हैं।
राजीव कुमार सिंह, जिला कृषि अधिकारी