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मोबाइल एडिक्शन से बच्चे हो रहे डायबिटीज का शिकार Mpradabad News

सोशल मीडिया के चक्कर में जिंदगी बीमारी की चपेट में आ रही है।

By Narendra KumarEdited By: Published: Wed, 13 Nov 2019 10:50 AM (IST)Updated: Wed, 13 Nov 2019 10:52 AM (IST)
मोबाइल एडिक्शन से बच्चे हो रहे डायबिटीज का शिकार Mpradabad News

मुरादाबाद : सोशल मीडिया के चक्कर में जिंदगी बीमारी की चपेट में आ रही है। खासतौर पर वे बच्चे, जिनके माता-पिता उनकी उछलकूद से बचने के लिए हाथों में स्मार्टफोन थमा देते हैं। इस वजह से बच्चे खेलकूद छोड़कर गेम इतना खेलने लगते हैं कि उछलकूद भूल रहे हैं। इसका नतीजा ये निकल रहा है कि वे बच्चे डायबिटीज का शिकार हो रहे हैं। शहर के रहने वाले छह साल के बच्चे का वजन 76 किलो हो गया। इसकी पड़ताल की गई तो पता चला उसके माता-पिता बच्चे की शरारत से बचने के लिए अक्सर मोबाइल फोन दे देते थे। इसका वो आदी हो गया तो उसने घर से बाहर निकलना बंद कर दिया। अब वो डायबिटीज का शिकार हो गया। वजन अधिक बढऩे पर परिवार के लोगों को चिंता हुई। वे सभी उसे लेकर चिकित्सक के पास पहुंचे। चिकित्सक ने बच्चे की जानकारी की तो मोबाइल एडिक्शन की वजह से वो बच्चा उछलकूद भूल चुका था। अब डायबिटीज का इलाज चल रहा है। इसी तरह एक 10 साल के बच्चे का वजन 92 किलो हो गया। इस बच्चे का भी डायबिटीज का इलाज हो रहा है।

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आराम तलब जिंदगी से बढ़ रहे मरीज

वरिष्ठ फिजिशियन डॉ. मुकेश रायजादा ने बताया डायबिटीज की मुख्य वजह है आराम तलब जीवनशैली, मोटापा, शारीरिक मेहनत न करना, मानसिक तनाव, वसा, चीनी या बहुत ज्यादा कैलोरी वाला खानपान। अपनी दिनचर्या में बदलाव करके इसपर काबू पा सकते हैं। खून में शुगर की मात्रा जरूरत से ज्यादा बननी शुरू हो जाती है। जबकि खून में ग्लूकोज की कुछ मात्रा पहले से ही होती है, जिसे शरीर में ऊर्जा बनाए रखने के लिए खर्च किया जाता है लेकिन, जब ग्लूकोज की मात्रा ज्यादा हो जाती है तो फिर शरीर के लिए यह नुकसानदायक होती है।

पैनक्रियाज से बनता है इंसुलिन

डायबिटीज रोग विशेषज्ञ डॉ. सैयद मुहम्मद रजी ने बताया कि ग्लूकोज हमारे खानपान से मिलता है। इसके स्तर को और सही जगह भेजने का काम पैनक्रियाज द्वारा बनाए गए हार्मोन इंसुलिन से किया जाता है। जब इस इंसुलिन की मात्रा कम हो जाती है तब ग्लूकोज खून में बढऩा शुरू हो जाता है। डायबिटीज दो तरह की होती है पहला टाइप वन (जिसमें इंसुलिन शरीर में बनता ही नहीं इसलिए हर दिन बाहर से इंजेक्शन के द्वारा लिया जाता है) और दूसरा टाइप टू (जिसमें थोड़ा बहुत इंसुलिन बनता है या इसकी कमी होती है)। दोनों ही अवस्था किसी भी व्यक्ति के लिए सामान्य नहीं है।

लक्षण

- बार बार प्यास लगना

- अधिक भूख लगना

- बार बार पेशाब आना

- कमजोरी महसूस करना

- अचानक वजन कम होना

- शरीर पर घाव बनना और ठीक होने में समय लगना

- त्वचा में रुखापन, खुजली और जननांगों में खुजली

- धुंधला दिखाई देना।


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