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संवाद, समन्वय और सहयोग से खत्म होगा टकराव moradabad news

दिल्ली की तीस हजारी कोर्ट में पुलिस व अधिवक्ताओं के बीच टकराव ने आमजन को सोचने पर मजबूर कर दिया है। दैनिक जागरण की अकादमिक बैठक में इस स्थिति से पार पाने पर सुझाव साझा किए।

By Narendra KumarEdited By: Published: Tue, 12 Nov 2019 08:38 AM (IST)Updated: Tue, 12 Nov 2019 08:38 AM (IST)
संवाद, समन्वय और सहयोग से खत्म होगा टकराव moradabad news

श्रीशचंद्र मिश्र राजन मुरादाबाद।  दिल्ली की तीस हजारी कोर्ट में पुलिस व अधिवक्ताओं के बीच टकराव ने आमजन को सोचने पर मजबूर कर दिया है। सोमवार को दैनिक जागरण की अकादमिक बैठक में आइपीएस, बार सचिव और सेवानिवृत्त पुलिस अधिकारी ने माना कि संवादहीनता, समन्वय व सहयोग का अभाव ही टकराव का कारण बना। इस स्थिति से पार पाने पर सभी ने एक-दूसरे से सुझाव भी साझा किए। मुरादाबाद दैनिक जागरण यूनिट के संपादकीय प्रभारी संजय मिश्र ने विषय प्रवर्तन करते कहा कि अधिकारों का अतिक्रमण व कानून का उल्लंघन ही ऐसी विषम परिस्थितियों का निर्माण करता है। कानून व मर्यादा के दायरे में रहकर दायित्व निर्वाह करना होगा। आउटपुट प्रभारी प्रकाश नौटियाल ने आभार जताया। 

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एक दूसरे को नजरंदाज कर न्याय के रास्ते पर चलना मुमकिन नहीं : आदित्य लांग्हे  

सीओ सिविल लाइंस आइपीएस आदित्य लांग्हे ने कहा कि दिल्ली की घटना दुर्भाग्यपूर्ण है। इसे किसी भी दशा में जायज नहीं कहा जा सकता। पुलिस ही नहीं बल्कि अधिवक्ता समाज के लिए भी कानून व नियम तय हैं। किसी भी दशा में मर्यादा का उल्लंघन नहीं होना चाहिए। वर्दी पहनते ही कुछ लोग खुद को कानून से ऊपर समझने लगते हैं। ऐसे लोगों को समझना होगा कि जहां पुलिस की भूमिका खत्म होती है, वहीं से अधिवक्ताओं का रोल शुरू होता है। एक दूसरे को नजरंदाज कर न्याय के रास्ते पर चलना मुमकिन ही नहीं है। सभी को तय नियम व शर्तों का पालन करना होगा। हम लोग भारतीय संविधान के स्तंभ हैं। पुलिस व अधिवक्ता समाज के बीच निरंतर बातचीत व मुलाकात होती रहनी चाहिए। इससे समस्याओं का निस्तारण होगा। एक सिपाही 16 से 17 घंटे ड्यूटी करता है। परिवार से दूर रहता है। कार्य का अत्यधिक बोझ उसे तनाव व अवसाद में डाल देता है। इससे उसका व्यक्तिगत जीवन तक प्रभावित हो जाता है। पुलिसकर्मी भी समाज का ही अंग है। परिस्थितियां बदल रहीं हैं। आने वाला वक्त और बेहतर होगा। इसलिए खाकी के प्रति सोच में बदलाव की भी जरूरत है।

तालमेल का अभाव ही से ही टकराव की परिस्थिति का निर्माण : अभिषेक

मुरादाबाद बार एंड लाइब्रेरी के महासचिव अभिषेक भटनागर ने कहा कि पुलिस व अधिवक्ता समाज में तालमेल का अभाव ही टकराव की  परिस्थिति का निर्माण करता है। दोनों समाज की महत्वपूर्ण कड़ी हैं।  विपरीत दिशा में चलने का दुष्प्रभाव समाज को झेलना पड़ेगा। इसलिए जरूरी है कि दोनों पक्ष एक दूसरे का सम्मान करें। मुरादाबाद में ऐसी स्थिति इसलिए नहीं, क्योंकि पुलिस व अधिवक्ता समाज में बेहतर तालमेल है। अनदेखी से हालात गड़बड़ होते हैं। रही बात दिल्ली की तो घटना उच्च न्यायालय के संज्ञान में है। जो भी दोषी होगा उसके खिलाफ कार्रवाई तय है। तालमेल बरकरार रखने के लिए बार व प्रशासनिक मशीनरी की बैठक एक निश्चित अवधि में जरूरी है। कानून सभी के लिए समान है। सभी को इसका सम्मान करना होगा। 

पुलिस को निरंतर बार काउंसिल के संपर्क में रहना चाहिए : सिंह 

आइबी से सेवानिवृत्त सहायक निदेशक एसबी सिंह ने कहा कि ङ्क्षहसा किसी भी समस्या का समाधान नहीं। पुलिस को बार काउंसिल के निरंतर संपर्क में रहना होगा। ऐसे तत्वों को चिह्नित कर उनके खिलाफ सख्त कदम उठना होगा जो ङ्क्षहसा, उपद्रव व कोर्ट बंद करने जैसे कृत्य में शामिल होते हैं। ऐसे हालात से निपटने में न्यायिक अधिकारियों की भूमिका भी महत्वपूर्ण होती है। उन्हें विश्वास में लें। न्याय प्रणाली से जुड़ा अधिवक्ता समाज न्यायिक अधिकारियों को नजरंदाज नहीं कर सकता। पुलिस अनुशासित संगठन है। इंटेलीजेंस की मदद से भी टकराव की स्थिति रोकी जा सकती है।

अतिथि परिचय 

आदित्य लांग्हे, एएसपी, सीओ सिविल लाइंस 

जन्मस्थान : जम्मू 

प्राथमिक शिक्षा : दिल्ली 

उच्च शिक्षा : पंजाब इंजीनियङ्क्षरग कालेज से बीटेक, वर्तमान में पुलिस एडमिनिस्टे्रशन में मास्टर डिग्री 

दूसरे प्रयास में संघ लोक सेवा आयोग की परीक्षा उत्तीर्ण कर 2016 बैच के आइपीएस 

बैडमिंटन में नेशनल स्तर पर प्रदेश की टीम का व टेबल टेनिस में राज्य स्तर पर मंडल की टीम का प्रतिनिधित्व किया। 

अभिषेक भटनागर 

महासचिव बार एसोसिएशन एंड लाइब्रेरी 

जन्मस्थान : रोहतक

प्राथमिक शिक्षा : राजकीय इंटर कालेज मुरादाबाद 

उच्च शिक्षा : केजीके इंटर कालेज से लॉ 

एसपी सिंह 

सेवानिवृत्त सहायक निदेशक आइबी 

जन्मस्थान : खुर्जा, बुलंदशहर 

शिक्षा : एनआरइसी कालेज से अर्थशास्त्र में एमए 

वर्ष 2005 में सेवानिवृत्त 

15 से अधिक लेख विभिन्न पत्रिकाओं में प्रकाशित 

वर्तमान में पुलिस अकादमी में अतिथि व्याख्याता के तौर आमंत्रित किए जाते हैं।


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