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By-election in Amroha : गठबंधन की तस्वीर पर छिड़ी सियासी बहस, पार्टियांं बैठा रहींं जीत के समीकरण

By-election in Amroha सपा को जाट मतदाताओं से उम्मीद। भाजपा काे मुस्लिम वोट बंटवारे से जगी आस। सियासी पंडितों का मानना है कि जाट मतदाता सपा के पक्ष में आसानी से नहीं जाएगा। वहीं भाजपा खेमे का दावा है कि बसपा ने मुस्लिम प्रत्याशी पर दांव लगाया है।

By Narendra KumarEdited By: Published: Thu, 08 Oct 2020 12:55 PM (IST)Updated: Thu, 08 Oct 2020 12:55 PM (IST)
By-election in Amroha : गठबंधन की तस्वीर पर छिड़ी सियासी बहस, पार्टियांं बैठा रहींं जीत के समीकरण
गठबंधन के बाद सियासी गलियारों में चर्चाओं ने जोर पकड़ लिया है।

अमरोहा, जेएनएन। विधानसभा उपचुनाव में जीत की उम्मीद के साथ सपा ने रालोद का हाथ थामा है। इसके बाद उभरी सियासी तस्वीर पर बहस छिड़ गई है। सपा को हाथरस प्रकरण में रालोद नेता जयंत चौधरी पर हुए लाठीचार्ज के बाद जाट मतदाताओं का वोट मिलने की उम्मीद है। वहीं भाजपा इसे सिरे से खारिज कर रही है। हालांकि पिछले चुनावों में रालोद यहां कुछ खास करिश्मा नहीं दिखा पाई है।

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बात पिछले विधानसभा चुनाव की करें तो नौगावां सीट पर राष्ट्रीय लोकदल ने तत्कालीन सपा विधायक अशफाक अली को मैदान में उतारा था। सपा से टिकट न मिलने से नाराज अशफाक ने रालोद का दामन थामा था। पूरे जोरशोर से चुनाव लड़ने के बाद उन्हें 14597 वोट मिले थे। इससे पूर्व वर्ष 2012 के चुनाव में पूर्व सांसद देवेंद्र नागपाल की पत्नी अंशू नागपाल रालोद से मैदान में उतरी थीं। तब उन्हें लगभग 34 हजार वोट मिले थे। नौगावां सादात सीट पर मुस्लिम व दलित वर्ग के बाद चौहान व जाट बिरादरी के मतदाताओं का दबदबा है। रालोद प्रमुखता से जाट बिरादरी को अपना समर्थक मानता है। हाल ही में हाथरस प्रकरण में रालोद के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष जयंत चौधरी पर पुलिस ने लाठीचार्ज किया था। इसलिए अब रालोद का दावा है कि जाट बिरादरी का गुस्सा भाजपा के प्रति बढ़ गया है। इसलिए वह पूरे मन से गठबंधन प्रत्याशी के पक्ष में मतदान करेगा। मगर सियासी पंडितों का मानना है कि जाट मतदाता सपा के पक्ष में आसानी से नहीं जाएगा। वहीं भाजपा खेमे का दावा है कि बसपा ने भी मुस्लिम प्रत्याशी पर दांव लगाया है। ऐसे में इस बार बड़ी संख्या में मुस्लिम मतदाता बसपा में जाएगा। जबकि जाट इस बार भी भाजपा में ही रहेगा। कुल मिलाकर कौन किसके पक्ष में जाएगा, इसका फैसला तो नतीजों के बाद ही आएगा, मगर गठबंधन के बाद सियासी गलियारों में इसी तरह की चर्चाओं ने जोर पकड़ लिया है।


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