वीडियो कॉल पर बच्चे पूछते हैं घर कब आओगे पापा Sambhal News
एहतियात के तौर पर घर परिवार से दूरी बना रखी है। जल्द ही इस महामारी से हम जंग जीतने में कामयाब होंगे।
सम्भल (प्रकाशवीर)। घर में घुसे एक माह हो गए। अब तो बच्चे भी पूछने लगे पापा कब आओगे। वीडियो कॉङ्क्षलग में आपके देखते हुए मन भर आ गया। अब घर आ जाओ। यह पीड़ा उन बच्चों की है जिनके पिता कोरोना योद्धा हैं और सीएचसी गुन्नौर में एलटी के पद पर तैनात हैं। कोरोना को लेकर डयूटी लगी है और जिम्मेदारी है सैम्पल लेने की। अब तक 400 आशंकितों के सैंपल ले चुके इस एलटी का जीवन अस्पताल तक सिमट कर रह गया है। मन में कोरोना पीडि़त व आशंकित की सेवा का जज्बा है। ऐसे में अस्पताल में जांच, कम्युनिटी किचन का खाना और परिवार से वीडियो काङ्क्षलग के जरिए बातचीत यही दिनचर्या बन गया है।
कस्बा रजपुरा में स्थित सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र पर तैनात एलटी राजकुमार यादव अब तक अपने हाथों से कोरोना वायरस से संदिग्ध 400 से भी अधिक लोगों के सैंपल ले चुके हैं। एक माह से 20 किलोमीटर दूरी पर स्थित बुलदंशहर के कस्बा अनूपशहर स्थित अपने घर पर नहीं गये हैं। बच्चों की याद आने पर वीडियो काल कर बच्चों का हालचाल पूछते हैं। राजकुमार कोरोना योद्धा हैं और कैलादेवी, गुन्नौर व रजपुरा क्वॉरंटाइन सेंटर में भर्ती सभी संदिग्धों की सैंपङ्क्षलग करने की जिम्मेदारी उठाते हैं। तीनों क्वारंटाइन सेंटर की सैंपङ्क्षलग का अकेले कार्य करते हैं। एक माह से रजपुरा में ही उन्होंने अपना डेरा जमा लिया है। वीडियो कॉल पर जब इनके बेटे दस साल के प्रतीक यादव व आठ साल के उत्कर्ष यादव का फोन आता है तो वह अक्सर रो उठते हैं। इस विषम परिस्थितियों में स्वजन उनका भरपूर सहयोग कर रहे हैं। पत्नी निर्मला यादव का कहना है कि जब तक इस कोरोना वायरस जैसी महामारी से जंग ना जीत ली जाए तब तक आप लगातार इसी तरह से अपनी सेवाएं देते रहें। सामुदायिक किचन से खाना खाकर लगातार अपनी सेवायें देने का कार्य करने के लिये उनकी प्रशंसा स्वास्थ्य कर्मी कर रहे हैं। राजकुमार ने बताया कि जबतक प्रशासन का आदेश नहीं होता वह लगातार सैंपङ्क्षलग का कार्य करते रहेंगे।