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अपने बच्चों की कर लीजिए फिक्र, 20 साल पुराने वाहनों में बैठकर जा रहे स्कूल Moradabad News

पूर्व में परिवहन विभाग ने अभियान चलाकर 63 डग्गामार स्कूली वाहनों के खिलाफ कार्रवाई की हैै लेकिन अब भी शहर की सड़कों पर ऐसे कई खटारा वाहन बेरोकटोक दौड़ रहे हैं।

By Narendra KumarEdited By: Published: Fri, 21 Feb 2020 10:02 AM (IST)Updated: Fri, 21 Feb 2020 10:02 AM (IST)
अपने बच्चों की कर लीजिए फिक्र, 20 साल पुराने वाहनों में बैठकर जा रहे स्कूल  Moradabad News
अपने बच्चों की कर लीजिए फिक्र, 20 साल पुराने वाहनों में बैठकर जा रहे स्कूल Moradabad News

मुरादाबाद, जेएनएन। बीते दिनों प्रदेश में हुए हादसों के बावजूद  सरकारी अधिकारी खटारा वाहनों पर मेहरबान हैं। हाल यह है कि शासन के सख्त निर्देश के बाद भी ई-रिक्शा व गैस किट लगे वाहनों से स्कूली बच्चे ढोए जा रहे हैं। ऐसे में कोई बड़ा हादसा हो जाए तो आखिर किसकी जिम्मेदारी तय होगी। 

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पिछले साल प्रदेश सरकार ने आदेश दिया था कि स्कूल बस परमिट वाले वाहनों से बच्चों को लाने ले जाने का काम किया जाएगा। ई-रिक्शा समेत अन्य वाहनों से बच्चों को स्कूल ले जाने पर रोक लगा दी थी। इसके साथ ही जिलाधिकारी के नेतृत्व में टीम गठित की गई थी। इसमें एसएसपी, एसपी सिटी, जिला विद्यालय निरीक्षक, सहायक संभागीय अधिकारी (प्रवर्तन) को शामिल किया गया था। जिलाधिकारी राकेश कुमार सिंह के निर्देश पर जिला विद्यालय निरीक्षक ने सभी स्कूल संचालकों को पत्र भी जारी किए थे। इसमें अभिभावकों से फार्म भरवा कर लेना था। इसमें बच्चों को स्कूल कैसे भेजते हैैं। फार्म में वाहन संख्या, वाहन चालक का नाम, वाहन का परमिट किस प्रकार यात्री को ढोने का है, आदि जानकारियां मांगी गई थीं। एसपी ट्रैफिक और एआरटीओ प्रवर्तन को चेकिंग करने व नियम के विरुद्ध बच्चों को लेकर जाने वाले वाहनों को सीज करने के आदेश दिए थे। कुछ दिनों तक तो अभियान चला लेकिन, बाद में सबकुछ पुराने ढर्रे पर आ गया। 

आग का गोला बन सकते हैं गैस किट लगे वाहन

स्कूल संचालकों से साठगांठ कर कुछ वाहन चालक पुरानी वैन खरीद लेते है और इसमें गैस किट लगा लेते हैं। इसमें बड़ी संख्या में बच्चों को एक साथ बैठाते हैं। गैस से चलने के कारण कई बार गाड़ी में एकाएक आग लग जाती है। इस तरह के बड़े हादसे देशभर में हो चुके हैं। इसके बाद भी अफसर नहीं चेत रहे। 

एक सितंबर 2020 से कड़े हुए स्कूली बसों के नियम 

स्कूल के परमिट पर चलने वाले वाहनों के लिए एक सितंबर से नियम कड़े हो जाएंगे। स्कूल बसों में सीसीटीवी, स्पीड गर्वनर, लोकेशन ट्रैकिंग सिस्टम जैसे आधुनिक उपकरण लगाए जाने हैं। इस नियम का पालन नहीं करने पर स्कूल बसों को परमिट नहीं दिया जाएगा। 

पुराने खटारा वाहनों पर मेहरबान जिम्मेदार अफसर 

सफेद रंग की मारुति वैन संख्या यूपी 16 ए 9230 मार्च 2000 में खरीदी गई। इसका पंजीयन मार्च-2015 तक मान्य था। उसके बाद पंजीयन का नवीनीकरण नहीं कराया गया है। पीलीकोठी के पास स्थित स्कूलों के बच्चों को लाने और ले जाने का काम किया जा रहा है। यह वैन जर्जर हालत में है। इसमें एलपीजी गैस से चलने वाला उपकरण लगाया गया है। यह गाड़ी निजी प्रयोग के लिए मान्य है। इस वाहन से स्कूल के बच्चों को नहीं ले जाया सकता।  

डीएल 2 सीवी 4286 लाल रंग की मारुति वैन को अप्रैल-2002 में खरीदी  थी। इसका पंजीयन 2017 तक मान्य था। वाहन चालक ने पांच साल के लिए पंजीयन का नवीनीकरण कराया लिया है। यह वैन भी निजी प्रयोग के लिए पंजीकृत है, इसे स्कूल वाहन की तरह नहीं चलाया जा सकता है। 

स्कूल परमिट वाले वाहनों के लिए एक सितंबर से नियम बदल जाएंगे। नए नियम के अनुसार स्कूल बसों को चलाने के लिए अभी से सर्वे कराया जा रहा है। इसके बाद डग्गामार स्कूल वाहनों के खिलाफ अभियान चलाया जाएगा। 

- केपी गुप्ता, संभागीय परिवहन अधिकारी (प्रवर्तन), मुरादाबाद। 


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