मुरादाबाद, जागरण टीम, (संजय रुस्तगी)। चंदौसी के एआर कोल्ड स्टोरेज हादसे में 14 लोगों की जान चली गई। हादसे में काल कवलित होने वाले दिहाड़ी मजदूर ही हैं। जाहिर है हाड़तोड़ मेहनत से उनके घर का चूल्हा जलता होगा। 36 घंटे बाद भी यह सवाल बना हुआ है, हादसे के लिए जिम्मेदार कौन-कौन है? क्या कोल्ड स्टोरेज मालिक ही इसके लिए जिम्मेदार हैं? आलू भंडारण को लेकर प्रदेश सरकार चिंतित थी तो संभल में किसी की जिम्मेदारी निगरानी की नहीं थी? ऐसे अधिकारियों की जिम्मेदारी को नजर अंदाज क्यों किया जा रहा है।

आलू का रिकार्ड उत्पादन

संभल व बदायूं जिले की सीमा पर ओरछी चौराहा कोल्ड स्टोरेज का हब है। एआर कोल्ड स्टोरेज भी चौराहे के पास ही है। आलू का रिकार्ड उत्पादन के बाद भी भंडारण की समस्या सामने आ गई थी। चौराहे पर चंदौसी, बिसौली और इस्लामनगर मार्गों पर आलू के बोरे लदे ट्रैक्टर-ट्राली कई दिन खड़े रहे। कोल्ड स्टोरेज को फुल बताकर किसानों को लौटाने की समस्या भी विभिन्न स्तर पर मुखर हुई। जांच के आदेश हुए, कोल्ड स्टोरेज मालिकों से बात भी हुई। अधिकारियों के सकारात्मक बयान भी जारी किए गए।

नहीं हुई जांच

क्या इस एआर कोल्ड स्टोरेज को देखने कोई अधिकारी नहीं गया? क्या वहां की भंडारण की क्षमता को नहीं देखा गया? यदि हां तो क्या करीब तीन हजार वर्ग मीटर वाला चैंबर उन्हें नहीं दिखा? चैंबर एकाएक बन नहीं गया। उसे बनने में भी महीनों लगे होंगे। इसे बनाने की अनुमति भी उद्यान विभाग से ली गई थी, फिर उसमें भंडारण क्यों नहीं रोका गया? क्यों इंजीनियरिंग टीम ने उसकी गुणवत्ता की जांच नहीं करायी गई? ऐसे में सिर्फ कोल्ड स्टोरेज मालिकों के खिलाफ ही प्राथमिकी क्यों? अब अकेले जिला उद्यान अधिकारी को निलंबित किया गया है, क्या अकेले वह ही जिम्मेदार हैं? निरीक्षण की सिर्फ जिला उद्यान अधिकारी की ही जिम्मेदारी थी? यदि हां तो किसानों की समस्या के निस्तारण में पूरा प्रशासनिक अमला क्या कर रहा था? बात करते हैं दर्ज प्राथमिकी की। कोल्ड स्टोरेज मालिकों के खिलाफ प्राथमिकी एक पीड़ित ने दर्ज करायी है, चर्चा है कि प्राथमिकी के लिए पीड़ित को खोजा गया।

उद्यान विभाग ने दी तहरीर

कोई अधिकारी आगे नहीं आया। उद्यान विभाग ने बीती रात तहरीर दी है, दिन में विभाग के अधिकारी भी बैकफुट पर रहे। तहरीर भी उस अधिकारी (जिला उद्यान अधिकारी) के द्वारा दी गई है, जिसे खुद लापरवाही के लिए जिम्मेदार माना गया है। उसे निलंबित कर दिया गया है। फिलहाल यह तय है कि तहरीर जिला उद्यान अधिकारी के बचाव का अस्त्र जरूर बन सकती है।

ग्रामीण बोले- रेस्क्यू अभियान का हिस्सा हम भी बनते

मौके पर बिखलते लापता लोगों के स्वजन को देखकर मन सबका द्रवित था। कई गुरुवार दोपहर से हादसा स्थल पर डटे थे। उन्होंने कुछ खाया भी नहीं था। कई ग्रामीण तो रेस्क्यू में खुद जुड़ना चाहते थे। इन ग्रामीणों में कई पल्लेदार भी थे। बाकी के मुकाबले तेजी से बोरों को हटा सकते हैं। प्रशासन का दावा है कि दो बार उनको जिम्मेदारी भी दी गई, लेकिन भीड़ अधिक होने की वजह से ऊपर से दबाव नीचे की ओर भी पड़ने लगा। लिहाजा उन्हें रोकना पड़ा।

जिम्मेदारों पर होनी चाहिए प्राथमिकी

वरिष्ठ अधिवक्ता पीके गोस्वामी का कहना है कि सरकार की गाइड लाइन को फालो कराने की जिम्मेदारी अधिकारियों की है। इसमें विफल रहने वाले अधिकारियों के खिलाफ आइपीसी की धारा 166 के तहत प्राथमिकी होनी चाहिए। इसके अलावा कानून के मुताबिक कोल्ड स्टोरेज मालिकों के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी में वह भी ष़डयंत्र रचने के आरोपित बनते हैं। उन्हें 120 बी का आरोपित बनाया जाना चाहिए। 

Edited By: Abhishek Saxena